मोदी के दावे के उलट बंगाल भाजपा ने एक बुकलेट में सीएए के बाद एनआरसी लागू करने की बात कही

बीते 22 दिसंबर को एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पिछले पांच सालों की उनकी सरकार में एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई है. उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों पर लोगों में भ्रम पैदा करने का आरोप लगाया था.

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नागरिकता संशोधन कानून पर बंगाल भाजपा की किताब. (फोटो: पीटीआई)

बीते 22 दिसंबर को एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पिछले पांच सालों की उनकी सरकार में एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई है. उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों पर लोगों में भ्रम पैदा करने का आरोप लगाया था.

नागरिकता संशोधन कानून पर बंगाल भाजपा की किताब. (फोटो: पीटीआई)
नागरिकता संशोधन कानून पर बंगाल भाजपा की किताब. (फोटो: पीटीआई)

कोलकाता: नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के साथ ही प्रस्तावित देशव्यापी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन को शांत करने के लिए जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों साफ किया था कि उनकी सरकार ने एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं की है, वहीं सीएए पर जारी की गई भाजपा के बंगाली संस्करण के एक बुकलेट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि इसके बाद एनआरसी लागू किया जाएगा.

भाजपा ने यह बुकलेट रविवार को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में जारी किया, जो कि सीएए पर ‘फैले भ्रम’ को दूर करने के पार्टी के राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, हालांकि हिंदी संस्करण की किताब में कहीं भी एनआरसी का जिक्र नहीं किया गया है.

23 पेज के इस बुकलेट के आखिरी पन्ने पर एक सवाल में लिखा गया, ‘क्या इसके बाद एनआरसी होगा? इसकी कितनी आवश्यकता है? और अगर एनआरसी होगा तो क्या असम की तरह हिंदुओं को डिटेंशन सेंटर में जाना पड़ेगा?’

रिपोर्ट के अनुसार इसके जवाब में कहा गया, ‘हां, इसके बाद एनआरसी होगा. कम से कम केंद्र सरकार की मंशा तो यही दिख रही है. इसके पहले हम इस बात का साफ उल्लेख करना चाहते हैं कि एनआरसी के कारण किसी हिंदू को डिटेंशन सेंटर नहीं जाना पड़ेगा. असम में जो 11 लाख हिंदू डिटेंशन सेंटर में रह रहे हैं, वे वहां विदेशी अधिनियम के कारण रह रहे हैं.’

इसके बाद बुकलेट में बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार, असम में एनआरसी लागू किया गया था, और राज्य में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा विदेशी अधिनियम पारित किया गया था.

बुकलेट में कहा गया, ‘असम में भाजपा सरकार एनआरसी नहीं लाई. इसके बजाय, इसने एनआरसी के खिलाफ अदालत का रुख करने का फैसला किया है.’

इसमें कहा गया है कि सीएए लागू होने के बाद असम में हिरासत केंद्रों में बंद हिंदुओं को रिहा किया जाएगा. इस बुकलेट में कहा गया है, ‘यह सुना जाता है कि असम और पश्चिम बंगाल में लगभग दो करोड़ घुसपैठिये हैं. इन घुसपैठियों को फर्जी-वोटर के रूप में सूचीबद्ध करने की आवश्यकता है. यह केवल देश में घुसपैठ की समस्या के बारे में बताता है. इसीलिए एक देशव्यापी एनआरसी की जरूरत है.’

यह पूछे जाने पर कि उसी बुकलेट के हिंदी संस्करण में एनआरसी का कोई उल्लेख क्यों नहीं है, तब भाजपा की बंगाल इकाई के महासचिव सायंतन बसु ने कहा, ‘बंगाली में जारी इस बुकलेट में पूरी तरह से हिंदी का अनुवाद नहीं किया गया है. इधर बंगाल में सीएए और एनआरसी को लेकर बहुत भ्रम पैदा हो गया है, इसलिए एनआरसी को बुकलेट के बंगाली संस्करण में दिया गया है और वहां लिखा गया है कि एनआरसी का कार्यान्वयन केंद्र सरकार का विशेषाधिकार है.’

बीते 22 दिसंबर को नई दिल्ली के रामलीला मैदान में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पिछले पांच सालों की उनकी सरकार में एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई है. उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों पर लोगों में भ्रम पैदा करने का आरोप लगाया था.

एनआरसी पर भाजपा के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कहा कि सच सामने आ गया.

टीएमसी महासचिव पार्था चैटर्जी ने कहा, ‘भाजपा की सच्चाई सामने आ गई है. हम कहते रहे हैं कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री एनआरसी पर विरोधाभासी बयान देकर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं. इस राज्य और देश के लोग उन्हें मुंह तोड़ जवाब देंगे.’

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