सीएए के ख़िलाफ़ केरल विधानसभा में प्रस्ताव पास, राज्यों को दरकिनार करने पर विचार कर रहा केंद्र

संशोधित नागरिकता क़ानून को वापस लेने की मांग वाला एक प्रस्ताव पारित करने वाला केरल देश का पहला राज्य बन गया है. केरल विधानसभा द्वारा उठाया गया क़दम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा की सहयोगी जदयू के नेतृत्व वाले बिहार और ओडिशा सहित कम से कम सात राज्यों ने घोषणा की है कि वे क़ानून को लागू नहीं करेंगे.

/
New Delhi: Kerala CM Pinarayi Vijayan during a press conference in New Delhi on Saturday,June 23,2018.( PTI Photo/ Atul Yadav)(PTI6_23_2018_000063B)
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन. (फोटो: पीटीआई)

संशोधित नागरिकता क़ानून को वापस लेने की मांग वाला एक प्रस्ताव पारित करने वाला केरल देश का पहला राज्य बन गया है. केरल विधानसभा द्वारा उठाया गया क़दम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा की सहयोगी जदयू के नेतृत्व वाले बिहार और ओडिशा सहित कम से कम सात राज्यों ने घोषणा की है कि वे क़ानून को लागू नहीं करेंगे.

New Delhi: Kerala CM Pinarayi Vijayan during a press conference in New Delhi on Saturday,June 23,2018.( PTI Photo/ Atul Yadav)(PTI6_23_2018_000063B)
केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन. (फोटो: पीटीआई)

तिरुवनंतपुरम: संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शनों के बीच केरल विधानसभा ने इस विवादास्पद अधिनियम को वापस लेने की मांग करते हुए मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया. सीएए के खिलाफ किसी राज्य सरकार द्वारा उठाया गया यह पहला ऐसा कदम है.

केरल विधानसभा के एक दिन के विशेष सत्र में सत्तारूढ़ माकपा नीत एलडीएफ और विपक्षी कांग्रेस नीत यूडीएफ ने प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि भाजपा के एकमात्र विधायक ओ राजगोपाल ने असहमति जताई. सदन ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को स्वीकृत किया. विजयन ने कहा कि संविधान विरोधी कानून के लिए कोई जगह नहीं है.

इससे पहले माकपा और कांग्रेस ने राज्य में सीएए के खिलाफ आवाज उठाने के लिए मंच साझा किया था.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, विजयन ने कहा कि नया कानून मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एक बड़े एजेंडे का हिस्सा था. चेन्निथला ने कहा कि राज्य को कानून के खिलाफ एकजुट होना चाहिए.

इस प्रस्ताव के खिलाफ एकमात्र विरोधी आवाज केरल विधानसभा में भाजपा के एकमात्र विधायक ओ राजगोपाल ने उठाई और प्रस्ताव को असंवैधानिक कहा.

केरल विधानसभा द्वारा उठाया गया यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजद शासित ओडिशा और भाजपा के सहयोगी जेडीयू के नेतृत्व वाले बिहार सहित कम से कम सात राज्यों ने घोषणा की है कि वे अधिनियम को लागू नहीं करेंगे.

केरल द्वारा प्रस्ताव पारित होने के कुछ घंटे बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा कि विजयन को बेहतर कानूनी सलाह लेनी चाहिए. यह केवल संसद है जिसे नागरिकता के संबंध में किसी भी कानून को पारित करने का अधिकार मिला है, केरल विधानसभा सहित किसी भी विधानसभा को नहीं यह अधिकार नहीं है.

इसके बाद, भाजपा सांसद जीवीएल नरसिम्ह राव ने राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू के पास एक याचिका लगाकर उनसे आग्रह किया कि केरल विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने पर वे केरल के मुख्यमंत्री के खिलाफ संसद के विशेषाधिकार हनन की प्रक्रिया शुरू करें.

राव ने इस मुद्दे पर राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति की 3 जनवरी को होने वाली अगली बैठक में चर्चा की मांग की.

इस बीच, प्रसाद ने कहा कि कानून पूरे देश के लिए बाध्यकारी है और पूरी तरह से कानूनी और संवैधानिक है. उन्होंने कहा, सीएए किसी भारतीय मुस्लिम से संबंधित नहीं है, और किसी भारतीय नागरिक से बहुत कम. यह केवल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में छह सताए गए समुदायों से संबंधित है, जिन्हें उनके विश्वास के कारण बाहर दरकिनार किया जा रहा है.

इससे पहले केरल विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए विजयन ने कहा था कि देश के धर्मनिरपेक्षता, इसकी धार्मिक और भाषाई विविधता पर विचार किए बिना किसी भी कानून के दूरगामी परिणाम होंगे. उन्होंने कहा कि यदि कुछ धार्मिक क्षेत्रों पर अंकुश लगाया जाता है या कुछ अन्य वर्गों को नागरिकता के लिए बेहतर विचार दिए जाते हैं तो देश की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति खो जाएगी.

