बीएसएनएल के कर्मचारी भूख हड़ताल पर बैठे, कंपनी पर जबरन वीआरएस लेने का आरोप लगाया

वित्तीय संकट से जूझ रहीं सरकारी दूरसंचार कंपनियों- बीएसएनएल और एमटीएनएल ने नवंबर की शुरुआत में अपने कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) योजना पेश की थी. बीएसएनएल के प्रबंधन ने दावा किया था कि कुल 1.6 लाख कर्मचारियों में से 77 हज़ार कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन किया है.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

वित्तीय संकट से जूझ रहीं सरकारी दूरसंचार कंपनियों- बीएसएनएल और एमटीएनएल ने नवंबर की शुरुआत में अपने कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) योजना पेश की थी. बीएसएनएल के प्रबंधन ने दावा किया था कि कुल 1.6 लाख कर्मचारियों में से 77 हज़ार कर्मचारियों ने वीआरएस के लिए आवेदन किया है.

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(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: आर्थिक संकट से जूझ रही सरकारी दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि कंपनी प्रबंधन उन्हें जबरन स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए मजबूर किया जा रहा है. कर्मचारियों ने इसके खिलाफ सोमवार को देशव्यापी भूख हड़ताल शुरू की.

ऑल इंडिया यूनियंस एंड एसोसिएशंस ऑफ भारत संचार निगम लिमिटेड (एयूएबी) के संयोजक पी. अभिमन्यु ने कहा कि प्रबंधन कर्मचारियों को धमका रहा है कि यदि वह वीआरएस नहीं लेते हैं तो उन्हें दूर भेजा जा सकता है और उनकी सेवानिवृत्ति उम्र की आयु घटाकर 58 वर्ष की जा सकती है.

संगठन का दावा है कि कंपनी के आधे से अधिक कर्मचारी उसके साथ जुड़े हैं.

अभिमन्यु ने यह भी कहा, ‘हम वीआरएस योजना के खिलाफ नहीं हैं, जो कर्मचारी इसे अपने लिए अच्छा मानते हैं तो वह इसे लें, यह योजना निचले स्तर के कर्मचारियों के लिए फायदेमंद नहीं है, लेकिन उन्हें इसे स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.’

आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, भूख हड़ताल का नोटिस देने वाली यूनियनों ने आरोप लगाया है कि जिन लोगों ने वीआरएस का चुनाव किया है उन्हें पेंशन विनिमय की सुविधा भी नहीं मिलेगी. यह सुविधा 60 साल की उम्र पूरी होने पर ही मिलती है, जिसके तहत अगले 15 साल में मिलने वाली पेंशन का एक-तिहाई हिस्सा एडवांस में मिल जाता है. इसके अलावा जो लोग वीआरएस ले रहे हैं, उन्हें तीसरे वेतन संशोधन का भी फायदा नहीं मिलेगा.

अभिमन्यु ने कहा कि यदि मैनेजमेंट कर्मचारियों को धमकाना बंद करे तो वीआरएस चुनने वाले कर्मचारियों की संख्या काफी घट जाएगी.

मालूम हो कि हाल ही में केंद्र सरकार ने आर्थिक संकट से जूझ रहीं सरकारी दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए 69 हजार करोड़ रुपये के रिवाइवल पैकेज की घोषणा की थी. इसके तहत एमटीएनएल का बीएसएनएल में विलय, संपत्तियों की बिक्री या पट्टे पर देना, कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की पेशकश की गई थी.

पुनरुद्धार पैकेज में कंपनियों द्वारा 15,000 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाने के लिए सरकार की गारंटी, 4जी स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए 20,140 करोड़ रुपये की पूंजी डालना, कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति देनदारी सहित वीआरएस के लिए 29,928 करोड़ रुपये और जीएसटी के तौर पर 3,674 करोड़ रुपये की राशि दिया जाना शामिल है.

बीएसएनएल में करीब 1.68 लाख कर्मचारी हैं जबकि एमटीएनएल के करीब 22,000 कर्मचारी हैं. दोनों कंपनियों पर कुल 40,000 करोड़ रुपये का कर्ज है , जिसमें से आधा कर्ज एमटीएनएल का है, जो सिर्फ दिल्ली और मुंबई में परिचालन करती है. दोनों कंपनियां बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए लंबे समय से स्पेक्ट्रम की मांग कर रही थी ताकि 4जी सेवा शुरू की जा सके.

इसके कुछ दिनों बाद बीएसएनएल और एमटीएनएल ने अपने कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) पेश की थी. सरकार ने दोनों दूरसंचार कंपनियों के कर्मचारियों के लिये वीआरएस अपनाने की अंतिम तिथि 31 जनवरी 2020 तय की है.

बीएसएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पीके पुरवार के अनुसार कंपनी के कुल 1.6 लाख कर्मचारियों में से 77 हजार कर्मचारियों ने वीआरएस का चयन किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)