जम्मू कश्मीर: हिरासत में चार महीने तक रखे जाने के बाद पांच कश्मीरी राजनीतिक नेता रिहा

जम्मू कश्मीर के अधिकारियों ने बताया कि रिहा किए गए पांचों नेता नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के हैं, जिन्हें एहतियातन हिरासत में रखा गया था. 5 अगस्त से पूर्ववर्ती राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के साथ मुख्यधारा और अलगाववादी खेमे दोनों के सैकड़ों नेताओं को एहतियातन हिरासत में रखा है.

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(फोटोः पीटीआई)

जम्मू कश्मीर के अधिकारियों ने बताया कि रिहा किए गए पांचों नेता नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के हैं, जिन्हें एहतियातन हिरासत में रखा गया था. 5 अगस्त से पूर्ववर्ती राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के साथ मुख्यधारा और अलगाववादी खेमे दोनों के सैकड़ों नेताओं को एहतियातन हिरासत में रखा है.

Jammu: Security personnel stand guard along a road in Jammu, Thursday, Oct. 31, 2019. Security has been tightened across Jammu region ahead of bifurcation of Jammu and Kashmir into two union territories which came into existence after midnight. (PTI Photo)  (PTI10_31_2019_000186B)
(फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पांच अगस्त के बाद से हिरासत में रखे गए पांच राजनीतिक नेताओं को सोमवार को रिहा कर दिया.

अधिकारियों ने बताया कि ये पांचों नेता नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के हैं, जिन्हें एहतियातन हिरासत में रखा गया था. उन्हें रिहा कर दिया गया है.

उन्होंने बताया कि रिहा किए गए नेताओं में नेकां के इशफाक जब्बर और गुलाम नबी भट तथा पीडीपी के बशीर मीर, जहूर मीर और यासिर रेशी शामिल हैं. रेशी पीडीपी के बागी नेता माने जाते हैं जिन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के खिलाफ बगावत कर दी थी.

बता दें कि, पीडीपी ने बीते रविवार को जम्मू कश्मीर के राजनीतिक नेताओं की रिहाई की अपनी मांग दोहराई थी. साथ में पार्टी ने कहा कि इस क्षेत्र में मौजूदा स्थिति लोकतंत्र के विचार को कमजोर कर रही है. पार्टी ने कहा था कि मौजूदा स्थिति आपातकाल के दिनों की यादों को ताजा कर रही है.

पीडीपी के महासचिव और विधान परिषद के पूर्व सदस्य सुरिंदर चौधरी ने कहा था कि शांति कायम करने के लिए, सरकार को मौजूदा स्थिति पर गौर करना चाहिए जो बहुत गंभीर और चिंताजनक है.

जम्मू में पार्टी मुख्यालय में एक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने जम्मू कश्मीर के हिरासत में रखे गए राजनीतिक नेताओं को रिहा किए जाने की जरूरत को रेखांकित किया था. चौधरी ने सरकार से जम्मू के साथ-साथ कश्मीर के भी किसानों को तत्काल राहत प्रदान करने की गुजारिश की थी.

इससे पहले, जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने 27 दिसंबर को विवादास्पद जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत पीडीपी के एक युवा नेता समेत तीन व्यक्तियों को हिरासत में लिए जाने के आदेश को खारिज कर दिया.

अदालत से राहत पाए व्यक्तियों में बारामुला जिले के पट्टन क्षेत्र के पीडीपी के युवा अध्यक्ष जावेद अहमद परे शामिल हैं. अन्य दो व्यक्ति सोपोर के निवासी इम्तियाज हुसैन मीर और इरशाद अहमद हैं.

दोनों को आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के सक्रिय सदस्य के तौर पर काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

नए केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने 25 नवंबर को दो नेताओं- पीडीपी के दिलावर मीर और डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के गुलाम हसन मीर- को रिहा किया था.

गौरतलब है कि पांच अगस्त को केंद्र ने जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाने और इस राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा की थी.

5 अगस्त से पूर्व राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के साथ मुख्यधारा और अलगाववादी खेमे दोनों के सैकड़ों नेताओं को एहतियातन हिरासत में रखा है.

तीन बार मुख्यमंत्री रहे फारुक अब्दुल्ला के खिलाफ बाद में लोक सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था. अब्दुल्ला की हिरासत अवधि बीते 14 दिसंबर को तीन महीने के लिए और बढ़ा दी गई और वह उपकारागार में परिवर्तित अपने घर में रहेंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)