हैदराबाद एनकाउंटर: हाईकोर्ट ने डॉक्टर के रेप-हत्या के आरोपियों के शव सुरक्षित रखने को कहा

तेलंगाना हाईकोर्ट ने यह आदेश मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को मिले एक प्रतिवेदन पर दिया, जिसमें महिला पशु चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के आरोपियों के कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के मामले पर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई थी.

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साइबराबाद के तत्कालीन पुलिस आयुक्त वीसी सज्जनार (फोटोः पीटीआई)

तेलंगाना हाईकोर्ट ने यह आदेश मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को मिले एक प्रतिवेदन पर दिया, जिसमें महिला पशु चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के आरोपियों के कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के मामले पर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई थी.

Hyderabad: Cyberabad Police Commissioner VC Sajjanar, who carried out the "encounter" of the four accused in the Hyderabad veterinarian rape and murder case, addresses the media, in Hyderabad, Friday, Dec. 6, 2019. (PTI Photo) (PTI12_6_2019_000238B)
हैदराबाद में महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के आरोपियों के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद साइबराबाद पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार (दाएं से दूसरे) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. (फोटो: पीटीआई)

हैदराबाद: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के बाद, अब तेलंगाना हाईकोर्ट ने महिला पशु चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के आरोपियों के कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के मामले का संज्ञान लिया है.

शुक्रवार को अदालत ने शुक्रवार रात 8 बजे के बाद महाधिवक्ता को तलब किया था. महाधिवक्ता ने अदालत को सूचित किया कि महबूबनगर के सरकारी जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम किया जा रहा है जो कि अस्पताल के अधीक्षक और हैदराबाद के गांधी अस्पताल एक फोरेंसिक टीम की देखरेख में हो रहा है.

इसके बाद तेलंगाना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को महिला पशु चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के आरोपियों के कथित मुठभेड़ में मारे जाने के बाद उनके शवों को नौ दिसंबर रात आठ बजे तक सुरक्षित रखने के निर्देश दिए.

हाईकोर्ट ने यह आदेश मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को मिले एक प्रतिवेदन पर दिया, जिसमें घटना पर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई थी. इसमें आरोप लगाया गया है कि यह न्यायेतर हत्या है.

हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी आरोपियों के शवों का पोस्टमॉर्टम होने के बाद उसका वीडियो सीडी में अथवा पेन ड्राइव में महबूबनगर के प्रधान जिला न्यायाधीश को सौंपा जाए.

अदालत ने महबूबनगर के प्रधान जिला न्यायाधीश के सीडी अथवा पेन ड्राइव लेने और उसे कल शाम तक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को सौंपने के निर्देश दिए.

हाईकोर्ट की खंड पीठ ने कहा, ‘हम आगे निर्देश देते हैं कि मुठभेड़ में मारे गए चारों मृतकों/ आरोपियों/संदिग्धों के शवों को राज्य नौ दिसंबर शाम आठ बजे तक संरक्षित रखे.’

बता दे कि, एनएचआरसी ने भी महिला पशु चिकित्सक के सामूहिक बलात्कार और फिर उसकी हत्या कर देने के चारों आरोपियों के कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने का शुक्रवार को संज्ञान लिया और मामले की जांच के आदेश दिए.

एनएचआरसी ने कहा कि आज हुई यह मुठभेड़ चिंता का विषय है और इसकी सावधानी से जांच होनी चाहिए.

एनएचआरसी ने कहा, ‘आयोग का यह मानना है कि इस मामले की बड़ी सावधानी से जांच किए जाने की आवश्यकता है, इसी लिए आयोग ने अपने महानिदेशक (जांच) से तथ्यों का पता लगाने के लिए घटनास्थल पर तत्काल एक टीम भेजने को कहा है.’

