पीएनबी घोटाला: नीरव मोदी भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित

हीरा कारोबारी नीरव मोदी नीरव और उनके मामा मेहुल चोकसी पंजाब नेशनल बैंक से तकरीबन 14,000 करोड़ रुपये का फ़र्ज़ीवाड़ा करने के मामले में मुख्य आरोपी हैं, जो गारंटी पत्र जारी करने में कथित धोखाधड़ी से जुड़ा है.

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(फोटो साभार: फेसबुक/नीरव मोदी)

हीरा कारोबारी नीरव मोदी नीरव और उनके मामा मेहुल चोकसी पंजाब नेशनल बैंक से तकरीबन 14,000 करोड़ रुपये का फ़र्ज़ीवाड़ा करने के मामले में मुख्य आरोपी हैं, जो गारंटी पत्र जारी करने में कथित धोखाधड़ी से जुड़ा है.

(फोटो साभार: फेसबुक/नीरव मोदी)
(फोटो साभार: फेसबुक/नीरव मोदी)

मुंबईः पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से 13,600 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के मुख्य आरोपी नीरव मोदी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर विशेष अदालत ने गुरुवार को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया.

विजय माल्या के बाद नीरव मोदी दूसरे ऐसे कारोबारी हैं, जिन्हें नए भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया.

यह अधिनियम पिछले साल अगस्त में प्रभाव में आया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नीरव मोदी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के लिए नए धोखाधड़ी रोधी कानून के तहत ईडी ने जुलाई 2018 में एक याचिका दायर की थी.

नीरव मोदी के वकीलों का कहना है कि उन्हें भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित नहीं किया जा सकता, क्योंकि भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) एक्ट के तहत निर्धारित विभिन्न कानूनी जरूरतों को सीबीआई द्वारा पूरा नहीं किया गया.

बता दें कि इस अधिनियम के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी उस शख्स को कहा जाता है, जिसके खिलाफ एक निश्चित अपराध में अरेस्ट वॉरंट जारी हुआ हो और जो आपराधिक मुकदमे से बचने के लिए भारत छोड़ चुका हो या विदेश में रहता हो या जिसने कानूनी कार्यवाही का सामना नहीं करने के लिए भारत लौटने से इनकार कर दिया हो. एक बार किसी शख्स को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने पर अभियोजक एजेंसी के पास उसकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार हो जाता है.

इससे पहले विशेष सीबीआई कोर्ट ने बुधवार को पीएनबी घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी और दो अन्य के खिलाफ मुनादी आदेश जारी किया था.

मालूम हो कि जनवरी 2018 में पीएनबी घोटाले के उजागर होने के बाद से सीबीआई और ईडी नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चोकसी की जांच कर रही है.

नीरव और उसका मामा मेहुल चोकसी पंजाब नेशनल बैंक से तकरीबन 14,000 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा करने के मामले में मुख्य आरोपी हैं जो गारंटी पत्र जारी करने में कथित धोखाधड़ी से जुड़ा है.

पीएनबी ने आरोप लगाया है कि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने धोखाधड़ी की है, जिसकी वजह से पीएनबी को दो अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है.

दोनों पिछले साल जनवरी में ही जांच शुरू होने से पहले ही देश छोड़कर फरार हो गए थे.

नीरव मोदी को इस साल मार्च में  लंदन में गिरफ्तार किया गया था. उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अभी लंबित है. जुलाई, 2018 में केंद्रीय एजेंसी ने नए एफईओ अधिनियम के तहत नीरव मोदी को भगोड़ा घोषित कराने के लिए आवेदन दिया था.

नीरव मोदी की हिरासत बढ़ी, दो जनवरी को वीडियो लिंक के जरिये होगा पेश

लंदन: ब्रिटेन की एक अदालत ने बीते बुधवार को सुनवाई के दौरान भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की हिरासत की अवधि बढ़ा दी है और उन्हें दो जनवरी को जेल से वीडियो लिंक के जरिये पेश होने को कहा है.

नीरव मोदी वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में लंदन की वांड्सवर्थ जेल से अपनी 28 दिन की ‘शुरुआती सुनवाई’ के लिए उपस्थित हुए. न्यायाधीश गैरेथ ब्रैंस्टन ने फिर से पुष्टि की है कि प्रत्यर्पण पर सुनवाई अगले साल 11 मई को शुरू होगी और यह पांच दिन चलेगी.

न्यायाधीश ने यह भी फैसला दिया है कि नीरव मोदी दो जनवरी 2020 को वीडियो लिंक के जरिये पेश हों.

इस बीच, उन्हें 28 दिन हर रोज अदालत के सामने आना होगा.

नीरव ने पिछले महीने नजरबंदी में रहने की गारंटी देते हुए जमानत की अर्जी लगायी थी. यह एक अजीब पेशकश थी क्योंकि आतंकवाद के मामलों में संदिग्ध व्यक्तियों को इस प्रकार निरुद्ध किया जाता है.

नीरव मोदी ने साथ ही यह भी दुहाई दी थी कि मार्च में गिरफ्तार किए जाने के बाद वांड्सवर्थ जेल में सलाखों के पीछे रहते हुए उसका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ गया है.

ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने कहा कि इस साल की शुरुआत में ब्रिटेन का उच्च न्यायालय नीरव मोदी की याचिका ठुकरा चुका है इसलिए उच्च न्यायालय में जमानत के लिए अपील की कोई और संभावना नहीं है.

सीपीएस के प्रवक्ता ने कहा, ‘आप सिर्फ एक बार अपील कर सकते हैं और बार-बार अपील नहीं कर सकते हैं.’

इस बीच, अगले साल की शुरुआत में प्रत्यर्पण मुकदमे की सुनवाई तक नीरव मोदी को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में ‘प्रारंभिक’ सुनवाई के लिए पेश होना होगा.

नीरव मोदी ने धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को खारिज किया था. हूगो कीथ के नेतृत्व में बचाव पक्ष ने दावा किया है कि भारत सरकार ने गलत तरीके से नीरव मोदी का नाम ‘विश्वविख्यात घोटालेबाज’ के रूप में प्रचारित कर उसे ‘कलंकित’ किया है.

नीरव के वकीलों ने नई जमानत याचिका के लिए जरूरी परिस्थितियों में बदलाव के हिस्से के रूप में पूर्व में 20 लाख पाउंड की गारंटी की जगह 40 लाख पाउंड देने पेशकश की थी.

उन्होंने न्यायालय को बताया कि साथी कैदियों ने उनके मुवक्किल पर हमला भी किया था.
नीरव मोदी के वकीलों ने अदालत से शिकायत की है कि नीरव के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर डॉक्टर की रपट लीक की गयी है और इसमें भारत का हाथ है.

जज ने कहा कि यदि इस लीक का स्रोत सचमुच भारत निकला तो यह उसके प्रति अदालत के विश्वास को प्रभावित करेगी. लेकिन भारत की ओर से खड़े ब्रिटेन की अभियोजना सेवा के वकीलों ने भी इस तरह के लीक पर चिंता जताई पर कहा कि इसमें भारत का कोई हाथ नहीं है.

नीरव मोदी 19 मार्च को गिरफ्तारी के बाद दक्षिण-पश्चिम लंदन की वांड्सवर्थ जेल में है. भारत सरकार के अनुरोध पर स्कॉटलैंड यार्ड (लंदन पुलिस) ने प्रत्यर्पण वारंट की तामील करते हुए उसे गिरफ्तार किया था.

 (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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