एचआरडी मंत्रालय ने जेएनयू प्रशासन के अधिकारियों के साथ की बैठक, वीसी नहीं हुए शामिल

जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश को हटाने की मांग तेज. पांच जनवरी को हुई हिंसा की दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच करेगी जांच. हिंसा के बाद कैंपस में डर का माहौल.

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New Delhi: Sstudents stage a protest over the Sunday's violence, at the main gate of the Jawaharlal Nehru University (JNU) in New Delhi, Monday, Jan. 6, 2020. A group of masked men and women armed with sticks, rods and acid allegedly unleashed violence on the campus of the University, Sunday evening. (PTI Photo/Atul Yadav) (PTI1_6_2020_000073B)(PTI1_6_2020_000107B)

जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश को हटाने की मांग तेज. पांच जनवरी को हुई हिंसा की दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच करेगी जांच. हिंसा के बाद कैंपस में डर का माहौल.

New Delhi: Sstudents stage a protest over the Sunday's violence, at the main gate of the Jawaharlal Nehru University (JNU) in New Delhi, Monday, Jan. 6, 2020. A group of masked men and women armed with sticks, rods and acid allegedly unleashed violence on the campus  of the University, Sunday evening. (PTI Photo/Atul Yadav) (PTI1_6_2020_000073B)(PTI1_6_2020_000103B)
रविवार को हिंसा के विरोध में सोमवार को जेएनयू के मेन गेट के बाहर छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शन किया. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में रविवार को हुई हिंसा के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) ने सोमवार को जेएनयू प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की. हालांकि कुलपति एम. जगदीश कुमार बैठक में शामिल नहीं हुए.

बैठक में जेएनयू रजिस्ट्रार, प्रॉक्टर और प्रशासन के अन्य अधिकारी शामिल हुए. उन्होंने मंत्रालय के अधिकारियों को परिसर में हुए हमले के घटनाक्रम और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी.

एचआरडी मंत्रालय ने जेएनयू में रविवार को हुए हमले के बाद यह बैठक बुलाई थी.

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एचआरडी सचिव अमित खरे ने आज (सोमवार) प्रो-वीसी चिंतामणि महापात्रा, रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार, रेक्टर राणा प्रताप सिंह और प्रॉक्टर धनंजय सिंह सहित जेएनयू अधिकारियों की टीम के साथ बैठक की. सचिव ने उनके साथ विस्तृत चर्चा की और उन्हें जेएनयू में मौजूदा स्थिति के बारे में भी जानकारी दी गई.’

मंत्रालय ने हिंसा भड़कने और छात्रों एवं शिक्षकों पर हमले के बाद रविवार को जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार से छात्रों और शिक्षकों पर हुए हमले के संबंध में तत्काल रिपोर्ट देने को कहा था.

इस बैठक के मद्देनजर यहां शास्त्री भवन के बाहर सोमवार को भारी पुलिस बल तैनात किया गया, जहां एचआरडी मंत्रालय है.

बैठक में शामिल न होने को लेकर जेएनयू के कुलपति एम. जगदीश कुमार ने कहा, ‘पूरे घटनाक्रम की विस्तृत रिपोर्ट एचआरडी मंत्रालय को भेज दी गई है. मौजूदा स्थिति की विस्तृत जानकारी देने के लिए प्रशासन के शीर्ष अधिकारी मंत्रालय में मौजूद हैं.’

इस बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने जेएनयू छात्रों से विश्वविद्यालय की गरिमा बनाए रखने और परिसर में शांति बनाए रखने का आग्रह किया है.
जेएनयू प्रॉक्टर धनंजय सिंह ने छात्रों से नहीं घबराने को कहा है.

कैंपस में हुई बर्बर हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस ने सोमवार को अज्ञात लोगों के खिलाफ दंगा करने और संपत्ति नष्ट करने की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

मालूम हो कि जेएनयू परिसर में बीते पांच जनवरी को उस वक्त हिंसा भड़क गई थी जब लाठियों से लैस कुछ नकाबपोश लोगों ने छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला कर दिया था और परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था, जिसके बाद प्रशासन को पुलिस को बुलाना पड़ा था.

बड़ी संख्‍या में चेहरा ढके और हाथों में डंडे लिए युवक और युवतियां लोगों को पीटते और वाहनों को तोड़ते दिखे. साबरमती हॉस्टल समेत कई बिल्डिंग में जमकर तोड़फोड़ की गई. हमलावरों ने टीचरों को भी नहीं छोड़ा.

इस मारपीट में छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष को काफी चोटें आई हैं और कम से कम 30 लोग घायल हुए हैं जिन्‍हें नई दिल्ली के एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था. हालांकि सभी 34 छात्रों को सोमवार सुबह अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.

मारपीट में प्रोफेसर सुचरिता सेन के सिर पर भी गंभीर चोट लगी हैं.

