जेएनयू हिंसा अमित शाह के संरक्षण में हुई, मामले की न्यायिक जांच हो: कांग्रेस

जेएनयू परिसर में रविवार देर रात उस वक्त हिंसा भड़क गयी थी, जब लाठियों से लैस कुछ नकाबपोश लोगों ने छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया था और परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था जिसके बाद प्रशासन को पुलिस को बुलानी पड़ी थी.

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New Delhi: Shattered glass of doors are seen at the Sabarmati Hostel following the Sundays violence at the Jawaharlal Nehru University (JNU) , in New Delhi, Monday, Jan. 6, 2020. A group of masked men and women armed with sticks, rods and acid allegedly unleashed violence on the campus of the University, Sunday evening. (PTI Photo/Atul Yadav) (PTI1 6 2020 000072B)

जेएनयू परिसर में रविवार देर शाम हुई हिंसा पर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने छात्रों से मारपीट को निंदनीय और अस्वीकार्य बताया. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘इस घटना ने 26/11 मुंबई हमले की याद दिला दी.’

New Delhi: Shattered glass of doors are seen at the Sabarmati Hostel following the Sundays violence at the Jawaharlal Nehru University (JNU) , in New Delhi, Monday, Jan. 6, 2020. A group of masked men and women armed with sticks, rods and acid allegedly unleashed violence on the campus of the University, Sunday evening. (PTI Photo/Atul Yadav) (PTI1 6 2020 000072B)
जेएनयू के साबरमती हॉस्टल में हुई तोड़फोड़. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के कैंपस में रविवार देर रात नकाबपोश हमलावरों के छात्रों और शिक्षकों पर हुए हमले के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और इनके नेताओं ने प्रतिक्रिया देकर इसकी निंदा की है.

कांग्रेस ने सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह पर जेएनयू में हमला करने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘मोदी जी और अमित शाह जी ने छात्रों पर दमन चक्र चलाकर नाजी शासन की याद 90 साल बाद दिला दी, जिस तरह से छात्रों, छात्राओं और शिक्षकों पर हमला किया गया और जिस प्रकार पुलिस मूकदर्शक बनी रही, वह दिखाता है कि देश में प्रजातंत्र का शासन नहीं बचा है.’

उन्होंने कहा, ‘युवा प्रजातंत्र और संविधान पर हमले के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो उनकी आवाज दबाई जाती है. जान लीजिए मोदी, युवाओं की आवाज नहीं दबने वाली है. सरकार प्रायोजित आतंकवाद और गुंडागर्दी नहीं चलने वाली है.’

सुरजेवाला ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि मोदी और अमित शाह की सरकार के रूप में नाजी शासन आ गया है. इन गुंडों का ताल्लुक भाजपा और एबीवीपी से था. यह सब कुलपति की मूक सहमति से हो रहा था. यब सब अमित शाह के मौन समर्थन से हुआ.’

वहीं, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जेएनयू में हुई हिंसा की निंदा करते हुए सोमवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि इस पूरे मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच होनी चाहिए.

सोनिया ने एक बयान में कहा, ‘भारत के युवाओं और छात्रों की आवाज हर दिन दबाई जा रही है. भारत के युवाओं पर भयावह और अप्रत्याशित ढंग से हिंसा की गई और ऐसे करने वाले गुंडों को सत्तारूढ़ मोदी सरकार की ओर से उकसाया गया है. यह हिंसा निंदनीय और अस्वीकार्य है.’

उन्होंने कहा, ‘पूरे भारत में शैक्षणिक परिसरों और कॉलेजों पर भाजपा सरकार से सहयोग पाने वाले तत्व और पुलिस रोजाना हमले कर रही है. हम इसकी निंदा करते हैं और स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग करते हैं.’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा, ‘नकाबपोश लोगों को कैंपस में कैसे आने दिया गया? वाइस चांसलर ने क्या किया? पुलिस बाहर क्यों खड़ी थी? गृह मंत्री क्या कर रहे थे? इन सभी सवालों के जवाब नहीं हैं. यह स्पष्ट तौर पर षडयंत्र है, जिसकी जांच की जाने की जरूरत है.’

