जम्मू कश्मीर: विरोध के बाद केंद्र ने आदेश बदला, मूल निवासियों के लिए नौकरियां आरक्षित

जम्मू कश्मीर में एक अप्रैल को डोमिसाइल के साथ ही भर्ती संबंधी नियम जारी होने के बाद नेशलनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, अपनी पार्टी, पैंथर्स पार्टी समेत कई संगठनों ने विरोध किया था. इसे धोखा बताते हुए वापस लेने की मांग की थी.

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(फोटो: रॉयटर्स)

जम्मू कश्मीर में एक अप्रैल को डोमिसाइल के साथ ही भर्ती संबंधी नियम जारी होने के बाद नेशलनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, अपनी पार्टी, पैंथर्स पार्टी समेत कई संगठनों ने विरोध किया था. इसे धोखा बताते हुए वापस लेने की मांग की थी.

तस्वीर: पीटीआई
तस्वीर: पीटीआई

नई दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार रात को अपने दो दिन पुराने आदेश में बदलाव करते हुए जम्मू कश्मीर में सारी नौकरियों को इस केंद्र शासित क्षेत्र के मूल निवासियों (डोमिसाइल) के लिए आरक्षित कर दिया जो राज्य में कम से कम 15 साल रहे हैं.

बीते एक अप्रैल को डोमिसाइल के लिए नियम तय करते हुए सरकार ने केवल समूह चार तक के लिए नौकरियां आरक्षित की थीं.

हालांकि स्थानीय राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया के बाद जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (राज्य कानूनों का अनुकूलन) आदेश-2020 लाते हुए केंद्रशासित प्रदेश के निवासियों के लिए नौकरियां आरक्षित कर दी गई हैं.

संशोधित अधिसूचना में कहा गया है, ‘केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के तहत किसी भी पद पर नियुक्ति के उद्देश्य के लिए उपयुक्त शर्तें पूरी करने वाला कोई भी व्यक्ति केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का ही निवासी होगा.’

इससे पहले बीते एक अप्रैल को गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में सिर्फ ग्रुप-4 की सरकारी नौकरियां ही स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित की थीं और बाकी सरकारी पदों के लिए पूरे देश से किसी के भी आवेदन की अनुमति दे दी गई थी.

समूह चार की नौकरियों में कॉन्स्टेबल, जूनियर असिस्टेंट और एंट्री लेवल नॉन-गजेटेड नौकरियां ही शामिल हैं.

अमर उजाला के मुताबिक एक अप्रैल को डोमिसाइल के साथ ही भर्ती संबंधी नियम जारी होने के बाद नेशलनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, अपनी पार्टी, पैंथर्स पार्टी समेत कई संगठनों ने विरोध किया था. इसे धोखा बताते हुए वापस लेने की मांग की थी.

ऑउटलुक के मुताबिक,  युवाओं में इसको लेकर जबर्दस्त आक्रोश था. उनका कहना था कि केंद्र सरकार ने यहां के यूथ ब्रिगेड को केवल कुछ पदों तक सीमित रखकर उनकी क्षमताओं का सम्मान नहीं किया है.

दैनिक जागरण के मुताबिक इसका राजनीतिक क्षेत्र में काफी विरोध हो रहा था. राज्य भाजपा इकाई और जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) भी विरोध जता रहे थे. इसी मसले पर जेकेएपी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी शुक्रवार को गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मिले.

बुखारी की गृहमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ हुई बैठक के बाद गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर के संदर्भ में संबधित खुफिया एजेंसियों से भी रिपोर्ट तलब की.

इसके बाद गृहमंत्री ने जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन के दायरे में आने वाली सभी नौकरियां स्थानीय निवासियों के लिए सुनिश्चित करते हुए मंगलवार रात को जारी किए आदेश में संशोधन कर दिया.

 

नए डोमिसाइल कानून के मुताबिक कोई भी शख्स जो जम्मू कश्मीर में 15 साल गुजारा है तो वह स्थानीय नागरिक माना जाएगा. अगर किसी ने सात साल तक राज्य में शिक्षा पाई है और दसवीं और बारहवीं की परीक्षा दी है तो भी उसे स्थानीय निवासी माना जाएगा.

नई परिभाषा के तहत राज्य के निवासियों में केंद्रीय सरकारी अधिकारी, सभी सर्विसेज के अधिकारी, पीएसयू और स्वायत्त संस्थाओं के अधिकारी, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, वैधानिक निकायों के अधिकारी भी शामिल होंगे.

इसके साथ उन केंद्रीय विश्वविद्यालयों और केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त अनुसंधान संस्थाओं के अधिकारी जो दस वर्षों तक जम्मू कश्मीर में सेवाएं दे चुके हों. इन नियमों को पूरा करने वालों के बच्चे भी निवासियों की श्रेणी में आएंगे.

इसके अलावा अब जम्मू कश्मीर के निवासियों में उन लोगों को भी शामिल किया जाएगा, जिन्हें राहत और पुनर्वास आय़ुक्त ने राज्य में शरणार्थी या अप्रवासी का दर्जा दिया हो. नए कानून के तहत अब तहसीलदार डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए योग्य अधिकारी होंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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