उन्होंने कहा, ‘अगर विविधता में एकता है तो एक मूल्य जिसे हमने बरकरार रखा है, वह खो गया है, ऐसी स्थिति से देश का पतन होगा… हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश के अस्तित्व के लिए संविधान द्वारा लागू किए जा रहे मूल्य आवश्यक हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हमें यह महसूस करना चाहिए कि नागरिकता संशोधन अधिनियम सहित मामले देश में एक बड़े एजेंडे का हिस्सा है. यह स्पष्ट है कि जब हम इस कानून (विधानसभाओं) की जांच करते हैं तो इस सरकार ने लागू किया है… मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कदम… एक कानून लाया गया था जिसने ट्रिपल तालक को एक आपराधिक अपराध बना दिया था… जब 13 भारतीय राज्यों में विशेष कानून, अनुच्छेद 370 था, जिसने विशेष दर्जा दिया था जम्मू और कश्मीर को हटा लिया गया. मुस्लिम बहुल राज्य के लिए ऐसा दृष्टिकोण अपनाया गया था.’

सीएए के तहत राज्यों को दरकिनार करने के लिए प्रक्रिया ऑनलाइन करने पर कर रहा विचार

संशोधित नागरिकता कानून के तहत नागरिकता प्रदान करने की समूची प्रक्रिया केंद्र द्वारा ऑनलाइन बनाने की संभावना है, ताकि राज्यों को इस कवायद में दरकिनार किया जा सके. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. दरअसल, कुछ राज्य इस नये कानून के खिलाफ हैं.

केंद्रीय गृह मंत्रालय केरल सहित कई राज्यों में सीएए का जोरदार विरोध किए जाने के मद्देनजर जिलाधिकारी के जरिए नागरिकता के लिए आवेदन लेने की मौजूदा प्रक्रिया को छोड़ने के विकल्प पर विचार कर रहा है. केरल में मंगलवार को विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर इस विवादास्पद अधिनियम को वापस लेने की मांग की गई.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम जिलाधिकारी के बजाय एक नये प्राधिकार को नामित करने और आवेदन, दस्तावेजों की छानबीन तथा नागरिकता प्रदान करने की समूची प्रक्रिया ऑनलाइन बनाने की सोच रहे हैं.’ अधिकारी ने कहा कि यदि यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन बन जाती है तो किसी भी स्तर पर कोई राज्य सरकार किस तरह का हस्तक्षेप नहीं करेगी.

इसके अलावा गृह मंत्रालय के अधिकारियों की यह राय है कि राज्य सरकारों के पास सीएए के क्रियान्वयन को खारिज करने की कोई शक्ति नहीं है क्योंकि यह अधिनियम संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची के तहत बनाया गया है.

मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘संघीय सूची में शामिल किसी कानून के क्रियान्वयन से इनकार करने का राज्यों को कोई शक्ति नहीं है.’ संघ सूची में 97 विषय हैं, जिनमें रक्षा, विदेश मामले, रेलवे, नागरिकता आदि शामिल हैं.

केरल के साथ पश्चिम बंगाल, पंजाब, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित कुछ अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस कानून के ‘असंवैधानिक’ होने की घोषणा की है और कहा कि इसके लिए उनके राज्यों में कोई जगह नहीं है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था, ‘आपके (भाजपा के) घोषणापत्र में विकास के मुद्दों के बजाय, आपने देश को विभाजित करने का वादा किया. नागरिकता धर्म के आधार पर क्यों दी जाए? मैं इसे स्वीकार नहीं करूंगी. हम आपको चुनौती देते हैं….’

उन्होंने कहा, ‘आप लोकसभा और राज्यसभा में जबरन कानून पारित कर सकते हैं क्योंकि आपके पास वहां संख्या बल है. लेकिन हम आपको देश बांटने नहीं देंगे.’

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस अधिनियम को भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि पर सीधा हमला करार देते हुए कहा कि उनकी सरकार अपने राज्य में इस कानून को लागू नहीं होने देगी.

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यह अधिनियम पूरी तरह से असंवैधानिक है. उन्होंने कहा, ‘इस पर कांग्रेस पार्टी में जो कुछ फैसला होगा हम छत्तीसगढ़ में उसे लागू करेंगे.’

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था, ‘कांग्रेस पार्टी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर जो कुछ रुख अख्तियार किया है हम उसका पालन करेंगे. क्या आप उस प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहेंगे जो विभाजन का बीज बोती है.’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भी कहा कि यह विधेयक संविधान में निहित मूल विचारों पर पर खुल्लमखुल्ला प्रहार है और इस कानून के भाग्य के बारे में फैसला उच्चतम न्यायालय में होगा. गौतरलब है कि सीएए पाकिस्तान,

बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है, जिन्होंने इन तीन पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq