अयोध्या फैसला: पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलमा-ए-हिंद

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि अयोध्या जमीन विवाद मामले में जो फैसला आया उसने न्याय नहीं किया.

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Ayodhya: FILE - In this Oct. 29, 1990, file photo, Indian security officer guards the Babri Mosque in Ayodhya, closing off the disputed site claimed by Muslims and Hindus. India’s top court is expected to pronounce its verdict on Saturday, Nov. 9, 2019, in the decades-old land title dispute between Muslims and Hindus over plans to build a Hindu temple on a site in northern India. In 1992, Hindu hard-liners demolished a 16th century mosque in Ayodhya, sparking deadly religious riots in which about 2,000 people, most of them Muslims, were killed across India. AP/PTI(AP11_9_2019_000012B)
(फोटो: एपी/पीटीआई)

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड  ने कहा कि अयोध्या जमीन विवाद मामले में जो फैसला आया उसने न्याय नहीं किया.

Ayodhya: FILE - In this Oct. 29, 1990, file photo, Indian security officer guards the Babri Mosque in Ayodhya, closing off the disputed site claimed by Muslims and Hindus. India’s top court is expected to pronounce its verdict on Saturday, Nov. 9, 2019, in the decades-old land title dispute between Muslims and Hindus over plans to build a Hindu temple on a site in northern India. In 1992, Hindu hard-liners demolished a 16th century mosque in Ayodhya, sparking deadly religious riots in which about 2,000 people, most of them Muslims, were killed across India. AP/PTI(AP11_9_2019_000012B)
(फोटो: एपी/पीटीआई)

नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने रविवार को फैसला किया कि वह अयोध्या जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एआईएमपीएलबी की बैठक में यह फैसला लिया गया. एआईएमपीएलबी ने कहा कि अयोध्या जमीन विवाद मामले में जो फैसला आया उसने न्याय नहीं किया.

एआईएमपीएलबी सदस्य एसक्यूआर इलियास ने बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमने एक समीक्षा याचिका दायर करने का फैसला किया है मस्जिद वाली जमीन के सिवाय हम किसी अन्य भूमि को स्वीकार नहीं कर सकते हैं. इसलिए दी गई भूमि स्वीकार नहीं की जाएगी.’

इस बीच, जमीयत उलमा-ए हिंद ने भी अयोध्या जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया है. जमीयत प्रमुख अरशद मदनी ने इसकी जानकारी दी.

यह निर्णय रविवार को जमीयत कार्य समिति की बैठक में लिया गया, जिसने समीक्षा याचिका दायर करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी. जमीयत ने शुक्रवार को फैसले में एक समीक्षा याचिका दायर करने के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, मदनी ने कहा, ‘इस तथ्य के बावजूद कि हम पहले से ही जानते हैं कि हमारी समीक्षा याचिका 100 प्रतिशत खारिज कर दी जाएगी, हमें समीक्षा याचिका दायर करनी चाहिए. यह हमारा अधिकार है.’

मदनी ने गुरुवार को फैसले को चौंकाने वाला बताते हुए कहा था कि यह उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड का विशेषाधिकार था कि वह 5 एकड़ जमीन को स्वीकार करे कि या नहीं. हालांकि, जमीयत कार्यसमिति का निर्णय प्रस्ताव को रद्द करने का था क्योंकि इस तरह के दान की कोई आवश्यकता नहीं थी.

उन्होंने कहा, ‘एक बार एक मस्जिद का निर्माण हो जाने के बाद यह अंत तक एक मस्जिद रहती है. तो बाबरी मस्जिद थी, है और मस्जिद रहेगी. हालांकि, अगर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़ने के बाद बनाई गई थी, तो हम अपना दावा छोड़ देंगे. इसके अलावा, अगर हमारे पास दावा नहीं है, तो हमें जमीन क्यों दी जाए? यही कारण है कि यह सर्वोच्च न्यायालय का एक चौंकाने वाला फैसला है.’

मालूम हो कि 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि जमीन विवाद पर अपना एकमत फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष का दावा ख़ारिज करते हुए हिंदू पक्ष को जमीन देने को कहा.

एक सदी से अधिक पुराने इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रामजन्मभूमि न्यास को 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक़ मिलेगा. वहीं, सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को अयोध्या में ही पांच एकड़ ज़मीन दी जाएगी.

मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाना होगा और इस ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा का एक सदस्य शामिल होगा. न्यायालय ने कहा कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन अब केंद्र सरकार के रिसीवर के पास रहेगी, जो इसे सरकार द्वारा बनाए जाने वाले ट्रस्ट को सौंपेंगे.

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