जम्मू कश्मीर: रिहा होंगे फ़ारूक़ अब्दुल्ला, सरकार ने पीएसए हटाया

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने और इसे दो राज्यों में बांटने के फैसले के बाद पिछले सात महीने से ज़्यादा समय से पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला हिरासत में थे.

Srinagar: Jammu and Kashmir National Conference President Farooq Abdullah during an interview with the PTI, in Srinagar on Sunday, July 29, 2018. (PTI Photo/S Irfan) (STORY DEL20)(PTI7_29_2018_000055B)
फ़ारूक़ अब्दुल्ला. (फाइल फोटो: पीटीआई)

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने और इसे दो राज्यों में बांटने के फैसले के बाद पिछले सात महीने से ज़्यादा समय से पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला हिरासत में थे.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला. (फोटो: पीटीआई)
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फ़ारूक़ अब्दुल्ला. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर सरकार ने शुक्रवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला की जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत को खत्म कर दिया. अब्दुल्ला राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन पिछले साल पांच अगस्त से नजरबंदी के कारण संसद में उपस्थित नहीं हो पाए.

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और इसे दो राज्यों में बांटने के फैसले के बाद से ही पिछले सात महीने से ज्यादा समय से अब्दुल्ला हिरासत में थे.

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने जारी अपने बयान में कहा, ‘जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम की धारा 19(1) के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किए गए हिरासत आदेश संख्या DMS/PSA/120/2019 को सरकार खत्म करती है.’ इससे पहले दो बार तीन-तीन महीने के लिए दो बार पीएसए के तहत अब्दुल्ला की हिरासत अवधि को बढ़ाया गया था.

पिछले कुछ महीनों से विपक्ष के कई नेताओं ने फारूक अब्दुल्ला की हिरासत का मुद्दा उठाया और उन्हें रिहा करने की मांग कर रहे थे. बीते सोमवार को छह विपक्षी दलों- राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, जनता दल (सेक्यूलर), माकपा, सीपीआई और राष्ट्रीय जनता दल ने एक साथ बयान जारी कर अब्दुल्ला को रिहा करने की मांग की.

उन्होंने कहा कि कश्मीरी राजनीतिक नेताओं की हिरासत संविधान के मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है. फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती भी जन सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में हैं. उमर और महबूबा ने अपनी हिरासत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और वे अभी भी हिरासत में ही हैं.