सरकार ने माना, क़ानून की सख़्ती के बावजूद कम नहीं हुई सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या

केंद्र द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल जनवरी से सितंबर की तुलना में इस साल सितंबर तक सड़क हादसों में 2.2 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन इन हादसों में मरने वालों की संख्या 0.2 प्रतिशत बढ़ गई है.

(फोटो: रॉयटर्स)

केंद्र द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल जनवरी से सितंबर की तुलना में इस साल सितंबर तक सड़क हादसों में 2.2 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन इन हादसों में मरने वालों की संख्या 0.2 प्रतिशत बढ़ गई है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सरकार ने सोमवार को माना कि मोटर वाहन कानून को सख्ती के साथ लागू किए जाने के बावजूद देश में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या में कमी नहीं आई.

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि पिछले साल जनवरी से सितंबर की तुलना में इस साल सितंबर तक सड़क हादसों में 2.2 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन इन हादसों में मरने वालों की संख्या 0.2 प्रतिशत बढ़ गई है.

पूरक प्रश्नों के जवाब में गडकरी ने उच्च सदन को बताया, ‘सड़क हादसों के आज आंकड़े देखने के बाद मुझे दुख से कहना पड़ता है कि अभी भी सड़क हादसों और मरने वालों की संख्या में कोई ज्यादा फर्क नहीं आया है.’

गडकरी ने इसके लिए सड़क इंजीनियरिंग संबंधी खामियों को प्रमुख वजह बताते हुए कहा कि सड़क इंजीनियरिंग में सुधार और सड़क हादसों वाले ब्लैक स्पॉट की पहचान कर इन्हें दुरुस्त करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने सात सात हजार करोड़ रुपये की दो परियोजनाएं विश्व बैंक और एशिया विकास बैंक (एडीबी) को सौंपी है.

उन्होंने कहा कि संशोधित कानून में यातायात नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना राशि में भारी इजाफे का उद्देश्य राजस्व प्राप्त करना नहीं बल्कि 25 साल पहले निर्धारित जुर्माना राशि को समयानुकूल बनाते हुए लोगों को कानून के पालन के प्रति जागरुक बनाना है.

उल्लेखनीय है कि संशोधित मोटर वाहन कानून इस साल एक सितंबर से लागू हुआ था.

गडकरी ने तमिलनाडु में सड़क हादसों में 29 प्रतिशत कमी आने का हवाला देते हुए कहा कि इस कानून को कारगर तरीके से लागू करने के लिए तमिलनाडु का मॉडल अनुकरणीय है और अन्य राज्यों से भी इसे अपनाने का अनुरोध किया गया है.

वाहन की कीमत से अधिक जुर्माना वसूलने के प्रावधानों पर सवाल खड़े वाले एक पूरक प्रश्न के जवाब में गडकरी ने कहा कि संशोधित कानून में जुर्माना संबंधी प्रावधानों को समवर्ती सूची के तहत निर्धारित किया गया है इसलिए राज्य अपनी सहूलियत से जुर्माने की राशि का निर्धारण कर सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल जनवरी से सितंबर तक देश में कुल 3.46 लाख सड़क हादसे हुए. इनमें 1,12,469 लोगों की मौत हुई थी और 3.55 लाख लोग घायल हुए थे.

वहीं इस साल जनवरी से सितंबर के दौरान सड़क दुर्घटनाएं 2.2 प्रतिशत की कमी के साथ घटकर 3.39 लाख हुईं लेकिन इस अवधि में मृतकों की संख्या 0.2 प्रतिशत इजाफे के साथ 1,12,735 हो गई.

हर साल सड़क दुर्घटनाओं में तकरीबन 20 हजार पैदल यात्री मारे जाते हैं

इसके अलावा देश में हर साल पैदल चलने वाले औसतन 19,620 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं. यह आंकड़ा सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों की कुल संख्या का करीब 12 प्रतिशत है.

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान पेश किए गए सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस विभाग से प्राप्त 2016 से 2018 के सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों से यह बात स्पष्ट हुई है.

मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016 में देश में सड़क दुर्घटनाओं में 1,50,785 लोग मारे गए, जिसमें 15,746 पैदल यात्री शामिल हैं.

वर्ष 2017 में सड़क दुर्घटनाओं में 1,47,913 लोग मारे गए, जिसमें 20,457 पैदल यात्री शामिल हैं. साल 2018 में 1,51,417 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए, जिसमें 22,656 पैदल यात्री शामिल हैं.

इस प्रकार पिछले तीन वर्षो में सड़क दुर्घटनाओं में औसतन 19,620 पैदल यात्री मारे गए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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