महाराष्ट्र: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कल शाम पांच बजे तक बहुमत परीक्षण कराया जाए, गुप्त मतदान नहीं

तत्काल बहुमत परीक्षण कराने की शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की मांग पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रोटेम स्पीकर का तत्काल चुनाव हो और फिर बहुमत परीक्षण कराया जाए. कोर्ट ने इस कार्यवाही का लाइव टेलीकॉस्ट और वीडियो रिकॉर्डिंग कराने का भी आदेश दिया है.

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(फोटो: द वायर)

तत्काल बहुमत परीक्षण कराने की शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की मांग पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रोटेम स्पीकर का तत्काल चुनाव हो और फिर बहुमत परीक्षण कराया जाए. कोर्ट ने इस कार्यवाही का लाइव टेलीकॉस्ट और वीडियो रिकॉर्डिंग कराने का भी आदेश दिया है.

(फोटो: द वायर)
(फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के निर्णय को चुनौती देने वाली शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार शाम पांच से पहले महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विधानसभा में बहुमत परीक्षण में गुप्त मतदान नहीं होगा. कोर्ट ने सत्र की वीडियो रिकॉर्डिंग कराने की भी बात कही है.

जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि इस मामले में शपथ नहीं कराया गया इसलिए पहले प्रोटेम स्पीकर का चुनाव किया जाए और फिर बहुमत परीक्षण कराया जाए. कोर्ट ने विधानसभा सत्र का लाइव टेलीकॉस्ट कराने का भी आदेश दिया है.

इस दौरान अदालत ने यह भी कहा कि अदालत और संसदीय कार्यवाही में सीमारेखा की आवश्यकता है.

पीठने अपने आदेश में कहा, ‘मौजूदा मामले में नवनिर्वाचित विधायकों ने अभी तक शपथ ग्रहण नही की है. ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार की खरीद फरोख्त से बचने के लिये जरूरी है कि बहुमत का निर्धारण सदन में ही हो.’

पीठ ने कहा, ‘हमारी सुविचारित राय है कि राज्यपाल को सदन में बहुमत परीक्षण सुनिश्चित करना चाहिए.’

शीर्ष अदालत ने संक्षिप्त प्रक्रिया पूरी करते हुए कहा कि देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की मुख्य याचिका पर जवाब आठ सप्ताह में जवाब दाखिल किए जाएंगे.

न्यायालय ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों और सुशासन के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिये सदन में बहुमत परीक्षण का अंतरिम आदेश देना जरूरी है. संवैधानिक सुचिता को ध्यान में रखते हुए पीठ ने कहा कि राज्य में चुनाव के नतीजे आने के एक महीने बाद भी निर्वाचित सदस्यों को शपथ नहीं दिलायी गई है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य में स्थिर सरकार के लिए जल्द से जल्द सदन में बहुमत परीक्षण कराना होगा और राज्यपाल को निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने के लिए अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त करना चाहिए.

महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधान सभा में भाजपा के 105 सदस्य है और वह सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है. इस चुनाव में शिव सेना को 56, राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर विजय हासिल हुई है.

इससे पहले सोमवार को देवेंद्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के निर्णय को चुनौती देने वाली शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

इससे पहले शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की तत्काल सुनवाई की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने रविवार के दिन भी सुनवाई की थी. तब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने से जुड़े दो दस्तावेजों को पेश करने के लिए सोमवार सुबह 10:30 बजे तक का समय दिया था.

सोमवार को सुनवाई शुरू होने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार बनाने के लिए देवेंद्र फड़णवीस को आमंत्रित करने का राज्यपाल का पत्र और देवेंद्र फड़णवीस के समर्थन पत्र अदालत को सौंप दिया और मामले के पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया था. सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को केंद्र सरकार से इन्हीं दो पत्रों की मांग की थी.

इस दौरान दोनों पक्षों के वकीलों के बीच काफी तीखी बहस हुई. जहां शिवसेना के वकील कपिल सिब्बल और एनसीपी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी तत्काल बहुमत परीक्षण कराने की मांग करते रहे. इस दौरान सिब्बल और सिंघवी ने शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के पास 154 विधायकों का समर्थन होने का दावा करते हुए उनकी सूची भी अदालत को सौंपी.

वहीं, केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के वकील मुकुल रोहतगी और उप मुख्यमंत्री अजित पवार के वकील मनिंदर सिंह ने इसका विरोध किया.

इस दौरान रोहतगी लगातार राज्यपाल को आदेश देने के अदालत के अधिकार पर सवाल उठाते रहे और कहा कि अदालत ने राज्यपाल को आदेश नहीं दे सकती है. राज्यपाल अपने विवेकाधिकार से फैसला करता है.

हालांकि, इस बीच राजभवन में शपथ दिलाए जाने पर सवाल उठाते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, ‘क्या देवेंद्र फड़णवीस के पास बहुमत है. ऐसे मामलों में 24 घंटो में बहुमत परीक्षण का प्रावधान है. बहुमत परीक्षण की सही जगह विधानसभा है न कि राजभवन.’

बता दें कि, महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार की सुबह हुए एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में, भाजपा नेता देवेंद्र फड़नवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली थी. वहीं, एनसीपी नेता और  शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने उनके साथ उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी.

इससे पहले एनसीपी नेता शरद पवार ने शुक्रवार शाम घोषणा की थी कि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के बीच एक समझौता हुआ है कि उद्धव ठाकरे अगले पांच साल के लिए मुख्यमंत्री होंगे, जो गठबंधन के सर्वसम्मत उम्मीदवार थे.

अजीत पवार के इस कदम के बाद शरद पवार ने ट्वीट कर साफ किया कि महाराष्ट्र सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन देने का अजीत पवार का निर्णय उनका व्यक्तिगत निर्णय है न कि एनसीपी का. हम रिकॉर्ड पर कहते हैं कि हम उनके इस फैसले का समर्थन नहीं करते हैं.

इसके बाद शरद पवार ने एनसीपी विधायक दल की बैठक करते हुए शनिवार देर रात अजीत पवार से संसदीय दल के नेता का पद और व्हिप जारी करने का अधिकार छीन लिया. इसके साथ ही कुछ विधायकों को छोड़कर अजीत पवार के साथ गए अधिकतर विधायक शरद पवार के खेमे में वापस लौट आए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)