आरओ प्यूरीफायर पर प्रतिबंध के लिए दो महीने में पर्यावरण मंत्रालय जारी करे अधिसूचना: एनजीटी

एनजीटी ने कहा कि उसके आदेश के अनुपालन में हो रही देरी के कारण लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है. एनजीटी एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जो आरओ सिस्टम के अनावश्यक उपयोग के कारण इस पर रोक लगाकर पीने योग्य पानी के संरक्षण की मांग कर रहा है.

(फोटो साभार: फेसबुक)

एनजीटी ने कहा कि उसके आदेश के अनुपालन में हो रही देरी के कारण लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है. एनजीटी एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जो आरओ सिस्टम के अनावश्यक उपयोग के कारण इस पर रोक लगाकर पीने योग्य पानी के संरक्षण की मांग कर रहा है.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने बुधवार को पर्यावरण मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह दो महीने के अंदर उन जगहों पर आरओ प्यूरीफायर को प्रतिबंधित करने की अधिसूचना जारी करे, जहां पानी में कुल घुलनशील ठोस (टोटल डिस्सॉल्व सॉलिड- टीडीएस) प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से नीचे है.

एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उसके आदेश के अनुपालन में हो रही देरी के कारण लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है तथा आदेश का शीघ्रता से अनुपालन होना चाहिए.

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने एनजीटी के आदेश को लागू करने के लिए चार महीने का समय मांगा था.

एनजीटी ने कहा, ‘इस तथ्य के संदर्भ में कि पर्यावरण संरक्षण से जुड़े किसी भी मामले में त्वरित कदम उठाया जाना चाहिए, मसौदा अधिसूचना प्रसारित करने की अवधि या प्रतिक्रिया मंगाने का समय उतना ही लंबा होना चाहिए जितना प्रस्तावित है. इसे घटा कर दो महीने किया जा सकता है. अनुपालन रिपोर्ट अब मामले में सुनवाई की अगली तारीख से पहले ईमेल के जरिये दाखिल की जाए.’

मंत्रालय ने कहा था कि एनजीटी के आदेश के प्रभावी अनुपालन के लिए चार महीने की जरूरत है- दो महीने मसौदा प्रस्ताव के व्यापक प्रसारण के लिए जिससे टिप्पणियां आमंत्रित की जा सकें और दो महीने इन टिप्पणियों में आए सुझावों को शामिल करने तथा अधिसूचना को अंतिम रूप देने व विधि एवं न्याय मंत्रालय से मंजूरी हासिल करने के लिये.

इस मामले में अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी.

आरओ प्यूरिफायर के उपयोग को विनियमित करने के लिए एनजीटी ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह जहां पानी में कुल घुलनशील ठोस (टीडीएस) प्रति लीटर 500 मिलीग्राम से कम है, वहां पर प्रतिबंध लगाए जाएं और दूषित जल के प्रभावों के बारे में जनता को जागरूक करें.

टीडीएस इनऑर्गेनिक सॉल्ट्स के साथ-साथ कार्बनिक पदार्थों की छोटी मात्रा से बना होता है. डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के अनुसार, 300 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे का टीडीएस स्तर उत्कृष्ट माना जाता है, जबकि 900 मिलीग्राम प्रति लीटर खराब और 1200 मिलीग्राम से ऊपर अस्वीकार्य है.

रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) पानी को साफ करने की प्रक्रिया होती है.

यह आदेश एक विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के बाद आया था जिसमें कहा गया था कि अगर टीडीएस 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, तो एक आरओ सिस्टम उपयोगी नहीं होगा, लेकिन इसके उपयोग से पानी की अनुचित बर्बादी होगी.

न्यायाधिकरण एनजीओ फ्रेंड्स द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो आरओ सिस्टम के अनावश्यक उपयोग के कारण इसके अपव्यय को रोककर पीने योग्य पानी के संरक्षण की मांग कर रहा है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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