वाम नियंत्रित जेएनयूएसयू और आरएसएस से संबद्ध एबीवीपी इस हिंसा के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. जेएनयूएसयू का दावा है कि उनकी अध्यक्ष आइशी घोष और कई अन्य स्टूडेंट्स को एबीवीपी के सदस्यों ने पीटा है. वहीं, एबीवीपी ने वाम छात्र संगठनों एसएफआई, आइसा और डीएसएफ पर हमले का आरोप लगाया है.

जेएनयू हिंसा मामला दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के हवाले

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) हिंसा मामले की जांच को दिल्ली पुलिस ने अपनी क्राइम ब्रांच को सौंप दिया है. वहीं विश्वविद्यालय के शीर्ष अधिकारियों ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की और उन्हें परिसर की मौजूदा स्थिति के बारे में बताया.
जेएनयू परिसर में रविवार को हुई हिंसा के बाद यह कदम उठाया गया है.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि जेएनयू मामले को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के हवाले कर दिया गया है.

पुलिस अधिकारियों ने सबूत इकट्ठा करने शुरू कर दिए है और वे छात्रों से भी इस संबंध में बात करेंगे.

इस बीच जेएनयू के रजिस्टार और प्रॉक्टर वीसी ने विश्वविद्यालय की मौजूदा स्थिति की जानकारी देने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल से मुलाकात की.

कुलपति जगदीश कुमार को हटाने की मांग तेज़

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति एम. जगदीश कुमार को हटाने की मांग सोमवार को तेज हो गई, जहां छात्र संघ और शिक्षकों ने उन पर ‘हिंसक भीड़ का हिस्सा’ होने तथा विश्वविद्यालय में हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया.

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) ने नकाबपोशों द्वारा छात्रों और शिक्षकों पर किए गए हमले के बाद सोमवार को कुलपति एम. जगदीश कुमार को हटाने की मांग की.

जेएनयू के शिक्षकों ने नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रविवार को हुई हिंसा की जांच करने की मांग भी की.

जेएनयूटीए ने कहा, ‘कुलपति को जाना होगा.’

प्रोफेसर सौगत भादुड़ी ने कहा कि प्रोफेसर सुचरिता सेन सिर में गंभीर चोट लगने के कारण संवाददाता सम्मेलन में नहीं आ सकीं.

भादुड़ी ने कहा, ‘मैं और मेरे तीन सहकर्मी एक जेएनयू में एक बस स्टैंड के पास खड़े थे. अचानक हमने नकाब लगाए पचास लोगों की भीड़ को देखा. पास आने के बाद उन्होंने पत्थर फेंकने शुरू कर दिए और हमें पीटना शुरू कर दिया. उन्होंने मुझे घेर लिया और मेरे हाथ पांव पर मारने लगे.’

उन्होंने कहा कि वह उनके सहकर्मी हमलावरों का निशाना नहीं थे लेकिन यह अविश्वसनीय था कि भीड़ ने उन्हें भी नहीं छोड़ा.

प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि हमलावर परिसर में तब घुसे जब जेएनयूटीए की एक बैठक हो रही थी. हमलावर तीन छात्रावासों में भी घुसे.

कुछ टीवी चैनलों द्वारा प्रसारित किए जा रहे वीडियो फुटेज में हॉकी और छड़ लहराते व्यक्तियों का एक समूह इमारत में घूमता दिख रहा है.

जेएनयूटीए के पूर्व अध्यक्ष सोनझरिया मिंज ने पूछा, ‘जब यह हमला हो रहा था तब हमारे सर्वोच्च अधिकारी हमारे कुलपति कहां थे? कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?’

जेएनयूटीए के पूर्व सचिव विक्रमादित्य चौधरी ने आरोप लगाया कि उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन किसी ने उत्तर नहीं दिया.

उन्होंने कहा, ‘भीड़ ने मेरी पत्नी का पीछा किया और गलियां दीं. वह अपनी जान बचाने के लिए भागी. वह भीतर आई और कमरे का दरवाजा बंद कर लिया. उन्होंने (हमलावरों) आवासीय परिसर में सभी का दरवाजा खटखटाया.’

उन्होंने कहा कि एक विदेशी शिक्षक ने छात्र समझकर दरवाजा खोल दिया जिसके बाद भीड़ घर के भीतर घुसी और सब जगह तलाश किया.

चौधरी ने कहा, ‘हमें जेएनयू प्रशासन और सरकार द्वारा डराया जा रहा है. मैं ऐसे संस्थान का भाग होने पर शर्मिंदा हूं जिसका कुलपति ऐसा है.’

जेएनयू शिक्षक संघ ने मांग की कि कुलपति या तो इस्तीफा दे दें या मानव संसाधन विकास मंत्रालय को उन्हें हटा देना चाहिए.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘वह कायर कुलपति हैं जिन्होंने पिछले दरवाजे से अवैध नीतियों को लागू किया, जो छात्रों या शिक्षकों के सवालों से भागते हैं और जेएनयू की छवि बिगाड़ने के हालात बनाते हैं.’

