पुलिस अधिकारियों पर ट्रांसफर के बदले रिश्वत लेने का आरोप लगाने वाले नोएडा एसएसपी निलंबित

नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण ने उत्तर प्रदेश पुलिस में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पांच आईपीएस अधिकारियों के ख़िलाफ़ पोस्टिंग के बदले रिश्वत लेने का आरोप लगाया था. इस संबंध में उत्तर प्रदेश शासन को भेजा गया उनका एक गोपनीय दस्तावेज़ मीडिया में लीक हो गया था.

नोएडा एसएसपी वैभव कृष्ण. (फोटो: यूट्यूब)

नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण ने उत्तर प्रदेश पुलिस में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पांच आईपीएस अधिकारियों के ख़िलाफ़ पोस्टिंग के बदले रिश्वत लेने का आरोप लगाया था. इस संबंध में उत्तर प्रदेश शासन को भेजा गया उनका एक गोपनीय दस्तावेज़ मीडिया में लीक हो गया था.

नोएडा एसएसपी वैभव कृष्ण. (फोटो: यूट्यूब)
नोएडा एसएसपी वैभव कृष्ण. (फोटो: यूट्यूब)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गौतम बुद्ध नगर जिले (नोएडा) के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) वैभव कृष्ण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए गुरुवार को उन्हें निलंबित कर दिया.

सरकारी प्रवक्ता ने उक्त कार्रवाई की जानकारी दी.

सरकार ने एक महिला से चैट के वायरल वीडियो की गुजरात फॉरेंसिक लैब से रिपोर्ट आते ही वैभव कृष्ण को निलंबित कर दिया.

प्रवक्ता ने बताया कि फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में वह वीडियो और चैट सही पाया गया, जिसे वैभव कृष्ण ने फर्जी बताया था. फॉरेंसिक जांच में सामने आया कि वीडियो ‘एडिटेड और मार्फ्ड’ नहीं था.

दरअसल, ट्रांसफर-पोस्टिंग को प्रभावित करने के मामले में एसएसपी वैभव कृष्ण द्वारा शासन को भेजे गए गोपनीय दस्तावेज कथित रूप से मीडिया में लीक हो गया था. इसी दौरान एक महिला के साथ कथित तौर पर उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.

वैभव कृष्ण ने संवाददाता सम्मेलन कर खुद ही जानकारी दी थी कि ट्रांसफर-पोस्टिंग को प्रभावित करने के मामले में एसएसपी वैभव कृष्ण द्वारा शासन को भेजे गए गोपनीय दस्तावेज कथित रूप से मीडिया में लीक हो गया था.

उच्च अधिकारियों को लिखे इस गोपनीय दस्तावेज में वैभव कृष्ण ने उत्तर प्रदेश पुलिस में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए पांच आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ पोस्टिंग के बदले रिश्वत लेने का गंभीर आरोप लगाए थे. इस आरोप के बाद इन पांच अधिकारियों को उनके पद से हटा दिया गया था.

वैभव कृष्ण ने वायरल वीडियो के संबंध में खुद ही प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसके बाद मेरठ के एडीजी और आईजी को जांच सौंपी गई थी. जांच के दौरान आईजी ने यह वीडियो फॉरेंसिक लैब को भेजा था.

वीडियो सामने आने के एक महीने पहले वैभव कृष्ण ने मुख्यमंत्री और डीजीपी के कार्यालय में यह गोपनीय रिपोर्ट भेजी थी. इसमें उन्होंने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों और पत्रकारों के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया था, जो पैसे लेकर ट्रांसफर-पोस्टिंग के साथ केसों और गिरफ्तारियों को भी प्रभावित करते थे.

वीडियो वायरल होने के बाद एसएसपी वैभव कृष्ण ने कहा था कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ किया गया है और यह उनकी विश्वसनीयता को धूमिल करने का प्रयास है, क्योंकि उन्होंने शीर्ष अधिकारियों और गिरफ्तार पत्रकारों से जुड़े एक आपराधिक सांठगांठ का पर्दाफाश करने की मांग की थी.

वैभव कृष्ण ने यह रिपोर्ट पुलिस अधिकारियों के बारे में फर्जी खबरें प्रकाशित करने, अवैध भूमि कब्जे में शामिल होने, काम करवाने के बदलने पैसे मांगने और धमकी देने के बारे में कथित तौर पर फर्जी खबरें प्रकाशित करने के मामले में गौतम बौद्ध नगर पुलिस द्वारा पत्रकार- सुशील पंडित, उदित गोयल, चंदन राय और नीतेश पांडे की गिरफ्तारी के बाद तैयार की थी.

चारों के खिलाफ जांच के दौरान पोस्टिंग के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से उनकी बातचीत का मामला सामने आया. कृष्ण ने सीएमओ और डीजीपी कार्यालय को जो रिपोर्ट भेजी थी उसमें कॉल रिकॉर्ड्स और बातचीत की प्रति लगाई गई थी.

बहरहाल, उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि अधिकारी आचरण नियमावली का उल्लंघन किए जाने के कारण वैभव कृष्ण निलंबित कर दिया गया. उन्होंने बताया कि वैभव कृष्ण के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं. लखनऊ के एडीजी एसएन साबत जांच कर जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे.

प्रवक्ता ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी की ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ की नीति जारी है और इसी के तहत वैभव कृष्ण प्रकरण में आरोपों के दायरे में आए सभी पांच आईपीएस अधिकारियों को जिलों से हटाया गया, ताकि वे जांच को प्रभावित न कर सकें. इनकी जगह नए अधिकारियों को तैनाती दी गई है. सभी को तत्काल जॉइनिंग के आदेश दिए गए हैं.

उन्होंने बताया कि तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है. वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारी एवं डीजी विजिलेंस हितेश चंद्र अवस्थी को एसआईटी प्रमुख बनाया गया है जबकि दो सदस्य आईजी एसटीएफ अमिताभ यश और एमडी जल निगम विकास गोठलवाल बनाए गए हैं.

प्रवक्ता के अनुसार, एसआईटी को पंद्रह दिनों के भीतर जांच पूरी करने के आदेश दिए गए हैं. रिपोर्ट आते ही सख्त कार्रवाई होगी.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई कर एक संदेश दिया है. राज्य के इतिहास में पहली बार इस स्तर की कार्रवाई हुई है. इस प्रकरण की जांच में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एसटीएफ भी लगाई गई है.

प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने भी पुलिस बल में ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार को लिखे गए कथित गोपनीय पत्र को लीक किए जाने को लेकर वैभव कृष्ण से स्पष्टीकरण मांगा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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