गुजरात दंगा: सरदारपुरा नरसंहार मामले में दोषी क़रार 14 लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत दी

गोधरा ट्रेन नरसंहार के अगले दिन 28 फरवरी 2002 की रात को सरदारपुरा गांव में अल्पसंख्यक समुदाय के 33 लोगों को ज़िंदा जला दिया गया था, जिसमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे.

/
(फोटो: रॉयटर्स)​​​

गोधरा ट्रेन नरसंहार के अगले दिन 28 फरवरी 2002 की रात को सरदारपुरा गांव में अल्पसंख्यक समुदाय के 33 लोगों को ज़िंदा जला दिया गया था, जिसमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: 2002 के गोधरा दंगों के बाद सरदारपुरा नरसंहार मामले में आजीवान कारावास की सजा पाने वाले 17 लोगों में से 14 लोगों सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. ये लोग सरदारपुरा में 33 लोगों को जिंदा जलाने के मामले में दोषी करार दिए गए थे.

बार एंड बेंच के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर रिहा किए गए 14 दोषियों को समाज सेवा करने के लिए कहा है. हालांकि, अदालत ने उन्हें गुजरात से बाहर रहने का आदेश दिया है.

सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और सूर्यकांत की पीठ ने इन 14 दोषियों को दो समूहों में विभाजित कर एक को मध्य प्रदेश के इंदौर और दूसरे को वहां से 500 किमी दूर जबलपुर भेजा जाएगा.

शर्तें निर्धारित करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि दोषियों को रिपोर्ट करने के लिए निर्धारित पुलिस स्टेशनों को चिह्नित किया जाएगा. भोपाल विधिक सेवा प्राधिकरण को इन दोषियों के लिए रोजगार के अवसर सुझाना है.

शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित शर्तों में से एक अपराधियों को प्रति सप्ताह छह घंटे के लिए सामुदायिक सेवा देने और उनके मानसिक स्वास्थ्य के लाभ के लिए पाठ्यक्रमों या सेमिनारों से गुजरना है.

कोर्ट ने कहा कि इन दोषियों के बारे में रिपोर्ट हर तीन महीने में विधिक सेवा प्राधिकरण को सुप्रीम कोर्ट में पेश करनी होगी.

बता दें कि, गुजरात के गोधरा स्टेशन पर 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के स्लीपर कोच एस-6 को जला दिया गया था, जिसमें 59 लोग जिंदा जल गए थे. मरने वालों में ज़्यादातर कारसेवक थे जो उत्तर प्रदेश के अयोध्या से लौट रहे थे. इसके बाद गुजरात के इतिहास के सबसे भयावह सांप्रदायिक दंगे हुए जिनमें करीब एक हजार लोग मारे गए थे. मरने वालों में ज्यादातर लोग मुस्लिम थे.

ट्रेन में आगजनी की घटना के बाद गुजरात भर में फैला दंगा करीब तीन महीने तक चलता रहा. इन्हीं में से एक मामला गोधरा ट्रेन नरसंहार के अगले दिन 28 फरवरी, 2002 की रात को महसाना जिले वीजापुर तहसील की सरदारपुरा गांव में हुआ था जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के 33 लोगों को जिंदा जला दिया गया था.

33 मृतकों ने अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों पर हमला करने वाली भीड़ से बचने के लिए एक पक्के’ घर में शरण ली थी जिसमें 22 महिलाएं शामिल थीं. उन्हें घर के अंदर ही बंद कर दिया गया था, जिसे भीड़ ने पेट्रोल का इस्तेमाल करके आग लगा दी थी.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल ने इस मामले में 76 लोगों को गिरफ्तार किया था. इसके बाद जून 2009 में 73 के खिलाफ आरोप तय किए गए थे.

हत्याकांड के 10 साल बाद 2012 में 31 लोगों को दोषी ठहराए जाने वाले विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 2002 के दंगों के मामले को साबित करने के लिए अभियोजन की सफलता को दुर्लभ उदाहरणों में से एक बताया था.

हालांकि, चार साल बाद गुजरात हाईकोर्ट ने 31 में से 14 दोषियों को बरी कर दिया. हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि अभियोजन पक्ष सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दो-गवाहों के परीक्षण में विफल रहा. इसके अनुसार, दंगा मामले में एक अभियुक्त के खिलाफ कम से कम दो गवाहों को अदालत द्वारा उसे दोषी ठहराने के लिए गवाही देनी चाहिए थी.

हालांकि, इस आधार पर हाईकोर्ट ने 17 दोषियों की सजा को बरकरार रखा था.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq