बीएसएनएल के कर्मचारी संगठन आज राष्ट्रव्यापी भूख हड़ताल पर

ऑल यूनियंस एंड एसोसिएशंस ऑफ बीएसएनएल ने एक बयान में कहा कि इस हड़ताल की प्रमुख वजह बीएसएनएल के पुनरोद्धार पैकेज को अमल में लाने में देरी और कर्मचारियों की शिकायतों का निवारण है.

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(फोटो: पीटीआई)

ऑल यूनियंस एंड एसोसिएशंस ऑफ बीएसएनएल ने एक बयान में कहा कि इस हड़ताल की प्रमुख वजह बीएसएनएल के पुनरोद्धार पैकेज को अमल में लाने में देरी और कर्मचारियों की शिकायतों का निवारण है.

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(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के कर्मचारी संगठनों की सोमवार को राष्ट्रव्यापी भूख हड़ताल है. कर्मचारी सरकार द्वारा घोषित 69,000 करोड़ रुपये के पुनरोद्धार पैकेज में देरी का विरोध कर रहे हैं.

ऑल यूनियंस एंड एसोसिएशंस ऑफ बीएसएनएल (एयूएबी) ने एक बयान में कहा कि वह 24 फरवरी 2020 को देशव्यापी भूख हड़ताल बुला रही है. इस हड़ताल की प्रमुख वजह बीएसएनएल के पुनरोद्धार पैकेज को अमल में लाने में देरी और कर्मचारियों की शिकायतों का निवारण है.

अक्टूबर में केंद्र सरकार ने बीएसएनएल और एमटीएनएल के पुनरोद्धार के लिए 68,751 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी. इसमें 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन, स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति (वीआरएस) और कंपनियों का विलय शामिल है.

एयूएबी ने कहा कि बीएसएनएल की पुनरोद्धार योजना में 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन, वीआरएस, परिसंपत्तियों का मौद्रीकरण और दीर्घावधि बांड जारी कर 15,000 करोड़ रुपये का कोष जुटाने के लिए सरकार की गारंटी शामिल है. इस कोष में 8,500 करोड़ रुपये बीएसएनएल के और 6,500 करोड़ रुपये एमटीएनएल के लिए जुटाए जाने हैं.

बयान के अनुसार, ‘इन सारी घोषणाओं में से वीआरएस को छोड़कर कुछ और लागू नहीं किया गया है. इसके माध्यम से 78,569 बीएसएनएल कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गयी है. यह बहुत दुख की बात है कि चार महीने बीत जाने के बावजूद बीएसएनएल को 4जी स्पेक्ट्रम आवंटित नहीं किया गया है.’

इसके अलावा 8,500 करोड़ रुपये जुटाने के लिए सरकार ने बीएसएनएल को अभी तक गारंटी भी नहीं दी है. वहीं कंपनी की परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण का काम भी धीमी गति से चल रहा है. बीएसएनएल के कर्मचारी संगठनों के संघ का कहना है कि 4जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में देरी और कोष की अनुपलब्धता के चलते बीएसएनएल की 4जी सेवा 2020 के अंत से पहले शुरू होने की संभावना नहीं है.

इससे पहले पिछले साल नवंबर महीने में आर्थिक संकट से जूझ रही सरकारी दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के कर्मचारियों ने आरोप लगाया था कि कंपनी प्रबंधन उन्हें जबरन स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए मजबूर किया जा रहा है. कर्मचारियों ने इसके खिलाफ देशव्यापी भूख हड़ताल की थी.

मालूम हो कि पिछले साल केंद्र सरकार ने आर्थिक संकट से जूझ रहीं सरकारी दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए 69 हजार करोड़ रुपये के रिवाइवल पैकेज की घोषणा की थी. इसके तहत एमटीएनएल का बीएसएनएल में विलय, संपत्तियों की बिक्री या पट्टे पर देना, कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की पेशकश की गई थी.

पुनरुद्धार पैकेज में कंपनियों द्वारा 15,000 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाने के लिए सरकार की गारंटी, 4जी स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए 20,140 करोड़ रुपये की पूंजी डालना, कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति देनदारी सहित वीआरएस के लिए 29,928 करोड़ रुपये और जीएसटी के तौर पर 3,674 करोड़ रुपये की राशि दिया जाना शामिल है.

बीएसएनएल में करीब 1.68 लाख कर्मचारी हैं जबकि एमटीएनएल के करीब 22,000 कर्मचारी हैं. दोनों कंपनियों पर कुल 40,000 करोड़ रुपये का कर्ज है , जिसमें से आधा कर्ज एमटीएनएल का है, जो सिर्फ दिल्ली और मुंबई में परिचालन करती है. दोनों कंपनियां बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए लंबे समय से स्पेक्ट्रम की मांग कर रही थी ताकि 4जी सेवा शुरू की जा सके.

इसके कुछ दिनों बाद बीएसएनएल और एमटीएनएल ने अपने कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) पेश की थी. सरकार ने दोनों दूरसंचार कंपनियों के कर्मचारियों के लिये वीआरएस अपनाने की अंतिम तिथि 31 जनवरी 2020 तय की है.

बीएसएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पीके पुरवार के अनुसार कंपनी के कुल 1.6 लाख कर्मचारियों में से 77 हजार कर्मचारियों ने वीआरएस का चयन किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)