निर्भया मामला: राष्ट्रपति ने दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका ख़ारिज की

गृह मंत्रालय ने गुरुवार रात को मुकेश सिंह की दया याचिका को राष्ट्रपति भवन भेजा था.

निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के दोषी अक्षय कुमार सिंह, विनय शर्मा, मुकेश सिंह और पवन गुप्ता (बाएं से दाएं). (फोटो: पीटीआई)

गृह मंत्रालय ने गुरुवार रात को मुकेश सिंह की दया याचिका को राष्ट्रपति भवन भेजा था.

निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के दोषी अक्षय कुमार सिंह, विनय शर्मा, मुकेश सिंह और पवन गुप्ता (बाएं से दाएं). (फोटो: पीटीआई)
निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के दोषी अक्षय कुमार सिंह, विनय शर्मा, मुकेश सिंह और पवन गुप्ता (बाएं से दाएं). (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका खारिज कर दी.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सूत्रों ने बताया है कि गृह मंत्रालय का इस संबंध में पत्र मिला है, जिसमें 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका राष्ट्रपति कोविंद ने खारिज कर दी है.

गृह मंत्रालय ने गुरुवार की रात को सिंह की दया याचिका को राष्ट्रपति भवन भेजा था.

इससे पहले 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के एक दोषी मुकेश सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि उनकी दया याचिका उपराज्यपाल और राष्ट्रपति के पास लंबित है इसलिए दया याचिका खारिज होने और फांसी देने की तारीख के बीच 14 दिन का समय दिया जाना चाहिए.

हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने डेथ वारंट जारी करने के निचली अदालत के आदेश को खारिज करने से मना कर दिया. कोर्ट ने दोषी के वकील को कहा कि आप ट्रायल कोर्ट जाइए और वहां बताइए कि आपकी दया याचिका लंबित है.

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश सिंह समेत दो लोगों की क्यूरेटिव याचिका पहले ही खारिज कर दिया था. दिल्ली की एक अदालत द्वारा डेथ वारंट जारी करने के बाद विनय शर्मा और मुकेश सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय में क्यूरेटिव याचिका दायर की थी.

विनय शर्मा और मुकेश सिंह के अलावा पवन और अक्षय को 22 जनवरी के दिन दिल्ली के तिहाड़ जेल में सुबह सात बजे फांसी दी जानी है.

चारों दोषियों को सितंबर 2013 में ही फांसी की सजा दी गई थी और दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा है.

गौरतलब है कि साल 2012 में 16 दिसंबर की रात राजधानी दिल्ली में 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा से एक चलती बस में छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था और उसे सड़क पर फेंकने से पहले बुरी तरह से घायल कर दिया था. दो हफ्ते बाद 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी.

इस घटना के विरोध में देशभर में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बलात्कार के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने की मांग उठी थी. लोगों के रोष के देखते हुए सरकार ने बलात्कार के खिलाफ नया कानून लागू किया था.

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