दिल्ली आग त्रासदी: अदालत ने संपत्ति के मालिक, प्रबंधक को 14 दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा

राजधानी दिल्ली में स्थित रानी झांसी रोड पर चार मंजिला फैक्ट्री में रविवार सुबह लगी भीषण आग में 43 श्रमिक मारे गए थे. मरने वाले अधिकतर लोग बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूर थे.

New Delhi: A view of the damage caused by a fire in a factory at Rani Jhansi Road, in New Delhi, Sunday, Dec. 8, 2019. Atleast 35 people were killed and several others injured in the mishap. (PTI Photo) (PTI12_8_2019_000008B)
नई दिल्ली के अनाज मंडी स्थित वह इमारत, जहां आग लगी. (फोटो: पीटीआई)

राजधानी दिल्ली में स्थित रानी झांसी रोड पर चार मंजिला फैक्ट्री में रविवार सुबह लगी भीषण आग में 43 श्रमिक मारे गए थे. मरने वाले अधिकतर लोग बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूर थे.

New Delhi: A view of the damage caused by a fire in a factory at Rani Jhansi Road, in New Delhi, Sunday, Dec. 8, 2019. Atleast 35 people were killed and several others injured in the mishap. (PTI Photo) (PTI12_8_2019_000008B)
नई दिल्ली के अनाज मंडी स्थित वह इमारत, जहां आग लगी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर दिल्ली के भीड़भाड़ वाले अनाज मंडी इलाके के उस चार मंजिला इमारत के मालिक मोहम्मद रेहान और प्रबंधक मोहम्मद फुरकान को सोमवार को 14 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया, जिसमें रविवार की सुबह भीषण आग लग जाने के कारण 43 लोगों की मौत हो गई थी.

पुलिस ने रेहान और फुरकान की हिरासत की मांग की जिसे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मनोज कुमार ने मंजूर कर लिया. अदालत ने कहा कि घटना की विभीषिका को देखते हुए इसकी बहुआयामी जांच की जरूरत है और इसलिए आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजे जाने की जरूरत है.

पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या और आग के संदर्भ में लापरवाह रवैया अपनाने के लिए भादंसं की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया था. मामला अपराध शाखा के पास भेज दिया गया है.

सुनवाई के दौरान पुलिस ने अदालत से कहा कि शुरुआती जांच से पता चला है कि कुछ अन्य आरोपी थे और उनकी भूमिका का पता लगाने के लिए दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इमारत में प्राधिकरणों से मंजूरी के बगैर फैक्टरी चलती थी.

पुलिस ने कहा कि भवन के तीन मालिक थे और उन्होंने अलग-अलग लोगों को भवन किराये पर दे रखा था जिनकी भूमिका की भी जांच किया जाना है.

पुलिस ने अदालत में कहा, ‘यह संवेदनशील मामला है. अधिकतर लोग दूर दराज के इलाकों से थे. अभी तक मृतकों के नाम और पते की भी पहचान नहीं हुई है. यह जटिल प्रक्रिया है. रेहान और फुरकान बचपन के दोस्त हैं और वे 2003 से एक साथ व्यवसाय कर रहे हैं. दोनों आरोपियों को पुलिस हिरासत में लेना जरूरी है. अन्यथा न्याय नहीं हो पाएगा.’

रेहान और फुरकान के वकील ने रिमांड के आग्रह का विरोध किया और कहा कि पुलिस पहले ही सभी दस्तावेजों और संपत्ति के समझौता पत्रों को जब्त कर चुकी है. वकील ने अदालत से कहा, ‘जरूरत पड़ने पर आरोपी दूसरे दस्तावेज भी मुहैया करा देंगे. पुलिस रिमांड की जरूरत नहीं है.’

पुलिस ने अदालत को यह भी सूचित किया कि मामले को अपराध शाखा को स्थानांतरित करने के लिए उन्हें कोई लिखित आदेश प्राप्त नहीं हुआ है.

दिल्ली सरकार ने अग्निकांड की जांच के लिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे और सात दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा. 1997 में हुए उपहार अग्निकांड के बाद यह सबसे भीषण आग त्रासदी थी. मरने वाले अधिकतर लोग बिहार और उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूर थे.

आज तक के अनुसार, दिल्ली हाईकोर्ट ने अनाज मंडी में लगी आग पर सीबीआई जांच की मांग को लेकर लगाई गई जनहित याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि अगर इस याचिका को अभी सुना जाता है तो यह बहुत जल्दबाजी होगी. परसों ही यह दुर्घटना हुई है, लिहाजा पुलिस को इस मामले में अभी जांच पूरी करने की जरूरत है.

हाईकोर्ट ने आगे कहा कि अगर जांच में कोई खामी रहती है तो याचिकाकर्ता दोबारा कोर्ट में याचिका लगा सकता है.

वरिष्ठ वकील अवध कौशिक की तरफ से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया था कि पूरे मामले की जांच दिल्ली पुलिस के बजाए न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए.

याचिका में यह भी कहा गया कि ना सिर्फ इस बिल्डिंग का निर्माण अवैध था बल्कि जिस तरह से इस बिल्डिंग में प्लास्टिक पैकिंग को बनाने का काम हो रहा था, वो पूरी तरह से ना सिर्फ गैरकानूनी था बल्कि उसके लिए ना तो किसी तरह का कोई लाइसेंस लिया गया ना ही इसका कोई रजिस्ट्रेशन कराया गया. फैक्ट्री को चलाने के लिए ना तो कोई सर्टिफिकेट लिया गया और ना ही यहां पर फायर सेफ्टी के कोई इंतजाम थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)