पश्चिम बंगाल: विश्व भारती विश्वविद्यालय में सीआईएसएफ की तैनाती के लिए एचआरडी ने लिखा पत्र

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति ने छात्रों के विरोध प्रदर्शन का हवाला देते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से कैंपस में अर्धसैनिक बलों की तैनाती का अनुरोध किया है.

//
(फोटो साभार: विकिपीडिया)

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति ने छात्रों के विरोध प्रदर्शन का हवाला देते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से कैंपस में अर्धसैनिक बलों की तैनाती का अनुरोध किया है.

(फोटो साभार: विकिपीडिया)
(फोटो साभार: विकिपीडिया)

नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रालय पश्चिम बंगाल में बीरभूम ज़िले के शांतिनिकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय में सीआईएसएफ जवानों की स्थायी तौर पर तैनाती की योजना बना रहा है. अगर ऐसा होता है तो विश्व भारती देश का संभवत: पहला ऐसा विश्वविद्यालय बन जाएगा जहां अर्धसैनिक बलों की तैनाती होगी.

मंत्रालय ने इसके लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) से संपर्क किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा पहली बार है जब केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर किसी शैक्षणिक संस्थान में अर्धसैनिक बलों की तैनाती के लिए कदम उठाएं हैं.

मंत्रालय ने इसके लिए पिछले महीने सीआईएसएफ के महानिदेशक राजेश रंजन को पत्र लिखा है. सूत्रों के अनुसार, पत्र में कहा गया है कि अर्धसैनिक बलों की तैनाती का खर्च विश्वविद्यालय को सरकार की ओर से मिले अनुदान से उठाया जाएगा.

मंत्रालय का यह पत्र विश्वविद्यालय के कुलपति बिद्युत चक्रबर्ती की ओर लिखा गया है. इससे पहले इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक अन्य रिपोर्ट में बताया था कि कुलपति ने विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों एवं कर्मचारियों के बीच टकराव का हवाला देते हुए कैंपस में सीआईएसएफ की तैनाती अनुरोध किया था.

अपने पत्र में कुलपति ने दावा किया है कि विश्वविद्यालय में तैनात निजी सुरक्षाकर्मियों की निष्ठा तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के प्रति होती है, इसलिए वे विश्व भारती के सुरक्षा अधिकारियों की बात नहीं मानते हैं.

उन्होंने एप्लीकेशन फॉर्म के दाम बढ़ने को लेकर बीते मई में छात्रों द्वारा किए गए प्रदर्शन के बारे में भी पत्र में जानकारी दी है. इसके अनुसार, दाम बढ़ने के विरोध में छात्र धरने पर बैठ गए थे और फैकल्टी सदस्यों तथा अधिकारियों के कैंपस से बाहर जाने पर रोक लगा दी थी.

कुलपति ने आरोप लगाया है कि ऐसी घटनाओं के प्रति सुरक्षाकर्मी चुप्पी साधे रहते हैं. यहां तक कि कई प्रदर्शनकारियों के लिए उचित माहौल तैयार करने में भी मदद करते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने भी इसी तरह का अनुरोध किया था, लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को सीआईएसएफ के पास नहीं भेजा था.

हालांकि दो साल बाद अब लगता है कि इस मुद्दे पर मंत्रालय की सोच बदल गई है. मंत्रालय द्वारा सीआईएसएफ को लिखे गए पत्र में कहा गया है विश्व भारती विश्वविद्यालय में किसी के आने जाने पर रोक नहीं है. यहां चेन स्नैचिंग की घटनाएं होती रहती हैं और निजी सुरक्षाकर्मी ऐसी घटनाओं को रोकने में नाकाम साबित रहती है.