कोरोनाः वैज्ञानिकों ने की केंद्र से गुज़ारिश, स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षा उपकरण मुहैया कराएं

देश के वैज्ञानिकों के समूह का कहना है कि कोरोना के मद्देनज़र राष्ट्रीय आपदा जोखिम प्रबंधन योजना बनाकर प्रत्येक प्रांत में लागू की जानी चाहिए, जिससे कोविड-19 का परीक्षण हो सके. उन्होंने यह भी कहा कि इस महामारी के लक्षणों की जांच के लिए स्वास्थ्यकर्मियों का भी परीक्षण किए जाने की भी ज़रूरत है.

Medical staff are seen wearing masks at RML Hospital as a precaution in wake of coronavirus pandemic, during the nationwide lockdown, in New Delhi. Photograph: Ravi Choudhary/PTI Photo

देश के वैज्ञानिकों के समूह का कहना है कि कोरोना के मद्देनज़र राष्ट्रीय आपदा जोखिम प्रबंधन योजना बनाकर प्रत्येक प्रांत में लागू की जानी चाहिए, जिससे कोविड-19 का परीक्षण हो सके. उन्होंने यह भी कहा कि इस महामारी के लक्षणों की जांच के लिए स्वास्थ्यकर्मियों का भी परीक्षण किए जाने की भी ज़रूरत है.

Medical staff are seen wearing masks at RML Hospital as a precaution in wake of coronavirus pandemic, during the nationwide lockdown, in New Delhi. Photograph: Ravi Choudhary/PTI Photo
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्लीः कोरोना वायरस संकट के समय देश के विभिन्न संस्थाओं के वैज्ञानिक इस लड़ाई में एक-साथ आए हैं.

वैज्ञानिकों और शैक्षणिक समुदाय के लोगों के एक समूह ने केंद्र सरकार के 21 दिन के लॉकडाउन का स्वागत किया है, साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों को समुचित उपकरण देने की गुजारिश भी की है.

उन्होंने कहा है कि अन्य देशों की तुलना में भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या कम है और देश की शुरुआती नीतियां ही इस महामारी के दुष्प्रभाव को कम करने में कारगर साबित हो सकती है.

भारतीय वैज्ञानिकों ने समाज के प्रत्येक वर्ग से आग्रह करते हुए कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन का पालन करने और विभिन्न राज्य एवं केंद्रीय एजेंसियों के साथ इसके कार्यान्वयन में सहयोग करने को कहा है.

उन्होंने कहा कि हम सरकार और राज्य एजेंसियों से आग्रह करते हैं कि वह राष्ट्र को मौजूदा लॉकडाउन के लिए तैयार करने के लिए कदम उठाएं. यदि ऐसी वांछनीय स्थिति होती है कि लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाना न पड़े तो भी यह कदम आने वाली किसी भी महामारी या अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने की हमारी क्षमता को बेहतर बनाने में सहयोग देंगे.

उन्होंने कहा कि संदिग्ध लोगों के अधिक से अधिक टेस्ट करने, संदिग्धों का पता लगाने और उन्हें क्वारंटाइन करने की दिशा में कदम उठाए जाने की सिफारिश करते हैं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि चिकित्सकों, सहायक स्वास्थ्य सेवाकर्मियों जैसे नर्सो, पुलिसकर्मियों, आपातकाल कर्मियों और महामारी से संबंधित कार्यों में लगे संस्थाओं या फील्ड में मुस्तैद सरकारी कर्मचारियों को उपयुक्त सुरक्षा सामान मुहैया कराए जाने की सिफारिश करते हैं.

इसके साथ ही इन स्वास्थ्यकर्मियों का समय-समय पर टेस्ट किए जाने की भी जरूरत है कि कहीं इनमें तो इस महामारी के लक्षण नहीं हैं.

मानवीय संकट से बचने के लिए दिहाड़ी मजदूरों, बेघरों, शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के निर्धनों के लिए राहत पैकेज की घोषणा किए जाने को लेकर वैज्ञानिकों ने सरकार का आभार जताया है.

