घर पर लिखो- मैं गरीब हूं, तब मिलेगा राशन: राजस्थान सरकार

सार्वजनिक वितरण प्रणाली की गड़बड़ियों को ठीक करने में नाकाम रही राजस्थान सरकार अब ज़रूरतमंदों को अपमानित करने का काम कर रही है.

/

सार्वजनिक वितरण प्रणाली की गड़बड़ियों को ठीक करने में नाकाम रही राजस्थान सरकार अब ज़रूरतमंदों को अपमानित करने का काम कर रही है.

Rajasthan PDS
(फोटो: फेसबुक/एएनआई)

भीड़ द्वारा हत्या और हिंसा के बीच राजस्थान सरकार फिर एक बार सुर्ख़ियों में है. राज्य के दौसा जिले में स्थानीय प्रशासन ने यह निर्देश दिए हैं कि बीपीएल (गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले) कार्ड धारकों को पीडीएस की सुविधा लेने के लिए अपने घर के बाहर लिखना होगा कि ‘मैं गरीब परिवार से हूं तथा एनएफएसए यानी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत राशन लेता हूं.’

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, ज़िले की बांदीकुई और सिकराय तहसीलों के लगभग 50 हज़ार घरों के बाहर इस तरह के संदेश लिखे हुए हैं.

कई मामलों में इस तरह के संदेश एक ही घर पर एक से ज़्यादा बार लिखे गए हैं. दरअसल प्रशासन पीडीएस सुविधा के दुरुपयोग को रोकने के लिए इस तरह के संदेश ग़रीबों के घर के बाहर लिखवा रहा है.

गरीबी रेखा के नीचे आने वालों में अमूमन सामाजिक रूप से पिछड़े, गरीब, दलित, आदिवासी और मुस्लिम शामिल हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक स्थानीय गांववाले ने बताया है कि महज़ 10 किलो गेहूं के लिए उन लोगों को इस तरह अपमानित होना पड़ा है.

उन्होंने यह भी बताया कि इस निर्देश के चलते कई गांववालों ने यह संदेश अपने घर के बाहर से मिटा दिया है और वो अब पीडीएस की सुविधा भी नहीं लेना चाहते.

वे बताते हैं कि सरकार की तरफ से 750 रुपये दिए जाएंगे, जो भी अपने घर के बाहर लिखेगा कि ‘मैं गरीब हूं.’

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘यह तो मज़ाक चल रहा है लगता है. पीडीएस की सुविधा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मिलती है और यह उनका अधिकार है. सरकार इन लोगों की कोई ख़ैरात नहीं दे रही है. केंद्र और राज्य दोनों ही जगह सरकार की गरीब विरोधी नीति सामने आ गई है.’

स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने भी इस घटना पर ट्वीट कर नाराज़गी ज़ाहिर की है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दौसा के अतिरिक्त ज़िलाधिकारी केसी शर्मा का कहना है कि सरकार की तरफ से इस प्रकार का कोई भी निर्देश जारी नहीं किया गया है.

उनका कहना है कि हो सकता है ये निर्देश ज़िला परिषद ने जारी किया हो, क्योंकि पीडीएस सुविधा के दुरुपयोग के मामले में काफी शिकायत पाई गई थी. शर्मा ने मामले को संज्ञान में लिया है.

यह कोई पहली घटना नहीं है कि जब इन लोगों को प्रशासन द्वारा इस प्रकार चिह्नित किया गया हो. 2016 में भीलवाड़ा में भी इसी प्रकार बीपीएल कार्डधारक परिवारों के घर के बाहर पीले रंग से लिखा गया था, जिससे मालूम किया जा सके कि कौन-कौन बीपीएल की सुविधा ले रहा है.

समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिकों को डर है कि इस तरह संस्थागत रूप से ‘प्रोफाइलिंग’ जाति और वर्ग के ध्रुवीकरण का नेतृत्व कर सकती है.

स्क्रॉल डॉट इन वेबसाइट के अनुसार, 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने कार्यकाल के आखिरी महीने में खाद्य सुरक्षा योजना की शुरुआत की थी. इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए पात्र लाभार्थियों की एक नई सूची बनाने के बजाय कांग्रेस सरकार ने गरीबी में सबसे गरीब और बीपीएल सूची के तहत पुरानी सूची को बरकरार रखा है.

राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार अब इतिहास को फिर से लिखने, उर्दू माध्यमों के स्कूलों को खत्म करने, भीड़ द्वारा कथित हत्या पर पीड़ित परिवारों को न्याय न देने, गाय अधिभार शुरू करने और निश्चित रूप से सभी को योग करवाने के कार्यों में व्यस्त है. स्पष्ट है कि राजे सरकार पिछले चार सालों में इन सभी मामलों को सुलझाने में असफल रही है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq