मेघालय में वध के लिए मवेशियों की ख़रीद-बिक्री पर रोक के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित

मेघालय सरकार का तर्क है कि केंद्र की इस अधिसूचना से राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ ही लोगों के खान​​​​-पान की संस्कृति प्रभावित होगी.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

मेघालय सरकार का तर्क है कि केंद्र की इस अधिसूचना से राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ ही लोगों के खान-पान की संस्कृति प्रभावित होगी.

Cattle Market PTI
(फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स)

मेघालय विधानसभा ने पशु बाज़ार में वध के लिए मवेशियों की ख़रीद-बिक्री संबंधी केंद्र की अधिसूचना के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया है. सोमवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री मुकुल संगमा की ओर से लाए गए प्रस्ताव को सभी दलों के सदस्यों ने अपना समर्थन दिया.

पर्यावरण मंत्रालय ने बीते मई महीने में पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम के तहत सख़्त पशु क्रूरता निरोधक (पशुधन बाज़ार नियमन) नियम, 2017 को लेकर नई अधिसूचना जारी की थी.

विधानसभा में इस अधिनियम के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित करते हुए मुकुल संगमा ने आरोप लगाया कि केंद्र की ओर से यह क़ानून सामान्य तौर पर नॉर्थ ईस्ट और ख़ास तौर पर मेघालय को प्रभावित करने के लिए लाया गया है.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘बीफ मेघालय के आदिवासी लोगों के खान-पान का अभिन्न अंग है. 2015-16 में राज्य में इसकी मांग 23,634 मिट्रिक टन थी. राज्य में 12,834 मिट्रिक टन उत्पादन हुआ था और 10,800 मिट्रिक टन बाहर से ख़रीदा गया था.’

विधानसभा में मुकुल संगमा ने बताया, ‘पशु बाज़ार में वध के लिए मवेशियों की ख़रीद-बिक्री पर रोक से राज्य के 5.7 लाख परिवार यानी 79 प्रतिशत जनसंख्या की आजीविका प्रभावित होगी, जो इस कारोबार से जुड़े थे.’

पिछले महीने सरकार ने वध के लिए पशु बाज़ारों में मवेशियों की ख़रीद-फ़रोख़्त पर प्रतिबंध लगा दिया था.

इस अधिसूचना के मुताबिक, पशु बाज़ार समिति के सदस्य सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी शख़्स बाज़ार में अवयस्क पशु को बिक्री के लिए न लेकर आए.

किसी भी शख़्स को पशु बाज़ार में मवेशी को लाने की इजाज़त नहीं होगी जब तक कि वहां पहुंचने पर वह पशु के मालिक द्वारा हस्ताक्षरित लिखित घोषणा-पत्र न दे दे जिसमें मवेशी के मालिक का नाम और पता हो और फोटो पहचान-पत्र की एक प्रति भी लगी हो.

साथ ही मवेशी की पहचान का पूरा ब्योरा देने के साथ यह भी स्पष्ट करना होगा कि मवेशी को बाज़ार में बिक्री के लिए लाने का उद्देश्य उसका वध नहीं है.

इस अधिसूचना के मुताबिक किसी भी शख़्स को पशु बाज़ार में मवेशी को लाने की इजाज़त नहीं होगी जब तक कि वहां पहुंचने पर वह पशु के मालिक द्वारा हस्ताक्षरित लिखित घोषणा-पत्र न दे दे जिसमें मवेशी के मालिक का नाम और पता हो और फोटो पहचान-पत्र की एक प्रति भी लगी हो.

पशु बाज़ार समिति के सदस्य सचिव को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी शख़्स बाज़ार में अवयस्क पशु को बिक्री के लिए न लेकर आए.

सरकार ने मवेशियों से जुड़ीं क्रूर परंपराओं पर भी प्रतिबंध लगाया है, जिसमें उनके सींग रंगना तथा उन पर आभूषण या सजावट के सामान लगाना शामिल है.

इसके बाद 30 मई को मद्रास उच्च न्यायालय ने वध के लिए पशुओं की ख़रीद-बिक्री पर पाबंदी संंबंधी केंद्र की अधिसूचना पर चार हफ्तों के लिए रोक लगा दी थी.

मेघालय, केरल, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी की राज्य सरकारें और कई ग़ैर भाजपा पार्टियां केंद्र के इस फैसले का विरोध कर रही हैं.

मेघालय में इस अधिनियम का विरोध काफी ज़ोर शोर से चल रहा है. इस मुद्दे को लेकर राज्य के नॉर्थ गारो हिल्स ज़िले के भाजपा अध्यक्ष बाचू मरक और वेस्ट गारो हिल्स के भाजपा जिलाध्यक्ष बर्नार्ड एन. मरक पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. साथ ही राज्य में पांच हज़ार भाजपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी और पांच मंडल इकाइयां भी भंग की जा चुकी हैं.

(समाचार एजेंसी पीटीआई से इनपुट के साथ)

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