नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन रोकने के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय दो दिन के लिए बंद

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं. हालांकि छात्रसंघ भवन के सामने इकट्ठा होकर छात्र धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

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एएमयू और जामिया के छात्रों पर कार्रवाई के खिलाफ इलाहाबाद विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन करते छात्र. (फोटो: ट्विटर/@yadavhimanshuHR)

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं. हालांकि छात्रसंघ भवन के सामने इकट्ठा होकर छात्र धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

एएमयू और जामिया के छात्रों पर कार्रवाई के खिलाफ इलाहाबाद विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन करते छात्र. (फोटो: ट्विटर/@yadavhimanshuHR)
एएमयू और जामिया के छात्रों पर कार्रवाई के खिलाफ इलाहाबाद विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन करते छात्र. (फोटो: ट्विटर/@yadavhimanshuHR)

इलाहाबाद: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) और जामिया मिलिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) में 16 और 17 दिसंबर के लिए छुट्टी घोषित कर दी गई. परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गईं और परीक्षार्थियों को गेट से ही लौटा दिया गया.

अमर उजाला के अनुसार, हिंसा की आशंका को देखते हुए इविवि परिसर के आसपास बड़ी संख्या में फोर्स तैनात कर दी गई. हालांकि दोपहर 12 बजे छात्रसंघ भवन के सामने काफी छात्र इकट्ठा हो गए और उन्होंने एएमयू एवं जामिया के छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया, जो पूरे दिन चला.

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में एएमयू और जामिया मिलिया में बवाल बढ़ने के बाद सोमवार सुबह जिला प्रशासन के अफसरों ने इविवि प्रशासन से संपर्क किया. इसके बाद अचानक निर्णय लेते हुए इविवि प्रशासन ने विश्वविद्यालय में सोमवार को छुट्टी घोषित कर दी और निर्णय लिया कि स्थगित की गईं परीक्षाएं 10 जनवरी को आयोजित की जाएंगी.

देर शाम मंगलवार को भी अवकाश घोषित कर दिया गया. साथ ही मंगलवार को प्रस्तावित परीक्षाएं जनवरी के दूसरे हफ्ते में कराने का निर्णय लिया गया.

(फोटो: सोशल मीडिया)
(फोटो: सोशल मीडिया)

अचानक छुट्टी घोषित होते ही सोमवार सुबह से विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश के लिए जितने गेट हैं, उन सभी पर ताले जड़ दिए गए. विश्वविद्यालय में सेमेस्टर की परीक्षाएं चल रही हैं.

परीक्षा देने पहुंचे विद्यार्थियों को बाहर से ही लौटा दिया गया. इस बीच छात्रसंघ भवन और आसपास बड़ी संख्या में फोर्स तैनात कर दी गई है.

दोपहर 12 बजे से छात्रसंघ भवन पर एएमयू और छात्रों पर हुए लाठीचार्ज एवं नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में धरना-प्रदर्शन भी प्रस्तावित था. फोर्स की मौजूदगी में छात्र वहां पहुंचे और धरने पर बैठ गए. सीनेट परिसर में दिनभर तनाव की स्थिति बनी रही.

पुलिस को ट्रैफिक डायवर्ट करना पड़ा. इविवि छात्रसंघ गेट की ओर से जाने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए गए. शाम को छात्रों ने एडीएम सिटी को ज्ञापन देने के बाद धरना समाप्त किया.

इविवि के कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू ने कहा, ‘देश के कुछ विश्वविद्यालयों में हाल के दिनों में हिंसक प्रदर्शन हुए हैं. मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के समस्त छात्रों से अपील करना चाहूंगा कि अगर नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को लेकर किसी को कोई आपत्ति हो तो उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से इस पर अपने विचार रखने चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले चार वर्षों में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शैक्षणिक कैलेंडर का समयबद्ध तरीके से पालन किया है. विश्वविद्यालय राष्ट्र और समाज का मार्गदर्शन करते हैं, यहां हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए.’

छात्रों, शिक्षकों ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन

सोमवार को दिनभर छात्रसंघ भवन के सामने धरना-प्रदर्शन चलने के बाद शाम को छात्रों ने सुभाष चौराहे पर मार्च निकाला. छात्रों ने प्रतीकात्मक रूप से लाठी और बंदूक को चूडियां पहनाकर अपना विरोध दर्ज कराया. इस दौरान छात्रों की पुलिस से तीखी बहस भी हुई. मंगलवार को भी छात्रसंघ भवन के सामने धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं.

इविवि छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष अदील हमजा, समाजवादी छात्रसभा की नेहा यादव, दिशा छात्र संगठन की नीशू, इंकलाबी नौजवान सभा के सुनील मौर्य, आइसा के रणविजय, विष्णु प्रभाकर समेत बड़ी संख्या में छात्र सोमवार दोपहर इविवि छात्रसंघ गेट पर इकट्ठा हुए और नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में जमकर नारेबाजी की.

एमएमयू और जामिया के छात्रों के समर्थन में उतरे इविवि के छात्रों ने मांग की कि छात्रों को लाठीचार्ज के लिए दोषी पुलिस अफसरों पर तत्काल कार्रवाई की जाए. साथ ही नागरिकता संशोधन विधेयक वापस लिया जाए.

उधर, छात्र नेता सौरभ सिंह बंटी और विशाल सिंह रिशु के नेतृत्व में छात्रों ने बालसन चौराहे से छात्रसंघ भवन तक जुलूस निकाला गया. हालांकि बीच में उन्हें पुलिस बल ने रोक लिया. छात्रों और पुलिस के बीच तीखी बहस हुई. उस वक्त एसपी सिटी और एडीएम सिटी भी मौजूद थे.

छात्रों ने कहा कि आजाद भारत में छात्रों के साथ ऐसा बर्बरतापूर्ण रवैया कभी देखने को नहीं मिला. छात्रों ने प्रतीकात्मक रूप से लाठी और बंदूक को चूड़ियां पहनाकर जिला प्रशासन के माध्यम से दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भेजीं.

वहीं, समाजवादी छात्रसभा के फैसल मंसूर अकबर के नेतृत्व में भी छात्रों ने एएमयू एवं जामिया में हुए लाठीचार्ज और सीएबी के विरोध में मार्च निकाला. साथ ही जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन प्रेषित किया.

इविवि छात्रसंघ भवन के गेट पर सोमवार को हुए धरना-प्रदर्शन के दौरान विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रो. डा. विक्रम छात्रों के समर्थन में उतरे और उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल संविधान के अनुच्छेद 14 का अपमान है. यह अनुच्छेद सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार प्रदान करता है. यह बिल एक विशेष धर्म के विरोध के कारण भारत के संविधान की आत्मा का विरोध करता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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