लॉकडाउन: 11 दिनों में सरकारी हेल्पलाइन पर आए बच्चों के साथ हिंसा और उत्पीड़न संबंधी 92 हज़ार कॉल

चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन ने जानकारी दी है कि देश के विभिन्न क्षेत्रों से 20 से 31 मार्च के बीच उनके पास 3.07 लाख फोन कॉल आए, जिसमें से 30 फीसदी कॉल बच्चों से जुड़ी थीं, जिनमें हिंसा और उत्पीड़न से बचाने की मांग की गई थी.

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Children of migrant workers wear protective masks inside a sports complex turned into a shelter, during a 21-day nationwide lockdown to slow the spread of the coronavirus disease (COVID-19), in New Delhi, India, April 4, 2020. REUTERS/Adnan Abidi

चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन ने जानकारी दी है कि देश के विभिन्न क्षेत्रों से 20 से 31 मार्च के बीच उनके पास 3.07 लाख फोन कॉल आए, जिसमें से 30 फीसदी कॉल बच्चों से जुड़ी थीं, जिनमें हिंसा और उत्पीड़न से बचाने की मांग की गई थी.

Children of migrant workers wear protective masks inside a sports complex turned into a shelter, during a 21-day nationwide lockdown to slow the spread of the coronavirus disease (COVID-19), in New Delhi, India, April 4, 2020. REUTERS/Adnan Abidi
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लगाया गया लॉकडाउन घर में रह रही ढेरों महिलाओं और बच्चों पर भारी पड़ रहा है. महिलाओं के साथ इस दौरान बढ़ी घरेलू हिंसा की रिपोर्ट के बाद अब बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की बात सामने आई है.

द चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन नंबर पर पिछले 11 दिनों में 92,000 कॉल आईं, जिनमें हिंसा तथा उत्पीड़न से बचाने की गुहार लगाई गई है.

चाइल्डलाइन इंडिया की उपनिदेशक हरलीन वालिया ने बताया कि देश के विभिन्न क्षेत्रों से 20-31 मार्च के बीच ‘चाइल्डलाइन 1098’ पर 3.07 लाख फोन कॉल आए हैं.

इनमें से 30 फीसदी कॉल बच्चों से जुड़ी थीं जिनमें हिंसा और उत्पीड़न से बचाव की मांग की गई थी. 30 फीसदी कॉल की यह संख्या 92,105 है.

यह निराशाजनक स्थिति इशारा करती है कि लॉकडाउन के कारण कई महिलाओं के लिए एक तरह से बंधक जैसे हालात बन गए हैं और कई बच्चे भी घर में असुरक्षा की स्थिति में फंस गए हैं.

वालिया के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 24 मार्च को दिए गए भाषण के बाद 25 मार्च से लॉकडाउन शुरू हुआ जिसके बाद फोन कॉल 50 फीसदी तक बढ़ गए हैं.

मंगलवार को यह आंकड़े जिले में स्थित बाल बचाव इकाइयों के साथ कार्यशाला में साझा किए गए. इस कार्यशाला में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया था.

कार्यशाला में चर्चा मुख्य रूप से कोरोना वायरस से जुड़े मुद्दों और बंद के दौरान बच्चों में तनाव को कम करने के रास्ते तलाशने पर केंद्रित थी.

वालिया ने बैठक में बताया कि चाइल्डलाइन को बंद के दौरान शारीरिक स्वास्थ्य के संबंध में 11 फीसदी कॉल आईं, बाल श्रम के संबंध में आठ फीसदी, लापता और घर से भागे बच्चों के संबंध में आठ फीसदी और बेघर बच्चों के बारे में पांच फीसदी कॉल आईं.

इसके अलावा हेल्पलाइन को 1,677 कॉल ऐसी मिलीं जिनमें कोरोना वायरस के संबंध में सवाल किए गए और 237 कॉल में बीमार लोगों के लिए सहायता मांगी गई.

इससे पहले राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने हाल ही में कहा था कि देशव्यापी बंद के बाद से घरेलू हिंसा की शिकायतें बढ़ रही है.

इसके अलावा पूरे दुनिया में कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने भी चिंता जताई थी.

बाल अधिकार इकाईयों ने हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर 1098 को टोल फ्री नंबर बनाने और कोविड-19 के संकट के मद्देनजर इस नंबर को बच्चों, अभिभावकों या देखभाल करने वालों के लिए आपात नंबर बनाने को कहा था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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