कर्नाटक स्कूल राजद्रोह मामला: बाल अधिकार आयोग ने पुलिस से कहा- बच्चों से पूछताछ बंद करें

कर्नाटक स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के अध्यक्ष एंटनी सेबेस्टियन ने बीदर पुलिस के अधिकारियों को एक पत्र लिखकर कहा है कि पुलिस की जांच में शाहीन स्कूल में डर का माहौल बनाया गया और पुलिस को तुरंत स्कूली बच्चों से पूछताछ बंद कर देनी चाहिए.

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कर्नाटक के बीदर स्थित स्कूल के अधिकारियों के साथ एक बच्चे से पूछताछ करती दिख रही पुलिस. (फोटो: वीडियोग्रैब)

कर्नाटक स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के अध्यक्ष एंटनी सेबेस्टियन ने बीदर पुलिस के अधिकारियों को एक पत्र लिखकर कहा है कि पुलिस की जांच में शाहीन स्कूल में डर का माहौल बनाया गया और पुलिस को तुरंत स्कूली बच्चों से पूछताछ बंद कर देनी चाहिए.

कर्नाटक के बीदर स्थित स्कूल के अधिकारियों के साथ एक बच्चे से पूछताछ करती दिख रही पुलिस. (फोटो: वीडियोग्रैब)

बीदरः कर्नाटक के बीदर के एक स्कूल में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए एक नाटक के बाद स्कूल पर राजद्रोह का मामला दर्ज होने और नौ साल के एक बच्चे की विधवा मां से पूछताछ और गिरफ्तारी के बाद राज्य के बाल अधिकार आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आयोग ने जिला पुलिस से कहा है कि इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के साथ कई नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है.

कर्नाटक स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (केएसपीसीआर) के अध्यक्ष एंटनी सेबेस्टियन ने बीदर पुलिस के अधिकारियों को एक पत्र लिखा है. जिसमें एसपी, डिप्टी कमिश्नर और डीजीपी स्तर के अधिकारी शामिल हैं.

इस पत्र में कहा गया है कि पुलिस की जांच में शाहीन प्राइमरी स्कूल में डर का माहौल बनाया गया. पत्र में कहा गया कि पुलिस को तुरंत स्कूली बच्चों से पूछताछ बंद कर देनी चाहिए.

केएसपीसीआर का कहना है कि नौ साल के बच्चे की मां और स्कूल की प्रिंसिपल को गिरफ्तार करने के बाद बिना स्थानीय बाल कल्याण समिति को सूचित किए बच्चे को पड़ोसी की देखरेख में रखकर पुलिस ने नियमों का उल्लंघन किया है.

बता दें कि पुलिस ने 30 जनवरी को नौ साल के बच्चे की मां और शाहीन स्कूल की प्रिंसिपल को गिरफ्तार किया था. बाल अधिकार विशेषज्ञ डॉ. जयश्री के नेतृत्व में बाल अधिकार आयोग की दो सदस्यीय समिति ने इस मामले की जांच की.

केएसपीसीआर के अध्यक्ष सेबेस्टियन ने कहा, ‘बच्चों के परिजनों, स्कूल अधिकारियों, बच्चों और पुलिसकर्मियों से बातचीत, सीसीटीवी फुटेज और फोटोग्राफ के आधार पर यह स्पष्ट है कि पुलिस ने स्कूल में बच्चों के अधिकारों का साफ उल्लंघन किया है.’

सेबेस्टियन का कहना है कि हमने पुलिसकर्मियों द्वारा बच्चों से पूछताछ करने की तस्वीरें देखी हैं. जब बच्चों से पूछताछ हो, तो उस वक्त बच्चों के परिजन मौजूद रहने चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘जांच में पता चला है कि जिस बच्चे के परिजन को गिरफ्तार किया गया, उसे बिना बाल कल्याण समिति को सूचित किए उसके पड़ोसी के घर भेज जिया, जो साफ तौर पर जुवेनाइल जस्टिस (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) 2000 का उल्लंघन है.’

कमीशन के अधिकारियों के मुताबिक, पुलिस द्वारा पूछताछ किए जाने के बाद कई बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है.

केएसपीसीआर ने बीदर पुलिस को कहा कि जब अदालत में बच्चे की मां की जमानत अर्जी पर सुनवाई हो तो पुलिस बच्चे के बारे में भी कोर्ट को बताए.

बता दें कि यह पूछताछ बीती 21 जनवरी को स्कूल के वार्षिक दिवस पर आयोजित हुए एक नाटक के संबंध में हुई थी, जिसे लेकर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया. स्थानीय एबीवीपी कार्यकर्ता की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था.

एबीवीपी के स्थानीय कार्यकर्ता नीलेश रक्षयाल की शिकायत पर 26 जनवरी को शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद स्कूल की प्रिंसिपल फरीदा बेगम और स्कूल में सीएए विरोधी प्ले कर रहे  नौ साल के बच्चे की मां को गिरफ्तार किया गया.

शिकायतकर्ता ने बताया कि सोशल मीडिया पर उसने एक वीडियो देखा, जिसमें स्कूल में देश विरोधी भावनाओं को भड़काया गया और बच्चे सीएए के विरोध में प्रधानमंत्री की तस्वीर को चप्पलों से पीट रहे थे.

बीदर पुलिस ने इस मामले में राजद्रोह और शांति भंग करने की धाराओं 124ए और 504 के तहत स्कूल के हेड और मैनेजमेंट सहित कथित तौर पर इस वीडियो को बनाने वाले पत्रकार मोहम्मद यूसुफ रहीम के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.