डिजिटल इंडिया में राष्ट्रपति चुनाव में नहीं चलेगा कार्ड, जमा करने होंगे नोट

उम्मीदवारों को रक़म की अदायगी डिजिटल में या चेक की शक़्ल में अदा करने की इजाज़त नहीं है. अब तक 15 लोगों ने नामांकन दाख़िल किया, जिनमें से सात को अयोग्य ठहरा दिया गया.

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(फोटो: पीटीआई)

उम्मीदवारों को रक़म की अदायगी डिजिटल में या चेक की शक़्ल में अदा करने की इजाज़त नहीं है. अब तक 15 लोगों ने नामांकन दाख़िल किया, जिनमें से सात को अयोग्य ठहरा दिया गया.

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डिजिटल इंडिया पर सरकार के ज़ोर के बावजूद राष्ट्रपति पद के चुनाव में कार्ड या डिजिटल मनी नहीं चलेगी और उम्मीदवारों को 15000 रुपये काग़ज़ के नोटों की शक्ल में जमा करने होंगे.

नियम के अनुसार राष्ट्रपति पद के चुनावों में उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाख़िल करते समय चुनाव अधिकारी को नक़द रक़म जमा करनी होगी.

सूत्रों ने बताया कि वहां बैठा एक बैंक अधिकारी नोटों की जांच करेगा और उसे गिनेगा. उम्मीदवार यह रक़म भारतीय रिज़र्व बैंक में भी जमा करा सकता है. उसकी पावती नामांकन पत्र के साथ जमा करानी होगी.

सूत्रों ने बताया कि उम्मीदवारों को रक़म की अदायगी डिजिटल रूप में या चेक की शक़्ल में करने की इजाज़त नहीं है. अब तक 15 लोगों ने राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अपना नामांकन दाख़िल किया है. उनमें से सात को उचित दस्तावेज़ नहीं होने के चलते अयोग्य ठहरा दिया गया था.

सांसदों, विधायकों के लिए अलग-अलग रंग का होगा मतपत्र

राष्ट्रपति चुनाव में 17 जुलाई को मतदान करने वाले संसद के सदस्यों के लिए मतपत्र हरे रंग का होगा जबकि विधायकों के लिए गुलाबी रंग का मतपत्र होगा.

राजग और विपक्ष द्वारा अलग-अलग प्रत्याशी खड़े करने और उनमें से किसी के एक जुलाई की शाम तक उम्मीदवारी वापस ना लेने की स्थिति में चुनाव आयोग मतपत्र की अंतिम छपाई की प्रक्रिया शुरू करेगा.

एक विधायक के वोट का मूल्य उसके प्रतिनिधित्व वाले राज्य की आबादी पर निर्भर करती है लेकिन सांसद के वोट का मूल्य स्थिर रहेगा. एक सांसद का वोट 708 के बराबर माना जाता है. इसलिए अलग-अलग रंग के मतपत्र से निर्वाचन अधिकारी को वोट के मूल्य के आधार पर मतों की गणना करने में मदद मिलेगी.

कुल मतों का मूल्य 10,98,903

निर्वाचक मंडल के कुल मतों का मूल्य 10,98,903 है. मत पेटियों को गिनती के लिए 20 जुलाई को दिल्ली लाया जाएगा. निर्वाचित सांसदों और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों वाले समानुपातिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था के जरिए राष्ट्रपति का चुनाव करने वाले निर्वाचन मंडल में कुल 4,896 मतदाता होते हैं जिनमें 4,120 विधायक और 776 निर्वाचित सांसद हैं.

राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य है जबकि लोकसभा के 543 सदस्य हैं. राज्यों को दिए निर्देश में आयोग ने कहा कि संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मत पत्रों की छपाई हरे रंग के काग़ज़ पर होगी जबकि विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मत पत्रों की छपाई गुलाबी काग़ज़ पर होगी.

अरुणाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झाारखंड, मध्य प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए अंग्रेज़ी और हिंदी में छपने वाले मत पत्रों की छपाई यहां चुनाव पैनल ख़ुद करेगा.

दूसरी ओर आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और पुद्दुचेरी के लिए मतपत्रों की छपाई उनके राज्यों में ही होगी. इन राज्यों के लिए हिंदी और अंग्रेज़ी के अलावा अन्य भाषाओं में मतपत्र छापने की ज़रूरत होती है.

इन चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है क्योंकि उन्हें पहले ही फार्मेट किया जा चुका है. गत वर्ष हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के दौरान स्याही को लेकर हुए विवाद के बाद आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव में वोट देने के लिए मतदाताओं के लिए विशेष पेन का इस्तेमाल करने का फ़ैसला लिया है.

ख़ास तरह के पेन से होगा मतदान

मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा करते हुए कहा था, वोट देने के लिए आयोग ख़ास तरह के पेन की आपूर्ति करेगा. मतदान केंद्रों पर जब नामित अधिकारी मतपत्र सौंपेगा तभी मतदाताओं को यह पेन दिया जाएगा.

मतदाताओं को इस विशेष पेन से ही मतपत्र पर वोट देना होगा ना कि किसी अन्य पेन से. किसी भी अन्य पेन से वोट देने पर वोट को अमान्य घोषित किया जा सकता है.

चुनाव पैनल द्वारा भविष्य में होने वाले चुनावों में विवादों को दोहराने से बचने के तरीक़ों का सुझाव देने के लिए गठित कार्यकारी समूह की सिफ़ारिशों के आधार पर ख़ास तरह के पेन इस्तेमाल करने का फ़ैसला लिया गया है.

हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के दौरान ग़लत पेन से दिए गए 12 वोटों को अवैध घोषित कर दिया गया था जिससे कांग्रेस के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार आर के आनंद को मीडिया उद्योगपति सुभाष चंद्रा से हार का सामना करना पड़ा था.

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