आयोग ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) की अगुवाई में आयोग की जांच शाखा के दल द्वारा तत्काल हैदराबाद के लिए निकलने और जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देने की संभावना है. उसने कहा कि घटना से साफ पता चलता है कि पुलिस कर्मी ‘घटना पर आरोपियों द्वारा किसी प्रकार की अप्रिय घटना किए जाने के लिए तैयार और पूरी तरह सतर्क’ नहीं थे, जिसके कारण चारों की मौत हो गई.

आयोग ने कहा कि मृतकों को पुलिस ने जांच के दौरान गिरफ्तार किया था और इस मामले पर फैसला अभी सुनाया जाना था. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति यदि वास्तव में दोषी थे तो कानून के अनुसार सजा दी जाती.

इससे पहले भी एनएचआरसी ने कहा था कि आपात स्थिति में तत्काल कार्रवाई करने के लिए पुलिस के पास कोई ‘मानक संचालन प्रक्रिया’ नहीं है.

आयोग ने कहा, ‘जीवन का अधिकार और कानून के समक्ष समानता मौलिक मानवाधिकार हैं जो उन्हें भारत के संविधान ने दिए हैं.’

उसने स्वीकार किया कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते यौन उत्पीड़न और हिंसा की घटनाओं ने लोगों में डर और आशंका का माहौल पैदा कर दिया है. आयोग ने कहा कि भले ही किसी आरोपी को पुलिस ने ही गिफ्तार क्यों न किया हो, हर परिस्थिति में मानव जीवन की क्षति समाज को गलत संदेश देगी.

आयोग ने कहा कि एनएचआरसी ने यौन उत्पीड़न की ‘बढ़ती घटनाओं’ पर गंभीर चिंता जताते हुए राष्ट्रीय केंद्र तथा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है और उनसे ऐसे मामलों से निपटने के मानक तौर-तरीकों तथा निर्भया फंड के इस्तेमाल के बारे में जानकारी मांगी.

बीते 27 नवंबर की रात में हैदराबाद शहर के बाहरी इलाके में सरकारी अस्पताल में कार्यरत 25 वर्षीय पशु चिकित्सक से चार युवकों ने बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी थी. ये चारों युवक लॉरी मजदूर हैं.

इस जघन्य अपराध के सिलसिले में चारों आरोपी युवकों को 29 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था. अगले दिन 30 नवंबर को इन सभी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.

महिला डॉक्टर के लापता होने की एफआईआर दर्ज करने में लापरवाही बरतने के मामले में तीन पुलिसकर्मियों को बर्खास्त भी किया जा चुका है. 27 नवंबर की रात महिला डॉक्टर लापता हो गई थीं और अगली सुबह उनका जला हुआ शव हैदराबाद के शादनगर में एक निर्माणाधीन फ्लाईओवर के नीचे मिला था.

आरोप है कि 27 नवंबर की शाम चारों आरोपियों ने जान-बूझकर महिला डॉक्टर की स्कूटी पंक्चर की थी और फिर मदद के बहाने उन्हें सूनसान जगह पर ले जाकर उनके साथ बलात्कार किया और हत्या कर दी. फिर शव को जला दिया.

इस घटना को लेकर पूरे देश में आक्रोश उत्पन्न हो गया है. देश के विभिन्न शहरों में चारों आरोपियों को फांसी की सजा देने के मांग के साथ प्रदर्शन भी किए जा रहे थे.

इस बीच शुक्रवार की सुबह पुलिस ने पशु चिकित्सक के साथ बलात्कार और फिर उसकी हत्या करने के मामले के सभी चारों आरोपियों को कथित मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया.

इस संबंध में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि घटना सुबह साढ़े छह बजे की है. जांच के लिए पुलिस आरोपियों को घटनाक्रम की पुनर्रचना के लिए घटनास्थल पर ले गई थी.

उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (आरोपियों) पुलिस से हथियार छीने और पुलिस पर गोलियां चलाईं. आरोपियों ने भागने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस ने जवाब में गोलियां चलाईं. इस दौरान चारों आरोपी मारे गए.’ अधिकारी ने बताया कि इस घटना में दो पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)