शिक्षक संघ का आरोप था, ‘जो हिंसा हुई वह कुलपति तथा उनके जानने वालों की हताशा और कुंठा का परिणाम थी. लेकिन आज के घटनाक्रम दिल्ली पुलिस के लिए शर्मसार करने वाले हैं जिसने बाहर से बुलाये गए एबीवीपी के गुंडा तत्वों को सुरक्षित रास्ता दिया.’

जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने कुलपति पर अक्षम होने का आरोप लगाते हुए मांग की कि उन्हें पद से हट जाना चाहिए.

माकपा महासचिव और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष सीताराम येचुरी ने कहा, ‘कुलपति भी इस हमले में संलिप्त रहे. उन्हें तत्काल हटाया जाना चाहिए.’

वहीं कुमार ने सभी छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय की शीर्ष प्राथमिकता छात्रों के शैक्षणिक हित की रक्षा करना है.

सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बीच छात्रों ने कहा, घर लौट जाएंगे

अपने लिए जिस स्थान को वह सबसे सुरक्षित मानते थे, वहां अचानक हुए हमले के एक दिन बाद सोमवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों में गुस्सा है, डर है. कुछ दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं तो कुछ बताते हैं कि वह अपने घर लौट रहे हैं.

विश्वविद्यालय परिसर में एक असहज सी शांति है. बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है और वैध आईडी कार्ड वाले छात्रों को ही भीतर जाने दिया जा रहा है.
लेकिन इन उपायों के बावजूद सुरक्षा को लेकर छात्रों के बीच जो चिंता का माहौल है वह कम नहीं हो रहा.

पेरियार हॉस्टल के छात्र आकर्ष रंजन ने कहा कि छात्रों को धमकी मिल रही है कि वह अपने-अपने कमरों में से बाहर नहीं आएं.

क्षिप्रा हॉस्टल की श्रेया घोष ने पूछा कि आखिर गुंडे लट्ठ और सरिये लेकर परिसर में घुसे कैसे? उन्होंने कहा, ‘प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत के बिना यह हमला नहीं हो सकता था.’

उन्होंने दावा किया कि कुछ नकाबपोश लोगों ने उनका और कुछ अन्य लोगों का पीछा किया जिसके बाद उन्हें साबरमती हॉस्टल में छिपना पड़ा.

एक कश्मीरी विद्यार्थी ने बताया कि भीड़ ने उसका भी पीछा किया और उसे खुद को बचाने के लिए हॉस्टल की पहली मंजिल से छलांग लगानी पड़ी.

उन्होंने बताया, ‘कमरे के भीतर हम तीन-चार लोग थे. अचानक हमारे कुछ दोस्त भागते हुए आए और उन्होंने बताया कि एबीवीपी लाठी और लोहे की छड़ों के साथ आ रही है. हमने कमरे की चिटकनी लगा ली लेकिन कुछ ही सेंकेंड में उन्होंने लाठियों से दरवाजा पीटना शुरू कर दिया.’

वे कहते हैं, ‘उन्होंने दरवाजे के ऊपर बनी शीशे की खिड़की तोड़ डाली. हम डरे हुए थे. हमने बालकनी का दरवाजा खोला और पहली मंजिल से छलांग लगा दी. हम कूदते नहीं तो वे हमें मार डालते.’

एक दृष्टिबाधित छात्र सूर्य प्रकाश ने बताया, ‘वह मेरे कमरे में आए और उन्होंने छड़ों से मुझे पीटा. मैंने उन्हें बताया कि मैं देख नहीं सकता हूं लेकिन फिर भी वह मुझे पीटते रहे. मुझे एक्सरे करवाना पड़ेगा. कल जो हुआ उससे मैं बहुत डरा हुआ हूं.’

उर्दू में पीएचडी कर रहे एक छात्र मसूद ने बताया कि उन्हें इसलिए पीटा गया क्योंकि वह कश्मीर से हैं.

एक छात्रा ने बताया कि वह हॉस्टल से जा रही है क्योंकि उसके माता-पिता को उसकी सुरक्षा की चिंता है.

साबरमती हॉस्टल के बाहर छात्रों को मलबा हटाते देखा जा सकता है. रविवार शाम को हुए हमले में हॉस्टल की मैस को भी नुकसान पहुंचा है.

दिल्ली महिला आयोग ने जेएनयू हिंसा प्रकरण में दिल्ली पुलिस को जारी किया नोटिस

दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई हिंसा को लेकर सोमवार को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया.

इस नोटिस में मालीवाल ने दिल्ली पुलिस से इस मामले के सिलसिले में दर्ज की गई प्राथिमिकी का ब्योरा मांगा है और हिंसा पर तत्काल कदम नहीं उठाने के कारण स्पष्ट करने को कहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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