उन्होंने कहा कि हम स्थानीय सरकारी अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि वह विभिन्न प्रांतों और जिलों में स्थानीय टास्क फोर्स बनाएं जिससे आवश्यक सेवाओं जैसे भोजन, किराने का सामान, दवाइयां और आश्रय की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित हो सके विशेष रूप से समाज के निर्धन वर्ग और फंसे हुए प्रवासी कामगारों के लिए.

इन वैज्ञानिकों का कहना है कि राष्ट्रीय आपदा जोखिम प्रबंधन योजना बनाई जाए और प्रत्येक प्रांत में उसे लागू किया जाना चाहिए जिससे कोरोना वायरस का परीक्षण हो सके.

इसके साथ ही जल्द से जल्द सम्मेलन भवनों, खाली होटलों, घिरे हुए स्टेडियमों को आपातकालीन आइसोलेशन वार्ड और अस्थाई चिकित्सा सुविधाओं में बदला जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि हम सिफारिश करते हैं कि महामारी को लेकर टेस्ट सुविधाओं को बढ़ाया जाए जिससे देश के हर क्षेत्र में सार्स-कोविड-19 का पता लगाया जा सके. आदर्श स्थिति में देश का कोई भी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र सार्स-कोविड-19 परीक्षण केंद्र से 100 मीटर से अधिक दूरी पर नहीं होना चाहिए.

भारतीय वैज्ञानिकों का कहना है कि हम आम जनता से आग्रह करते हैं कि वह इस महामारी से ठीक होने के लिए किसी तरह के चमत्कारी इलाज, धोखेबाजी और मिथकों से प्रभावित नही हो.

उन्होंने यह भी कहा कि हम प्रत्येक नागरिक से अनुरोध करते हैं कि दवाइयों जैसे एंटीबायोटिक की जमाखोरी नही करें. इसके साथ ही चिकित्सकीय देखरेख और सिर्फ योग्यता प्राप्त चिकित्सकीय कर्मियों और अधिकृत अस्पतालों का ही रुख करें.

वैज्ञानिकों ने कोरोना के मद्देनजर घरों के भीतर ही रह रहे स्कूली बच्चों और शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों को लेकर स्कूल और शिक्षण संस्थाओं से कहा कि जितना संभव हो सकें, वे अपने विद्यार्थियों को ऑनलाइन या किन्हीं अन्य तरीकों से शैक्षिक या बौद्धिक गतिविधियों में व्यस्त रखें.

उन्होंने कहा कि एक अध्ययन से पता चला है कि बौद्धिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति किसी भी चिकित्सीय परेशानी का सामना बेहतर तरीके से कर सकता है इसलिए बौद्धिक रूप से गतिमान होने के साथ हम इस समय कुछ न्यूनतम शारीरिक गतिविधियों के भी पक्षधर है.

इस लॉकडाउन के समय हम सरकार से निवेदन करते हैं कि उन शोध प्रयोगशआलाओं को चलने दें जो इस रोग के इलाज या इसके प्रबंधन के कार्य में जुटी हुई है. इस बीमारी के विषय में सामाजिक जागरूकता फैलाने और लोगों को धोखेबाजी और मिथकों से भ्रमित नहीं होने के लिए चेतावनी देने के कार्यों में भी बहुत से वैज्ञानिक जुटे हुए हैं.

हम सरकार से आग्रह करते हैं कि आम सामाजिक जागरूकता फैलाने के लिए वैानिक समुदाय में जो संसाधन और कौशल उपलब्ध है और उसका लाभ उठाया जाए और वैज्ञानिक समुदाय से आग्रह करते हैं कि जब भी बुलाया जाए तब वह सरकार और सार्वजनिक एजेंसियों की सहायता करें.

बता दें कि कोरोना वायरस से देशभर में अब तक 50 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1,764 लोग इससे संक्रमित हैं.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25