छात्रों पर हुए हमले ने 26/11 मुंबई हमले की याद दिला दी: उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘जेएनयू में छात्रों पर हुए हमले ने 26/11 मुंबई हमले की याद दिला दी. इसकी जांच होनी चाहिए कि ये नकाबपोश हमलावर कौन थे.

उन्होंने कहा, ‘देश में छात्रों के बीच डर का माहौल है. हमें एकजुट होकर उनमें विश्वास भरने की जरूरत है.’

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा, ‘देश और पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे दिल्ली के जेएनयू कैंपस में नकाबपोश हमलावर घुसे और सुनियोजित तरीके से तबाही मचाई गई. निष्पक्ष जांच की जरूरत है क्योंकि हमें पता होना चाहिए कि इस हमले के मुख्य साजिशकर्ता कौन हैं.’

यह फासीवादी सर्जिकल स्ट्राइक है: ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘यह परेशान करने वाला है. यह लोकतंत्र पर खतरनाक सुनियोजित हमला है. जो भी सरकार के खिलाफ बोलता है उसे पाकिस्तानी और देश का दुश्मन कह दिया जाता है. हमने पहले कभी देश में इस तरह की स्थिति नहीं देखी.’

बनर्जी ने कहा, ‘दिल्ली पुलिस अरविंद केजरीवाल के तहत नहीं है यह केंद्र सरकार के अधीन है. एक तरफ वे भाजपा के गुंडे भेजते हैं और दूसरी तरफ वे पुलिस को निष्क्रिय बना देते हैं. पुलिस क्या करेगी, जब उन्हें आलाकमान से निर्देश मिलेंगे. यह फासीवादी सर्जिकल स्ट्राइक है.’

वहीं, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने जेएनयू कैंपस में छात्राओं के साथ हुई मारपीट पर पुलिस को समन भेजा है.

इस नोटिस में मालीवाल ने दिल्ली पुलिस से इस मामले के सिलसिले में दर्ज की गयी प्राथिमिकी का ब्योरा मांगा है और हिंसा पर तत्काल कदम नहीं उठाने के कारण स्पष्ट करने को कहा है.

एआईएमआईएम प्रमुख असुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘मैं इस हिंसा की निंदा करता हूं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि इन लोगों को सत्ता में बैठे लोगों से ग्रीन सिग्नल मिला था. इन्होंने कायराना तरीके से अपने चेहरे ढक रखे थे और इन्हें लाठियों और रॉड के साथ कैंपस में आने दिया गया. सबस बुरा यह है कि एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिस इन्हें आने दे रही है.’

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे शर्मनाक बताया.

मायावती ने ट्वीट किया, ‘जेएनयू में छात्रों और शिक्षकों के साथ हुई हिंसा अति-निंदनीय और शर्मनाक. केंद्र सरकार को इस घटना को अति-गंभीरता से लेना चाहिए. साथ ही इस घटना की न्यायिक जांच हो, तो यह बेहतर होगा.’

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में रविवार की शाम हुई हिंसा की निंदा की. दोनों ही मंत्री जेएनयू के पूर्व छात्र हैं.

जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘जेएनयू में जो हुआ उसकी तस्वीरें देखीं. हिंसा की स्पष्ट तौर पर निंदा करते हैं. यह विश्वविद्यालय की संस्कृति और परंपरा के पूरी तरह खिलाफ है.’

