सीएए: दिल्ली हाईकोर्ट ने शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग वाली याचिका ख़ारिज की

नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के विरोध में महिलाओं एवं बच्चों समेत हज़ारों लोग दिल्ली के शाहीन बाग और जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रदर्शन कर रहे हैं. इन्हें हटाने के लिए दायर याचिका में कहा गया है कि 14 दिसंबर, 2019 से शुरू हुआ प्रदर्शन कई लाख वाहनों को प्रभावित कर रहा है, जिन्हें इस मार्ग से नहीं गुजरने दिया जा रहा है.

दिसंबर 2019 में दिल्ली के शाहीन बाग़ में प्रदर्शनकारी महिलाएं. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के विरोध में महिलाओं एवं बच्चों समेत हज़ारों लोग दिल्ली के शाहीन बाग और जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रदर्शन कर रहे हैं. इन्हें हटाने के लिए दायर याचिका में कहा गया है कि 14 दिसंबर, 2019 से शुरू हुआ प्रदर्शन कई लाख वाहनों को प्रभावित कर रहा है, जिन्हें इस मार्ग से नहीं गुजरने दिया जा रहा है.

New Delhi: Protesters gather at Shaheen Bagh to oppose the amended Citizenship Act, in New Delhi, Tuesday, Dec. 31, 2019. (PTI Photo) (PTI12_31_2019_000226B)
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में धरने पर बैठ प्रदर्शनकारी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने यहां शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को हटाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. याचिका में कहा गया कि प्रदर्शनकारियों की वजह से सड़कें अवरुद्ध हैं जिसके चलते डीएनडी मार्ग पर यातायात बाधित हो रहा है.

हाथ से लिखे पत्र के रूप में दिए गए आवेदन का उल्लेख मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और जस्टिस सी. हरिशंकर की पीठ के समक्ष किया गया जिसने इस पर विचार करने से इनकार कर दिया.

तुषार सहदेव और रमन कालरा की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया कि दिल्ली से उत्तर प्रदेश, दिल्ली से उत्तराखंड, दिल्ली से नोएडा अस्पतालों, आश्रम और बदरपुर तक के मार्ग इस प्रदर्शन के कारण उपयोग में नहीं हैं क्योंकि शाहीन बाग के आस-पास की सड़कें अवरुद्ध हैं और वाहनों का मार्ग परिवर्तित कर डीएनडी फ्लाईओवर की तरफ कर दिया गया है.

पत्र में कहा गया कि लाखों लोग सड़कें अवरूद्ध होने के कारण परेशान हैं और यह आपात स्थिति में फंसे लोगों के लिए भी एक समस्या है.

आवेदन में कहा गया कि 14 दिसंबर, 2019 से शुरू हुआ प्रदर्शन कई लाख वाहनों को प्रभावित कर रहा है जिन्हें इस मार्ग से नहीं गुजरने दिया जा रहा है.

इसमें दावा किया गया कि प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर अवरोधक और सड़कों के किनारे भारी पत्थर लगा दिए हैं और पैदल यात्रियों को भी यहां से गुजरने नहीं दिया जा रहा है.

याचिका में कहा गया कि प्रदर्शनकारियों ने सड़क डिवाइडरों और सड़कों पर मौजूद अन्य सार्वजनिक संपत्तियों को क्षतिग्रस्त किया जिससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा है.

इसमें यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि इन प्रदर्शनों को अधिकृत प्रदर्शन इलाकों में करने के लिए कहा जाए और वह भी बिना संपत्ति को नुकसान पहुंचाए. अदालत से अपील की गई थी कि वह लोगों के लिए मार्गों के इस्तेमाल को सुगम बनाने के लिए अवरोधकों को हटाने का निर्देश दे.

सीएए और एनआरसी के विरोध में महिलाओं एवं बच्चों समेत हजारों लोग शाहीन बाग और पास के जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रदर्शन कर रहे हैं. कड़ाके की सदी और बारिश के मौसम में भी प्रदर्शनकारी सड़क पर डटे हुए हैं.

शाहीन बाग में यह धरना 24 घंटे चालू रहता है. धरने में बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं. सड़क पर ही सभी का खाना-पीना और चाय-पानी चलता रहता है. छोटे बच्चों को गर्म दूध पीने के लिए दिया जाता है.

शाहीन बाग में चल रहे इस विरोध-प्रदर्शन में आस-पास के इलाके के लोगों को भारी संख्या में जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों का समर्थन भी मिल रहा है. जामिया के प्रदर्शनकारियों का कहना है कि शाहीन बाग का प्रदर्शन कमजोर न पड़े इसलिए वह रोजाना यहां आकर कुछ देर जरूर बैठते हैं. जामिया के इन छात्र-छात्राओं में सभी वर्ग के लोग होते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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