पुडुचेरी विधानसभा में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित

पुडुचेरी नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रस्ताव पारित करने वाला पहला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है. इससे पहले केरल, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश विधानसभाओं में इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित हो चुके हैं.

/
वी. नारायणसामी पुडुचेरी विधानसभा को संबोधित करते हुए. (फोटो: फेसबुक: वी. नारायणसामी)

पुडुचेरी नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रस्ताव पारित करने वाला पहला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है. इससे पहले केरल, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश विधानसभाओं में इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित हो चुके हैं.

वी. नारायणसामी पुडुचेरी विधानसभा को संबोधित करते हुए. (फोटो: फेसबुक: वी. नारायणसामी)
वी. नारायणसामी पुडुचेरी विधानसभा को संबोधित करते हुए. (फोटो साभार: फेसबुक/वी.नारायणसामी)

पुडुचेरी: कांग्रेस शासित पुडुचेरी की विधानसभा ने बुधवार को विवादित संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया. इसके साथ ही वह इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला पहला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है.

इससे पहले नागरिकता कानून के विरोध में केरल, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश विधानसभाओं में भी यह प्रस्ताव पारित हो चुका है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन कानून का खुलकर विरोध कर रहे हैं.

विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान विपक्ष के बहिष्कार के बीच मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने प्रस्ताव पेश किया, जिसे विधानसभा ने पारित कर दिया.

विधानसभा ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का भी पुरजोर विरोध किया.

विपक्षी दलों एआईएनआरसी और अन्नाद्रमुक के विधायकों ने सत्र का बहिष्कार किया जबकि भाजपा के तीन नामित विधायकों ने प्रस्ताव पेश किये जाने पर आपत्ति जताते हुए सदन से वॉकआउट कर गए.

दैनिक जागरण के मुताबिक पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने बताया कि केंद्र से नागरिकता संशोधित कानून को वापस लेने का आग्रह करते हुए प्रस्ताव पुडुचेरी विधानसभा में पास किया गया है.

पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरन बेदी ने दो दिन पहले ही सीएम नारायणसामी को पत्र लिखकर कहा था कि संसद द्वारा पारित अधिनियम केंद्र शासित प्रदेश के लिए लागू किया गया है और किसी भी तरीके से इससे छेड़छाड़ या सवाल नहीं किया जा सकता.

पंजाब केसरी के मुताबिक माकपा सचिव रंजनगम ने पुड्डचेरी सरकार को यह प्रस्ताव न पारित करने का परामर्श दे रहीं उपराज्यपाल किरन बेदी की आलोचना की.

किरन बेदी ने तर्क दिया था कि सरकार के पास इस प्रस्ताव को पारित करने के लिए शक्तियां नहीं है. इस पर विपक्ष का आरोप है कि ऐसा करके उन्होंने इस तथ्य को छुपाया कि सरकार के पासकानून का विस्तारके तहत इतनी शक्तियां है कि वह केंद्र सरकार के किसी कानून को लागू नहीं करने का निर्णय ले सकती है.

माकपा सचिव ने विपक्ष एनआर कांग्रेस और अन्नाद्रमुक के इस ऐतिहासिक प्रस्ताव में हिस्सा नहीं लेने को लेकर भी आलोचना की है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ऐसा कानून लेकर आयी है जो संविधान के बुनियादी ढांचे को तोड़ता है.

विपक्ष पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई यह सोच कर चुप्पी साधे हुए है कि यह कानून केवल श्रीलंकाई तमिल और अल्पसंख्यकों को ही नुकसान पहुंचाएगा तो ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा, ‘यह कानून सभी के लिए खतरनाक है और इससे हर कोई प्रभावित होगा इसलिए हम सभी को इस कानून का खुलकर विरोध करना चाहिए.’

इस बीच मानव संसाधन एवं उपभोक्ता संरक्षण सोसाइटी ने भी विधानसभा के इस कदम का स्वागत किया है.

मालूम हो कि नागरिकता संशोधन कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए गैर-मुस्लिम समुदायों- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है.

इस कानून को ‘असंवैधानिक’ और ‘समानता के अधिकार का उल्लंघन करने वाला’ करार देते हुए कई लोगों ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq