प्रधानमंत्री मोदी की अपील दरकिनार कर फ़ैसले का ‘जश्न’ मना रहे हैं अयोध्या के भाजपाई

अयोध्या में भाजपा के निर्वाचित सांसद, विधायक और पदाधिकारियों ने शनिवार को फ़ैसले के दिन दीप जलाए और मिठाइयां बांटी. सोमवार को पार्टी जिला मुख्यालय पर सार्वजनिक रूप से रामायण पाठ आयोजित हुआ, जहां नेता व कार्यकर्ता बधाइयां देते और लेते रहे. मंगलवार को 1992 की कारसेवा के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए कारसेवकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

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(फोटो: द वायर)

अयोध्या में भाजपा के निर्वाचित सांसद, विधायक और पदाधिकारियों ने शनिवार को फ़ैसले के दिन दीप जलाए और मिठाइयां बांटी. सोमवार को पार्टी जिला मुख्यालय पर सार्वजनिक रूप से रामायण पाठ आयोजित हुआ, जहां नेता व कार्यकर्ता बधाइयां देते और लेते रहे. मंगलवार को 1992 की कारसेवा के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए कारसेवकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

(फोटो: द वायर)
भाजपा विधायक वेद गुप्ता अपने कैम्प ऑफिस में मिठाई खिलाते हुए.

अयोध्या के स्थानीय प्रशासन ने तो गत नौ नवंबर को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनाए गए राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के फैसले को लेकर हर्ष या विषाद के प्रकटीकरण की मनाही कर ही रखी है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राष्ट्र को संबोधित करते हुए देशवासियों से अपील कर चुके हैं कि वे फैसले को किसी की जय या किसी की पराजय की भावना से न देखें और न ही उसे लेकर किसी तरह की खुशी या गम का इजहार करें.

लेकिन विडंबना यह कि जहां देशवासियों ने आम तौर पर उनकी बातें मानकर अपनी भावनाओं को पूरी तरह काबू कर रखा है, अयोध्या में भारतीय जनता पार्टी, यहां तक कि उसके निर्वाचित सांसद, विधायक और पदाधिकारी तक, उनकी अनसुनी कर ‘जश्न’ मना रहे हैं.

उन्होंने शनिवार को फैसले के दिन भी दीप जलाने, दीपावली मनाने और मिठाइयां बांटकर हर्ष के प्रदर्शन से परहेज नहीं ही किया. सोमवार को पार्टी के जिला मुख्यालय पर समारोहपूर्वक सार्वजनिक रूप से रामायण पाठ आयोजित किया गया, जिसमें उसके नेता व कार्यकर्ता एक दूसरे को बधाइयां देते और लेते रहे.

मंगलवार को इसमें परमहंस रामचन्द्र दास, महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवैद्यनाथ और अशोक सिंघल आदि राम जन्मभूमि मन्दिर आंदोलन के अग्रणी नेताओं व मुलायम सिंह के मुख्यमंत्रीकाल में 1992 की बहुचर्चित कारसेवा के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गये कारसेवकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई.

इस अवसर पर भाजपा सांसद लल्लू सिंह ने बाकायदा भाषण देकर आंदोलन की सफलता पर हर्ष जताया. दोपहर बाद हवन-पूजन के साथ इस समारोह का समापन किया गया. दूसरी ओर अयोध्या के पार्टी विधायक वेद प्रकाश गुप्ता के आवास स्थित उनके शिविर कार्यालय में रामलला के पक्ष में फैसले पर सार्वजनिक तौर पर खुशी व्यक्त कर मिठाइयां बांटी गईं.

विधायक ने उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों व नेताओं को मिठाई खिलाकर फैसले की खुशियां मनाईं और परस्पर बधाइयों का आदान-प्रदान किया. व्यापार मंडल के नगर अध्यक्ष एवं विधायक के छोटे भाई चंद्रप्रकाश ने इस बात पर भी खुशी जताई कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से अयोध्या में पर्यटन उद्योग बढ़ेगा और जिले के व्यापारियों को लाभ मिलेगा.

भाजपा के विधि प्रकोष्ठ से जुड़े अधिवक्ताओं ने अयोध्या के कचहरी परिसर में भी खुशी का प्रदर्शन करते हुए लड्डू बांटे. अलबत्ता, उन्होंने अपने इस प्रदर्शन को ‘सौहार्द दिवस’ का नाम दिया. इसमें दावा किया गया कि अनेक मुस्लिम अधिवक्ताओं ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.

भाजपाइयों के इन हर्ष प्रदर्शनों को लेकर एक खास बात यह भी है कि यह तब है, जब अयोध्या के स्थानीय प्रशासन ने नागरिकों की ओर से ऐसे किसी भी प्रदर्शन को रोकने के लिए कई तरह की बंदिशें अभी भी बरकरार रखी हैं.

मूल अयोध्या में तो नागरिक आवागमन तक के लिए बैरियरों के खुलने बंद होने और सुरक्षाकर्मियों की कड़ी पूछताछ व अनुमति के मोहताज हैं. सामान्य नागरिकों पर बंदिशें लगाये रखने और सत्तादल को असकी कार्रवाइयों के लिए निरंकुश छोड़ देने को लेकर प्रशासन की मंशा पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं.

अयोध्या के दैनिक ‘जनमोर्चा’ के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह इसे इस रूप में देखते हैं कि जब भी प्रधानमंत्री देश से कोई अपील करते हैं, वह उसे बिना हील-हुज्जत किए स्वीकार कर लेता है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी और उसके जनसंगठनों के नेता, पदाधिकारी व कार्यकर्ता उसे ज्यादा तवज्जो नहीं देते. न ही गंभीरता से लेते हैं. उत्पाती गोरक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उनके द्वारा दी गई नसीहत को तो भाजपा की राज्य सरकारों ने भी कान नहीं दिया था.

शीतला सिंह के अनुसार, ‘वे समझते हैं कि प्रधानमंत्री की सारी अपीलें मानने के लिए नहीं होतीं. उनमें से कई दिखावे के लिए भी होती हैं.’

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.)

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