झारखंड के क़रीब 50 फीसदी ब्लॉकों में अब तक दोगुना राशन नहीं मिला: सर्वे

ग़ैर सरकारी संगठन भोजन का अधिकार अभियान के सर्वे में ये बात सामने आई है कि आंगनबाड़ियों, स्वास्थ्य केंद्रों और दाल-भात केंद्रों से ग्रामीण झारखंड के लोगों को बहुत कम जन सहायता मिल रही है. दोगुने राशन के वितरण में बहुत अनियमितताएं हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

ग़ैर सरकारी संगठन भोजन का अधिकार अभियान के सर्वे में ये बात सामने आई है कि आंगनबाड़ियों, स्वास्थ्य केंद्रों और दाल-भात केंद्रों से ग्रामीण झारखंड के लोगों को बहुत कम जन सहायता मिल रही है. दोगुने राशन के वितरण में बहुत अनियमितताएं हैं.

फोटो: रॉयटर्स
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से उपजे संकट से राहत देने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की घोषणा की है. इसके तहत तीन महीने के लिए दोगुनी राशन देने का प्रावधान है. हालांकि कई जगहों पर इसका उल्लंघन होता देखा जा रहा है और लोगों को उचित मदद नहीं मिल पा रही है.

गैर सरकारी संगठन ‘भोजन का अधिकार’ अभियान के सर्वे में ये बात सामने आई है कि आंगनबाड़ियों, स्वास्थ्य केंद्रों और दाल-भात केंद्रों से ग्रामीण झारखंड के लोगों के पास बहुत कम जन सहायता मिल रही है. दोगुने राशन के वितरण में बहुत अनियमितताएं हैं.

दाल-भात केंद्र

सर्वे के मुताबिक 50 ब्लॉक में से 42 ब्लॉकों में दाल भात केंद्र चालू थे, लेकिन उनमें से ज्यादातर कम उपयोग में थे. इसका एक मुख्य कारण है कि लॉकडाउन में लोग एक जगह से दूसरी जगह नहीं जा पा रहे हैं. इसके अलावा दाल-भात केंद्रों के बारे में लोगों के पास पर्याप्त जानकारी नहीं है और कुछ केंद्र अनुपयोगी स्थानों पर हैं, यानी कि जरूरत वाली जगहों से दूर हैं.

कुल 42 संचालित केंद्रों में से नो केंद्र अभी भी भोजन के लिए पांच रुपये का शुल्क ले रहे हैं. कुछ केंद्रों में लोगो के बीच दूरी के नियम का पालन नहीं हो रहा है. इन केंद्रों को चला रहे कुछ स्वयं-सहायता समूहों की शिकायत थी कि सरकार द्वारा दी जा रही राशि अपर्याप्त है, जिसके कारण खाद्य सामग्री खरीदने के लिए उन्हें अपना पैसा लगाना पड़ रहा था.

इसके अलावा सर्वे में शामिल किए गए 50 ब्लॉकों में से 39 ब्लॉकों के स्थानीय थानों में सामुदायिक रसोई थी, जिनका मुख्य रूप से आस-पास के लोगो के द्वारा उपयोग हो रहा था. जहां लोगो के निवास थाने से दूर हैं, वहां सामुदायिक रसोई का कम उपयोग हो रहा है.

जन वितरण प्रणाली

भोजन का अधिकार संगठन के मुताबिक जन वितरण प्रणाली के तहत ‘दोगुनी राशन’ के वितरण में कई अनियमितताएं पाई गईं. 50 में से 21 ब्लॉक के बहुत से कार्ड धारी अब तक अप्रैल माह के राशन का इंतजार कर रहे थे. बाकी 29 में से केवल 15 ब्लॉक में अप्रैल में दुगना राशन वितरित हुआ था.

इसके अलावा 50 में से कम से कम चार ब्लॉक में अब तक मार्च का राशन भी वितरित नहीं हुआ था.

राशन डीलरों ने केवल एक माह का राशन देने के लिए कई प्रकार के बहाने दे रहे हैं, जैसे कुछ ने कहा कि उन्हें मई का कोटा नहीं मिला, कुछ ने कहा कि वे बाद में वितरण करेंगे.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा किया था कि वैसे परिवार जिनके पास राशन कार्ड नहीं है और जिन्होंने उसके लिए आवेदन किया है, उनको 10 किलो राशन मिलेगा. लेकिन एनजीओ के मुताबिक बहुत कम ऐसे परिवारों को 10 किलो अनाज मिला है.

इस नियम को लागू करने के लिए कोई प्रभावकारी व्यवस्था नहीं है, केवल मुखियाओं को 10,000 रुपये के राहत कोष से जरूरतमंद परिवारों को 10 किलो राशन देने को कहा गया है. भोजन का अधिकार के मुताबिक यह कोष अधिकाश छूटे हुए परिवारों को केवल एक बार के लिए भी 10 किलो राशन देने के लिए अपर्याप्त है.

आंगनबाड़ी और मध्याह्न भोजन

सरकारी निर्देश के अनुसार लॉकडाउन के दौरान आंगनबाड़ी बंद हैं. सर्वे के मुताबिक 50 में से केवल 18 ब्लॉकों में पिछले सप्ताह आंगनबाड़ी में सूखे राशन का वितरण किया गया था. ज्यादातर जगह जनवरी 2020 से टेक-होम राशन का वितरण नहीं हुआ है.

50 में केवल 33 ब्लॉकों के प्राथमिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के बदले में चावल या टेक-होम राशन वितरित किया गया था. कुछ विद्यालयों ने पैसे भी बांटे थे. लेकिन कुछ ही जगह टेक-होम राशन उन बच्चों तक पहुंच पा रहे हैं जो विद्यालय से कुछ दूर रहते हैं. साथ ही, पूरे राज्य में चावल और पैसे के वितरण में काफी भिन्नता है.

बैंक और प्रज्ञा केंद्र

रंका (गढ़वा) को छोड़कर सभी सर्वेक्षित प्रखंडों में बैंक खुले थे, लेकिन ज्यादातर बैंक सिर्फ आधे दिन के लिए खुल रहे हैं. अधिकतर लोग आवागमन पर रोक और यातायात के साधनों की कमी के कारण बैंक पहुचने में असमर्थ हैं. कम से कम आठ ब्लॉकों में लोगों को पैसे निकालने में परेशानियां हो रही थी क्योंकि अपर्याप्त कैश की वजह से बैंको ने प्रतिबंध लगाए हुए थे.

कुल 50 में से 29 ब्लॉकों में प्रज्ञा केंद्र खुले होने की रिपोर्ट मिली. इनमें से ज्यादातर, यदि खुले हैं, तो अब तक उंगलियों के प्रमाणीकरण का उपयोग कर रहे हैं, जो इस समय में संभावित स्वास्थ्य का खतरा है.

पुलिस दमन

रिपोर्ट के मुताबिक 50 में से 13 सर्वेक्षित प्रखंडों में आवश्यक वस्तुओं के लिए बाहर जा रहे लोगों के साथ पुलिस ने दमन किया. इसके कारण  लोग दाल भात केंद्र या बैंक तक नहीं जा पा रहे थे. कुछ प्रखंडों में (जैसे लावालोंग, मनिका और छतरपुर) दमन के काफी मामले आये, जैसे कि जो गांव के तालाब में मछली पकड़ रहे थे उनके जाल को पुलिस ने जब्त कर लिया गया, पशु चरा रहे लड़कों की पिटाई, और राशन दुकान व अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए जो रस्ते में जा रहे थे उन पर दमन.

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