सावरकर पर टिप्पणी के चलते मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडेय के ख़िलाफ़ केस दर्ज

मानवाधिकार कार्यकर्ता संदीप पांडेय द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए एक भाषण के संबंध में हिंदू महासभा के उपाध्यक्ष ने केस दर्ज कराया है.

संदीप पांडेय. (फोटो साभार: फेसबुक)

मानवाधिकार कार्यकर्ता संदीप पांडेय द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दिए गए एक भाषण के संबंध में हिंदू महासभा के उपाध्यक्ष ने केस दर्ज कराया है.

संदीप पांडेय. (फोटो साभार: फेसबुक)
संदीप पांडेय. (फोटो साभार: फेसबुक)

अलीगढ़: मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता संदीप पांडेय के खिलाफ मंगलवार को मामला दर्ज किया गया है. आरोप है कि उन्होंने हिंदुत्ववादी विचारक विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ कथित रूप से अनुचित टिप्पणियां की थीं.

पुलिस ने बुधवार को बताया कि संदीप पांडेय ने सोमवार (20 जनवरी) शाम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को संबोधित किया था. हिंदू महासभा के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बीते मंगलवार को उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया.

अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाने में उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना) और 505 (1)बी (लोग या समुदाय को अपराध करने के लिए उकसाना) के तहत केस दर्ज किया गया है.

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, समाचार पत्रों के माध्यम से राजीव कुमार को जानकारी हुई थी कि संदीप पांडेय ने सावरकर को दलाल कहा है. दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, संदीप पांडेय ने कहा था, ‘सभी को पता है कि सावरकर अंग्रेजों से पेंशन लेते थे. जेल से रिहा होने के लिए उन्होंने अंग्रेजों से माफी भी मांगी. ये अंग्रेजों के गुलाम थे.’

संदीप पांडेय ने अपने संबोधन में कहा था कि आज कुछ लोग हिंदू और मुसलमानों को बांट रहे हैं, जिन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान भी यही किया था.

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा भाडे़ पर लाए गए नकाबपोश गुंडों ने जेएनयू, जामिया और एएमयू में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को बाधित किया. इन विश्वविद्यालयों में हिंसा के पीछे यही लोग असल दोषी हैं.

राजीव कुमार ने जो मामला दर्ज कराया है, उसमें संदीप पांडेय पर अनुचित टिप्पणियां करने का आरोप लगाया गया है. यह आरोप भी लगाया है कि दंगे कराने की नीयत से उन्होंने जन भावनाओं को भडकाने का काम किया है.

उधर, प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर आरोप लगाया कि वह शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने के नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने के लिए दबाव का इस्तेमाल कर रही है.

उन्होंने कहा कि पुलिस पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर रही है और जान-बूझकर विरोध को दबाने की कोशिश कर रही है.

मालूम हो कि बीते दिनों नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन कर रहीं मशहूर शायर मुनव्वर राना की दो बेटियों समेत करीब 160 महिलाओं के खिलाफ निषेधाज्ञा के उल्लंघन के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है.

सीएए और एनआरसी के खिलाफ पुराने लखनऊ के घंटाघर इलाके में महिलाओं का बीती 17 जनवरी को शुरू हुआ प्रदर्शन मंगलवार को भी जारी है. शहर में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू है और इसके उल्लंघन के आरोप में प्रदर्शन कर रही करीब 160 महिलाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

उत्तर प्रदेश पुलिस की इस कार्रवाई पर शायर मुनव्वर राना ने कहा था कि पुलिस ने उनकी बेटियों सुमैया और फौजिया पर धारा 144 के तहत लागू निषेधाज्ञा तोड़ने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया. मगर पुलिस ये भी बताए कि इसी निषेधाज्ञा की धज्जियां उड़ाकर आज (21 जनवरी) लखनऊ में रैली करने वाले गृह मंत्री अमित शाह पर कब मुकदमा होगा?

राना ने कहा था कि अगर सरकार की नजर में शाह का रैली करना जायज है तो जाहिर है कि पुलिस की कार्रवाई सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहीं उनकी बेटियों और तमाम मुल्जिम महिलाओं तथा लड़कियों के साथ नाइंसाफी है.

उन्होंने कहा कि यह तो वही हुआ कि जब किसी शहर में कोई ‘शाह’ आता है तो फकीरों के बेटे-बेटियां बंद कर दिए जाते हैं.

इससे पहले राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के सिलसिले में सामाजिक कार्यकर्ता व कांग्रेस नेता सदफ़ जफ़र, पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था. बीते चार जनवरी को कांग्रेस नेता सदफ़ जफ़र, पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी और 13 अन्य को एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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