सीतारमण ने ट्वीट किया, ‘जेएनयू से बहुत ही खौफनाक तस्वीरें सामने आईं हैं. वह जगह जिसे मैं जानती हूं और ऐसी जगह के तौर पर याद करती हूं जिसे निर्भीक चर्चाओं और विचारों के लिए याद किया जाता था, लेकिन हिंसा कभी नहीं. मैं आज हुई हिंसा की स्पष्ट तौर पर निंदा करती हूं. यह सरकार, पिछले कुछ हफ्तों में जो कुछ कहा गया उसके बावजूद, चाहती है कि विश्वविद्यालय सभी छात्रों के लिए सुरक्षित रहें.’

वहीं, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय हिंसा की केरल और पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने निंदा की है.

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने हिंसा की निंदा करते हुए इसे नाजियों के तरीके का हमला करार दिया. विजयन ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि छात्रों पर हमला असहिष्णुता का भयावह प्रदर्शन है.

अभिनेताओं, फिल्मकारों ने की जेएनयू में हिंसा की निंदा

बॉलीवुड अभिनेताओं स्वरा भास्कर, शबाना आजमी, मोहम्मद जीशान अयूब और तापसी पन्नू और फिल्मकारों अर्पणा सेन और हंसल मेहता ने जेएनयू में हिंसा की निंदा करते हुए दिल्ली पुलिस से हस्तक्षेप करने की अपील की है.

स्वरा ने इस संबंधी वीडियो संलग्न करते हुए ट्वीट किया, ‘सभी दिल्लीवासियों से महत्वपूर्ण अपील है कि जेएनयू परिसर में कथित रूप से एबीवीपी के नकाबपोश गुंडों के हमले रोकने के लिए सरकार और दिल्ली पुलिस पर दबाव बनाने के लिए कृपा बाबा गंगनाथ मार्ग पर जेएनयू परिसर के मुख्य द्वार के बाहर बड़ी संख्या में एकत्र हों.’

शबाना आजमी ने ट्वीट किया, ‘क्या यह वाकई हो रहा है? मैं भारत में नहीं हूं और यह दु:स्वप्न लगता है. जेएनयू में हिंसा होने के बाद 20 छात्रों को एम्स में भर्ती कराया गया है. छात्रों और शिक्षकों को पीटा गया. यह अत्यंत निंदनीय है. अपराधियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए.’

निर्देशक अपर्णा सेन ने आरोप लगाया कि जेएनयू छात्रों को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के गुंडों ने पीटा. उन्होंने कहा, ‘आप कब तक कन्नी काटते रहेंगे? या आपमें ताकत ही नहीं है? हां, मैं उदारवादी हूं’ हां, मैं धर्मनिरपेक्ष हूं और यदि यह विकल्प है तो मुझे इस पर गर्व है. शर्मनाक. एबीवीपी और पुलिस को शर्म आन चाहिए जो उनकी मदद कर रहे हैं और उन्हें उकसा रहे हैं.’

अभिनेत्री तापसी पन्नू ने परिसर में स्थिति कथित रूप से दर्शाने वाला एक वीडियो के साथ ट्वीट किया,’हम जिस जगह के बारे में समझते हैं कि वहां हमारे भविष्य को आकार दिया जा रहा है, ऐसी जगह में इस प्रकार के हालात हैं. इसे ऐसे जख्म दिए जा रहे हैं, जो हमेशा रहेंगे. अपूरणीय नुकसान.’

अभिनेता जीशान अय्यूब ने भी ट्वीट किया, ‘दरवाजे और सड़कें बंद करके उन्होंने गुंडों को खुली छूट दे दी. अपने मित्रों और संबंधियों, हर व्यक्ति से कहिए कि वे वहां एकत्र हों.’

मालूम हो कि जेएनयू परिसर में रविवार देर रात को उस वक्त हिंसा भड़क गयी थी, जब लाठी और रॉड से लैस कुछ नकाबपोशों ने छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया और परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था जिसके बाद प्रशासन को पुलिस को बुलानी पड़ी थी.

हमले में जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष सहित कम से कम 28 लोग घायल हो गए हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)