अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवसः प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान को आठ साल की कार्यकर्ता ने ठुकराया

जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम ने कहा कि अगर सरकार मेरी आवाज़ नहीं सुन सकती तो आप मुझे इसमें शामिल नहीं करें. मुझे अन्य प्रेणादायक महिलाओं के साथ शामिल करने के लिए शुक्रिया लेकिन मैंने इस सम्मान को अस्वीकार करने का फैसला किया है.

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जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम ने कहा कि अगर सरकार मेरी आवाज़ नहीं सुन सकती तो आप मुझे इसमें शामिल नहीं करें. मुझे अन्य प्रेणादायक महिलाओं के साथ शामिल करने के लिए शुक्रिया लेकिन मैंने इस सम्मान को अस्वीकार करने का फैसला किया है.

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जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता लिसी प्रिया कंगुजम (फोटो साभारः ट्विटर)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सात महिलाओं को अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट सौंपने की बात कही थी, जिनमें से एक मणिपुर की आठ साल की जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम भी हैं.

हालांकि लिसिप्रिया कंगुजम ने प्रधानमंत्री मोदी के इस सम्मान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.

वह जलवायु परिवर्तन पर अपनी मांग को अनसुना किए जाने से नाराज हैं.

 

 

भारत सरकार के ट्विटर हैंडल माईजीओवीइंडिया पर कुछ प्रेरणादायक महिलाओं की कहानियों को साझा किया गया था.

इन्ही में आठ साल की जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम भी थीं.

लिसिप्रिया कंगुजम की कहानी को भी भारत सरकार ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया था.

कंगुजम ने इस सम्मान के लिए सरकार का आभार जताया लेकिन साथ में यह भी कहा कि वह इससे खुश नहीं हैं.

लिसिप्रिया कंगुजम ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘सरकार मेरी बात सुनती नहीं है और आज उन्होंने मुझे प्रेरणादायक महिलाओं की श्रेणी में शामिल किया है लेकिन क्या यह वाकई सही है? मुझे पता चला है कि प्रधानमंत्री मोदी की पहल के तहत 32 लाख लोगों के बीच उन्होंने मुझे भी कुछ प्रेरणादायक महिलाओं में शामिल किया है.’

वहीं एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘अगर आप मेरी आवाज़ नहीं सुन सकते तो आप मुझे इसमें शामिल नहीं करें. #SheInspireUS में मुझे अन्य प्रेणादायक महिलाओं के साथ शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया लेकिन काफी बार सोचने के बाद मैंने इस सम्मान को अस्वीकार करने का फैसला किया है.’

 बता दें कि सुरक्षित पर्यावरण के लिए काम करने वाली बाल कार्यकर्ता कार्बन उत्सर्जन और ग्रीन हाउस गैसों को कम करने वाले कानून की मांग करती रही हैं.
उन्हें भारत की ग्रेटा थनबर्ग भी कहा जाता है.
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