कोरोना वायरस: डेटॉल ने बंद किया साबुन को निष्प्रभावी दिखाने वाला विज्ञापन

लाइफबॉय साबुन बनाने वाली हिंदुस्तान यूनिलिवर लिमिटेड ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि जब कोरोना वायरस से बचाव के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साबुन और पानी का इस्तेमाल करने का दिशानिर्देश जारी किया है, तब डेटॉल हैंडवाश के विज्ञापन में साबुन की टिकिया को बेकार, निष्प्रभावी और कीटाणुओं से होने वाली बीमारी से नहीं बचा सकने वाला बताया जा रहा है.

(फोटो: रॉयटर्स)

लाइफबॉय साबुन बनाने वाली हिंदुस्तान यूनिलिवर लिमिटेड ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि जब कोरोना वायरस से बचाव के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साबुन और पानी का इस्तेमाल करने का दिशानिर्देश जारी किया है, तब डेटॉल हैंडवाश के विज्ञापन में साबुन की टिकिया को बेकार, निष्प्रभावी और कीटाणुओं से होने वाली बीमारी से नहीं बचा सकने वाला बताया जा रहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो: रॉयटर्स)
प्रतीकात्मक तस्वीर. (फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: डेटॉल हैंडवाश बनाने वाली रेकिट बेंकिज़र (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि वह एक महीने के लिए अपने हैंशवाश के विज्ञापन को बंद कर देगी.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, लाइफबॉय साबुन बनाने वाली हिंदुस्तान यूनिलिवर लिमिटेड (एचयूएल) ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रेकिट बेंकिज़र (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड से हर्जाने की मांग की थी.

एचयूएल का तर्क था कि एक ऐसे में जब दुनिया कोरोना वायरस जैसी घातक महामारी से लड़ने के लिए जूझ रही है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने साबुन और पानी का इस्तेमाल करने का दिशानिर्देश जारी किया है, तब डेटॉल के विज्ञापन में साबुन की टिकिया को बेकार, निष्प्रभावी, उपभोक्ताओं को कीटाणुओं से होने वाली बीमारी से नहीं बचा सकने वाला बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि हैंडवाश बेहतर सुरक्षा प्रदान करते हैं.

अदालत में दाखिल अपनी याचिका में एचयूएल ने रेकिट के विज्ञापन के प्रसारण पर लगाम लगाने की मांग की और साबुन को निष्प्रभावी बता आम जनता के बीच झूठा प्रचार कर कथित तौर पर भय का माहौल पैदा करने के लिए एक करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की.

जस्टिस केआर श्रीराम की एकल पीठ ने एचयूएल की इस याचिका पर बीते शुक्रवार को सुनवाई की.

एचयूएल ने दावा किया कि 12 मार्च को डेटॉल लिक्विड हैंडवॉश के प्रचार के लिए टीवी पर एक विज्ञापन आया था, जिसमें रेकिट ने ‘लाइफबॉय साबुन’ ट्रेडमार्क की अवहेलना की क्योंकि उसमें एक संदेश फैलाया जा रहा था कि साबुन और पानी से हाथ धोना पूरी तरह से बेकार है और कीटाणुओं से दस गुना बेहतर सुरक्षा के लिए केवल हैंडवॉश प्रभावी तरीका है जो कि झूठ है.

अदालत में एचयूएल ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार, ऐसे कीटाणुओं से लोगों की सुरक्षा में साबुन और पानी से हाथ धोना एक प्रभावी तरीका है.

अपनी याचिका में एचयूएल ने कहा, अल्कोहल-आधारित सैनेटाइजर्स सहित अन्य उत्पादों की सिफारिश केवल तभी की जाती है जब साबुन और पानी उपलब्ध न हो. इसके अलावा, दुनिया भर के देश सैनेटाइजर्स और हैंडवाश की जगह लोगों को साबुन और पानी से हाथ धोने के लिए कह रहे हैं.

हालांकि, एचयूएल की याचिका का विरोध करते रिकेट के वकील चंदर लाल ने कहा कि एचयूएल यह साबित नहीं कर सका कि विज्ञापन में दिखाया गया साबुन उनका उत्पाद है और इसलिए कोई उल्लंघन नहीं हुआ.