छत्तीसगढ़: सरकेगुडा फ़र्ज़ी एनकाउंटर मामले में कार्रवाई की मांग

छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के सरकेगुडा में साल 2012 में सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में 17 लोगों को मार गिराने का दावा किया था. इसमें छह नाबालिग भी थे. मामले की न्यायिक जांच रिपोर्ट में पता चला है कि मारे गए लोग नक्सली नहीं, ग्रामीण थे.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

छत्तीसगढ़ नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के सरकेगुडा में साल 2012 में सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में 17 लोगों को मार गिराने का दावा किया था. इसमें छह नाबालिग भी थे. मामले की न्यायिक जांच रिपोर्ट में पता चला है कि मारे गए लोग नक्सली नहीं, ग्रामीण थे.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)
(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

रायपुर: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के विधायकों और अन्य आदिवासी नेताओं ने राज्यपाल अनुसूईया उईके से मुलाकात कर सरकेगुडा फर्जी मुठभेड़ की जांच पर आए रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने की मांग की है.

राज्य के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में 2012 में सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में 17 लोगों को मार गिराने का दावा किया था, जिसके बाद मामले की न्यायिक जांच की घोषणा की गई थी.

छत्तीसगढ़ विधानसभा में बीते दो नवंबर को शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकेगुडा मामले की न्यायिक जांच की रिपोर्ट पेश की थी.

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वीके अग्रवाल की अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय समिति ने इस रिपोर्ट में सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर टिप्पणी की है तथा कहा है कि सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में बैठक कर रहे ग्रामीणों पर गोली चलाई थी, जिसमें ग्रामीण मारे गए थे तथा घायल हुए थे, जबकि इस घटना में ग्रामीणों की ओर से किसी ने भी गोली नहीं चलाई थी.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बैठक के दौरान वहां किसी भी माओवादी के मौजूद होने के सबूत नहीं मिले हैं.

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री शैलेष नितिन त्रिवेदी ने बताया कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम और आबकारी मंत्री कवासी लखमा के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा और फर्जी मुठभेड़ में शामिल लोगों पर तथा उन्हें संरक्षण देने वालों पर कार्रवाई की मांग की.

त्रिवेदी ने बताया कि ज्ञापन में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पूर्ववर्ती सरकार की गलत नीतियों के कारण बेकाबू हो गई है तथा उसे लगाम लगाने की कोई ठोस नीति तैयार नहीं की गयी बल्कि सीधे-सीधे ग्रामीण आदिवासियों को निशाना बनाया गया.

कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने कहा है कि सारकेगुड़ा न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में हुए खुलासे से स्पष्ट हो गया है कि 28-29 जून 2012 की रात निर्दोष आदिवासियों की नृशंस हत्याएं हुईं. कांग्रेस पार्टी इस ज्ञापन के माध्यम से मांग करती है कि सारकेगुड़ा, बीजपंडुम में बैठक कर रहीं महिलाओं, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का मार डाला गया था. इसमें 16 लोगों की रात में तथा एक की सुबह हत्या कर दी गई थी.

प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री ने बताया कि राज्यपाल से चर्चा के दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम और प्रतिनिधिमंडल में शामिल कांग्रेस विधायकों ने पीड़ित परिवारों को 20 लाख रुपये मुआवजा और एक-एक सदस्य को शासकीय नौकरी दिए जाने की भी मांग रखी.

छत्तीसगढ के बीजापुर जिले में 28—29 जून वर्ष 2012 को केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल और छत्तीसगढ़ पुलिस के दल ने सरकेगुडा गांव में 17 नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया था. इनमें छह नाबालिग भी थे.

सुरक्षा बलों ने दावा किया था कि नक्सली गतिविधि की सूचना के बाद माओवादियों के खिलाफ अभियान में निकले सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में नक्सलियों को मार गिराया था. जब पूववर्ती भारतीय जनता पार्टी की सरकार में इस मुठभेड़ को लेकर हंगामा हुआ तब राज्य सरकार ने इस मामले की न्यायिक जांच की घोषणा की थी.

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