उत्तर प्रदेशः एएमयू के छह छात्रों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई करेगी पुलिस

बीते 15 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में नागरिकता क़ानून और नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के ख़िलाफ़ हो रहा विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था, जिसमें 100 लोग घायल हुए थे.

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Aligarh: People gather at the Eidgah to protest against the alleged police action on AMU students who were protesting over Citizenship Amendment Act, in Aligarh, Monday, Dec. 16, 2019. (PTI Photo) (PTI12_16_2019_000261B)

बीते 15 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में नागरिकता क़ानून और नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के ख़िलाफ़ हो रहा विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था, जिसमें 100 लोग घायल हुए थे.

Aligarh: People gather at the Eidgah to protest against the alleged police action on AMU students who were protesting over Citizenship Amendment Act, in Aligarh, Monday, Dec. 16, 2019. (PTI Photo) (PTI12_16_2019_000261B)
(फोटो: पीटीआई)

लखनऊः उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ पुलिस ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के छह छात्रों के खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के जामिया मिलिया में पुलिस की बर्बर कार्रवाई के विरोध में 15 दिसंबर को एएमयू में हुए प्रदर्शन में भागीदारी के लिए इन छात्रों पर यह एक्ट लगाने की तैयारी हो रही है.

पिछले सप्ताह पुलिस ने अलीगढ़ जिला मजिस्ट्रेट को अपनी रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें छह में से चार छात्रों नदीम अंसारी, हमजा सूफयान, हुजैफा आमिर और आमिर मिंटो के आपराधिक रिकॉर्ड का हवाला दिया गया है.

इन छात्रों पर पहले भी धारा 353 सहित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. अंसारी और हुजैफा एएमयू छात्रसंघ के पूर्व उपाध्यक्ष हैं, अमित पूर्व सचिव और मिंटो छात्र नेता हैं.

सिविल लाइन्स के सर्किल ऑफिसर अनिल कुमार ने कहा, ‘जिला प्रशासन ने सभी चारों छात्रों को नोटिस जारी कर उन्हें जवाब देने को कहा है.’

उन्होंने कहा कि अगर इन छात्रों पर गुंडा एक्ट लगा तो ये छह महीने के लिए अलीगढ़ से निर्वासित हो जाएंगे. पुलिस अन्य दो छात्र नेताओं शारजील उस्मानी और फरहान जुबारी के लिए भी समान रिपोर्टें तैयार कर रही हैं.

बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में हुए हिंसा के बाद पुलिस की कार्रवाई को लेकर फैक्ट फाइंडिंग टीम ने 24 दिसंबर को एक रिपोर्ट जारी की थी.

फैक्ट फाइंडिंग टीम की रिपोर्ट ‘द सीज ऑफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी’ में कहा गया था कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जामिया से भी ज्यादा बर्बर तरीके से छात्रों को पीटा गया था.

रिपोर्ट में कहा गया था कि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार और प्रॉक्टर ने बताया था कि पथराव और हिंसा की अन्य घटनाओं की वजह से उन्हें रैपिड एक्शन फोर्स और पुलिस को यूनिवर्सिटी कैंपस में घुसने की मंजूरी देनी पड़ी ताकि कैंपस में शांति बहाल हो सके और जान और माल की हानि न हो.

लेकिन रिपोर्ट में सवाल उठाया गया था, यदि वास्तव में ऐसा था तो यह स्पष्ट नहीं है कि बाब-ए-सैयद गेट अपने आप चार टुकड़ों में कैसे टूट गया. लोहे के भारी गेट के कोने कैसे इतनी बारीकी से कटे हुए पाए गए, जबकि गेट के ताले सही सलामत थे.

रिपोर्ट में कहा गया कि पुलिस ने कथित तौर पर छात्रों का पीछा किया और उन पर अंधाधुंध लाठीचार्ज किया. पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, स्टन ग्रेनेड और गोलियों का इस्तेमाल किया.

रिपोर्ट में पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स पर आरोप लगाए गए कि उन्होंने घायल छात्रों को मेडिकल सहायता उपलब्ध नहीं कराई.

मालूम हो कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में  बीते 15 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून और नई दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा था, जो हिंसक हो उठा था. छात्र और पुलिसकर्मियों की झड़प में में 100 लोग जख्मी हो गए थे. इनमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल थे.

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