रॉ ने कहा था, नागरिकता संशोधन विधेयक का इस्तेमाल भारत में घुसपैठ करने के लिए किया जा सकता है

इस साल जनवरी में संयुक्त संसदीय समिति द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की खुफिया एजेंसी रॉ ने इस विधेयक के पुराने संस्करण पर गहरी चिंता व्यक्ति की थी.

Guwahati: Activists of Krishak Mukti Sangram Samiti (KMSS) adviser Akhil Gogoi and others raise slogans during a protest against the Citizenship Amendment Bill (CAB), in Guwahati, Thursday, Dec. 5, 2019. (PTI Photo)(PTI12_5_2019_000049B)

इस साल जनवरी में संयुक्त संसदीय समिति द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की खुफिया एजेंसी रॉ ने इस विधेयक के पुराने संस्करण पर गहरी चिंता व्यक्ति की थी.

Guwahati: Activists of Krishak Mukti Sangram Samiti (KMSS) adviser Akhil Gogoi and others raise slogans during a protest against the Citizenship Amendment Bill (CAB), in Guwahati, Thursday, Dec. 5, 2019. (PTI Photo)(PTI12_5_2019_000049B)
असम में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ में विरोध प्रदर्शन करते लोग. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) ने नागरिकता संशोधन विधेयक के पुराने संस्करण पर एक संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष अपनी आशंका व्यक्त की थी, जिसे बीते नौ सितंबर को लोकसभा में पेश किया गया था और इसे पारित भी कर दिया गया.

इस विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. आज इस विधेयक के राज्यसभा में पेश किया जा सकता है.

नागरिकता संशोधन विधेयक उन मुसलमानों को नागरिकता देने के दायरे से बाहर रखा गया है जो भारत में शरण लेना चाहते हैं. इस प्रकार भेदभावपूर्ण होने के कारण इसकी आलोचना की जा रही है और इसे भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बदलने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है. अभी तक किसी को उनके धर्म के आधार पर भारतीय नागरिकता देने से मना नहीं किया गया है.

सामाजिक और राजनीतिक आधार पर इसका विरोध करने वालों के अलावा रॉ ने इस विधेयक के पुराने संस्करण को लागू करने को लेकर सुरक्षा के संबंध में चिंता जाहिर की थी, जिसे लोकसभा द्वारा पारित किया गया था लेकिन राज्यसभा द्वारा मंजूरी नहीं मिल पाई थी.

इस साल जनवरी में लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त संसदीय समिति द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, रॉ के एक वरिष्ठ नौकरशाह ने संयुक्त संसदीय समिति के सामने कहा था कि उन्हें ‘बड़ी चिंता’ है कि नागरिकता संशोधन विधेयक यानी कि सीएबी का ऐसे विदेशी द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है, जो भारतीय हितों के लिए सही नहीं है.

उन्होंने कहा कि वास्तव में सीएबी एक ऐसा कानूनी ढांचा बन सकता है, जिसका उपयोग वे भारत में घुसपैठ करने के लिए कर सकते हैं.

रॉ के अधिकारी ने कहा, ‘जो एजेंसियां हमारे लिए विरोधी हैं उनके पास ऐसा कानूनी ढांचा नहीं होना चाहिए जिसके जरिये वे हमारी स्थिति का शोषण कर सकें और अपने ही लोगों को हमारे देश में घुसपैठ करा सकें. ये हमारे लिए बहुत चिंता का विषय है.’

माना जाता है कि रॉ कि संयुक्त सचिव सुजीत चटर्जी ने ये बयान दिया था. संयुक्त संसदीय समिति की इस रिपोर्ट में भर्त्रुहरि महताब, डेरेक ओ ब्रायन, मोहम्मद सलीम, अधीर रंजन चौधरी और सुष्मिता देव सहित नौ सांसदों का असहमति (डिसेंट) भी दर्ज है.

भारत के इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के वरिष्ठ अधिकारी भी समिति के सामने पेश हुए थे. उन्होंने कहा कि इससे एक काफी छोटी संख्या 31,333 लोग ही लाभान्वित होंगे.

अब तक अन्य देशों के सताए गए इन छह धर्मों के 31,333 लोगों को भारत में रहने के लिए ‘दीर्घकालिक वीजा’ दिया गया है. इसमें हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी शामिल हैं. इस सूची में कोई भी मुसलमान शामिल नहीं है. वर्तमान में भारतीय नागरिकता पाने का इंतजार कर रहे ये लोग इस विधेयक के तत्काल लाभार्थी होंगे.

आईबी से यह भी पूछा गया कि भारत में किस रफ्तार से ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया या पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन कार्ड की धोखाधड़ी कर रहे हैं और क्या इसका दुरुपयोग वास्तव में इतनी गंभीर समस्या है.

आईबी निदेशक ने इस पर कहा, ‘संख्या के संदर्भ में, वास्तविक दुरुपयोग वास्तव में काफी कम हो सकता है.’ उन्होंने कहा कि आईबी ने धोखाधड़ी के माध्यम से ओसीआई/पीआईओ कार्ड प्राप्त करने के बेहद कम मामलों को पाया है.

गृह मंत्रालय ने भी कहा है कि वास्तव में इस बात का कोई आकलन नहीं है कि ओसीआई कार्ड का कितनी बार दुरुपयोग किया गया है.

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