दिल्ली दंगे की कवरेज पर दो मलयाली चैनलों पर लगाई गई 48 घंटे की पाबंदी, दोबारा प्रसारण शुरू

अपने अभूतपूर्व आदेशों में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने केरल के दोनों चैनलों मीडिया वन और एशियानेट न्यूज टीवी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक समुदाय का पक्ष लेने और दिल्ली पुलिस और आरएसएस की आलोचना को कारण बताया था.

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(फोटो: पीटीआई)

अपने अभूतपूर्व आदेशों में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने केरल के दोनों चैनलों मीडिया वन और एशियानेट न्यूज टीवी पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक समुदाय का पक्ष लेने और दिल्ली पुलिस और आरएसएस की आलोचना को कारण बताया था.

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नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा की रिपोर्टिंग पर दो मलयालम चैनलों के प्रसारण पर लगाई गई 48 घंटों के बाद अब उनका दोबारा प्रसारण शुरू कर दिया है. यह जानकारी सूत्रों ने दी है.

बता दें कि, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की कवरेज को लेकर केरल के दो न्यूज चैनलों के प्रसारण पर शुक्रवार को 48 घंटे की रोक लगाते हुए कहा था कि इस तरह की खबर से ‘साम्प्रदायिक विद्वेष बढ़ सकता है.’

ये दो चैनल- मीडिया वन और एशियानेट न्यूज टीवी हैं.

उन्हें शुरुआत में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और उनके जवाब दाखिल करने के बाद मंत्रालय ने पाया कि उन्होंने केबल टीवी नेटवर्क (नियमन) कानून, 1995 के तहत निर्धारित कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन किया है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अपने अभूतपूर्व आदेशों में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने दोनों चैनलों पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक समुदाय का पक्ष लेने और दिल्ली पुलिस और आरएसएस की आलोचना को कारण बताया था. दोनों आदेशों ने दंगों के बारे में अपनी रिपोर्टिंग के दौरान चैनलों पर किसी ‘विशेष समुदाय की ओर पूजा स्थलों और हमले के लिए हमले को उजागर करने’ का आरोप लगाया गया था.

मीडिया वन समाचार के खिलाफ आदेश में मंत्रालय ने कहा था कि चैनल ‘आरएसएस पर सवाल उठाता है और दिल्ली पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाता है’, जिससे चैनल दिल्ली पुलिस और आरएसएस के प्रति आलोचनात्मक लगता है” और “सीएए समर्थकों की बर्बरता” पर ध्यान केंद्रित करता है.

मंत्रालय ने देशभर में किसी भी प्लेटफार्म से दोनों चैनलों के प्रसारण एवं पुनर्प्रसारण पर छह मार्च शाम साढ़े सात बजे से आठ मार्च शाम साढ़े सात बजे तक के लिए रोक लगा दी थी.  दोनों चैनलों को जारी आदेशों में रिपोर्टिंग का जिक्र किया गया जो नियमों के खिलाफ हैं और जब स्थिति काफी संवेदनशील है, ऐसे में इस तरह की रिपोर्टिंग देश भर में साम्प्रदायिक विद्वेष को बढ़ा सकता है.

मीडिया वन के प्रधान संपादक सीएल थॉमस ने फैसले को ‘मीडिया की स्वतंत्रता पर सरकार का सबसे बड़ा अतिक्रमण’ बताया.

उन्होंने कहा, भारत के इतिहास में ऐसा प्रतिबंध कभी नहीं लगा. आपातकाल के समय, मीडिया पर प्रतिबंध थे. अब देश इमरजेंसी से नहीं गुजर रहा है. टीवी चैनलों पर रोक लगाने का निर्णय देश के सभी मीडिया घरानों के लिए एक चेतावनी है कि उन्हें सरकारों की आलोचना नहीं करनी चाहिए.

केरल के दो चैनलों के प्रसारण पर केंद्र की रोक की माकपा, कांग्रेस ने निंदा की

केरल के दो समाचार चैनलों पर केंद्र की रोक की माकपा और विपक्षी कांग्रेस ने शुक्रवार को निंदा की तथा इसे मीडिया को धमकाने का ‘घृणित प्रयास’ करार दिया.

केंद्र के कदम की आलोचना करते हए माकपा के राज्य सचिव कोडियेरी बालकृष्णन ने आरोप लगाया कि यह मीडिया पर नियंत्रण करने का प्रयास है.

कांग्रेस के नेता रमेश चेन्निथला ने इसे प्रेस की आजादी के खिलाफ और ‘असंवैधानिक’ बताया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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