नीति आयोग के सतत विकास सूचकांक में केरल शीर्ष पर, बिहार सबसे नीचे

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, सतत विकास लक्ष्यों के इस साल के सूचकांक में बिहार, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश का प्रदर्शन सबसे ख़राब रहा. यह भी कहा गया है कि पोषण और स्त्री-पुरुष असमानता देश के लिए समस्या बनी हुई है.

(फोटो: रॉयटर्स)

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, सतत विकास लक्ष्यों के इस साल के सूचकांक में बिहार, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश का प्रदर्शन सबसे ख़राब रहा. यह भी कहा गया है कि पोषण और स्त्री-पुरुष असमानता देश के लिए समस्या बनी हुई है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

नयी दिल्लीः सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में राज्यों की प्रगति संबंधी नीति आयोग की इस साल की रिपोर्ट में केरल पहले स्थान पर रहा. वहीं बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब रहा.

आयोग के एसडीजी भारत सूचकांक में सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के क्षेत्र में राज्यों की प्रगति के आधार पर उनके प्रदर्शन को आंका जाता है और उनकी रैंकिंग की जाती है.

नीति आयोग की ओर से सोमवार को जारी एसडीजी भारत सूचकांक 2019 के अनुसार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम ने 2018 के मुकाबले काफी अच्छी प्रगति की है जबकि गुजरात जैसे राज्यों की रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ.

2018 में उत्तर प्रदेश को 42 अंक मिले थे लेकिन 2019 में इस राज्य ने कुल 55 अंक प्राप्त किए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सूचकांक में केरल 70 अंक के साथ शीर्ष पायदान पर बना रहा. केंद्रशासित प्रदेशों में चंडीगढ़ भी 70 अंक के साथ शीर्ष स्थान पर रहा.’

सूची में हिमाचल प्रदेश दूसरे स्थान पर जबकि आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना तीनों तीसरे स्थान पर रहे.

सतत विकास लक्ष्यों के इस साल के सूचकांक में बिहार, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश का प्रदर्शन सबसे खराब रहा.

नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र का 2030 का एसडीजी लक्ष्य भारत के बिना कभी भी हासिल नहीं किया जा सकता. हम विकास के संयुक्त राष्ट्र में तय लक्ष्यों को हासिल करने के लिये पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.’

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य के मोर्चे पर दक्षिणी राज्यों का प्रदर्शन अच्छा रहा है.

कुमार ने कहा, ‘नीति आयोग के एसडीजी सूचकांक 2019 में पश्चिम बंगाल (14वां रैंक) का प्रदर्शन भी अच्छा रहा लेकिन शैक्षणिक स्तर को देखते हुए राज्य को तीन बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों में होना चाहिए.’

रिपोर्ट के अनुसार, भारत का इस मामले में समग्र प्राप्तांक सुधरकर 2019 में 60 पर पहुंचा जबकि 2018 में यह 57 था. पानी और साफ-सफाई, बिजली और उद्योग के क्षेत्र में अच्छी सफलता हासिल हुई है.

हालांकि, पोषण और स्त्री-पुरुष असमानता देश के लिए समस्या बनी हुई है. सरकार को इस पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है.

रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष स्थान पाने वाले पांच राज्यों में से तीन का 12 लक्ष्यों को हासिल करने में प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर रहा है. वहीं दो राज्यों का प्रदर्शन 11 मामलों में राष्ट्रीय औसत से बेहतर है.

गरीबी उन्मूलन के संदर्भ में जिन राज्यों का प्रदर्शन बेहतर रहा है, उसमें तमिलनाडु, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और सिक्किम शामिल हैं. वहीं भुखमरी को पूरी तरह समाप्त करने के मामले में गोवा, मिजोरम, केरल, नगालैंड और मणिपुर आगे रहे.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़, असमानता कम करने में तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शीर्ष पर रहे.

नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र की मदद से एसडीजी भारत सूचकांक पिछले साल पहली बार जारी किया था. इसमें संयुक्त राष्ट्र की एसडीजी के 17 क्षेत्रों में से 16 को रखा गया है.  सतत विकास लक्ष्य स्वास्थ्य, शिक्षा, लैंगिक समानता, साफ पानी, स्वच्छता, भूख और गरीबी जैसे मानकों के आधार पर रखा जाता है.

इस साल का सूचकांक राज्यों को 100 संकेतकों पर आधारित 54 लक्ष्यों के मामले में प्रगति के आधार पर तैयार किया गया है. संयुक्त राष्ट्र ने ऐसे 306 संकेतकों की पहचान की है.

वर्ष 2018 में जारी पहली रिपोर्ट में 13 लक्ष्य और 39 संकेतक थे. संयुक्त राष्ट्र महासभा में 193 देशों से एसडीजी को अपनाया था. वर्ष 2020 इसकी पांचवीं वर्षगांठ होगी.

व्यापक विचार-विमर्श के बाद एसडीजी के तहत 17 लक्ष्य और 169 संबंधित लक्ष्य तय किए गए हैं. इसे 2030 तक हासिल करना है. इसका मूल लक्ष्य समाज की बेहतरी के लिये आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक मोर्चे पर उच्च मानदंडों को प्राप्त करना है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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