हर सांस जनता के लिए है, लेकिन किसानों का क़र्ज़ माफ़ नहीं होगा

मध्य प्रदेश में किसानों के उग्र प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने उपवास शुरू किया है.

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शिवराज के अनशन के लिए बना भव्य पंडाल. (फोटो: एएनआई)

मध्य प्रदेश में किसानों के उग्र प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने उपवास शुरू किया है.

शिवराज के अनशन के लिए बना भव्य पंडाल. (फोटो: एएनआई)
शिवराज के अनशन के लिए बना भव्य पंडाल. (फोटो: एएनआई)

मध्य प्रदेश में किसानों के आंदोलन के बीच ही जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बेहतर प्रशासनिक कौशल दिखाकर किसानों को विश्वास में लेना चाहिए था, उनकी समस्या का समाधान खोजना चाहिए था, तब वे अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए हैं.

शिवराज चौहान ने यह तो नहीं बताया कि यह कौन सा प्रशासनिक मॉडल है कि जनता किसी ज़रूरी को मांग को लेकर सड़क पर उतरे तो मुख्यमंत्री ही अनशन पर बैठ जाए. हालांकि, उन्होंने ट्वीट करके यह ज़रूर बताया है कि वे शांति बहाली के लिए उपवास पर बैठ रहे हैं.

अनशन शुरू करने के पहले मंच से मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मेरी हर सांस मध्य प्रदेश की जनता के लिए है. उन्होंने अभी यह नहीं बताया कि किसानों पर गोली क्यों चलवाई और उनकी मौत के बाद मृत किसानों की संख्या पर झूठ क्यों बोल रहे हैं?

भोपाल के दशहरा मैदान में काफ़ी लंबा चौड़ा भारी भरकम पंडाल बनाया गया है, जो कि वाटरप्रूफ है. वहीं पर सीएम के सोने से लेकर कैबिनेट मीटिंग तक का इंतज़ाम है.

जब शिवराज चौहान ने कहा है कि उनकी हर सांस प्रदेश की जनता के लिए है और वे हिंसा के ख़िलाफ़ हैं, उसी समय राज्य के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा है कि वे किसानों की क़र्ज़ माफ़ी के ख़िलाफ़ हैं. किसानों ने पहले ही घोषणा कर रखी है कि वे सरकार के झूठ और धोखे के ख़िलाफ़ हैं. इस त्रिकोणीय ख़िलाफ़त में चौहान ने ट्वीट किया है कि बातचीत से दो देशों के मसले हल हो जाते हैं. आइए, अपनी बात कहिए. यानी किसान दस दिन से जो कह रहे थे, उसे शिवराज सिंह चौहान नहीं सुन रहे थे.

चौहान ने इससे पहले कुछ किसानों से मुलाक़ात करके उनकी समस्या सुनी थी, लेकिन किया कुछ नहीं. इसके बाद उनपर आरोप लगा कि वे जिन किसानों से मिले हैं, वे सब आरएसएस से जुड़े हैं. शिवराज किसानों का आंदोलन कमज़ोर करने के लिए धोखाधड़ी कर रहे हैं. इसके बाद किसानों का आंदोलन हिंसक हो गया.

इस बीच मध्य प्रदेश में सड़क पर उतरे किसान और उग्र होकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस अख़बार का कहना है कि पश्चिमी मध्य प्रदेश में शुरू हुआ यह आंदोलन अब भोपाल तक पहुंच गया है. राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति गंभीर हो गई है. शुक्रवार को भोपाल के आसपास के इलाक़ों में भी प्रदर्शन हुए.

इस बीच शुक्रवार को एक और युवक घनश्याम धाकड़ की मौत हो गई. 26 वर्षीय धाकड़ प्रदर्शन में घायल हो गए थे. उनके परिवार का आरोप है कि वे पुलिस की पिटाई में घायल हुए थे.

यह आश्चर्यजनक नहीं है कि जब देश के कई राज्यों में किसान सड़क पर हैं, उसी समय देश के केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह बिहार में रामदेव के योग शिविर का उद्घाटन कर रहे हैं. पत्रकारों ने उनसे मंदसौर में किसानों की हत्या को लेकर सवाल पूछा तो कृषि मंत्री ने कहा योग कीजिए.

योग, अनशन, भाषण, रैली और दौरे के बीच अभी भी सरकार यह मानती है कि सड़क पर जो लोग हिंसक हैं वे किसान नहीं हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा कि वे असली किसान के नेताओं से मिलेंगे. शिवराज चौहान का अनशन जारी है, किसानों का आंदोलन जारी है. किसानों की आत्महत्याएं भी जारी हैं. तमिलनाडु, राजस्थान और पंजाब से भी किसानों के विरोध जताने की ख़बर है.

काश शिवराज सिंह चौहान तब अनशन पर बैठे होते जब मध्य प्रदेश में किसान आत्महत्या करते रहे और पिछले सात सालों में मध्य प्रदेश में सात हज़ार से ज़्यादा किसानों ने आत्महत्या कर ली.

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