सिक्किम के मुख्यमंत्री ने गोरखालैंड की मांग का किया समर्थन

सीएम पवन चामलिंग ने गृह मंत्री को लिखा पत्र. कहा- पिछले 30 सालों से गोरखालैंड की मांग के चलते राज्य की एकमात्र लाइफलाइन राष्ट्रीय राजमार्ग-10 के बार-बार बंद होने की वजह से सिक्किम को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.

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सीएम पवन चामलिंग ने गृह मंत्री को लिखा पत्र. कहा- पिछले 30 सालों से गोरखालैंड की मांग के चलते राज्य की एकमात्र लाइफलाइन राष्ट्रीय राजमार्ग-10 के बार-बार बंद होने की वजह से सिक्किम को काफी नुकसान उठाना पड़ा है.

Pawan Chamling Gorakhaland PTI
सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग और गोरखालैंड की मांग को लेकर प्रदर्शन करते समर्थक. (फोटो: पीटीआई)

गंगटोक: सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने बृहस्पतिवार को अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को अपना समर्थन देते हुए कहा है कि यह दार्जिलिंग के लोगों की संवैधानिक मांग को पूरा करेगा और क्षेत्र में स्थायी शांति लेकर आएगा.

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, यह दार्जिलिंग पहाड़ी लोगों की संवैधानिक मांग को पूरा करेगा और उनके स्वदेश प्रेम की भावना के साथ न्याय करेगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखालैंड के निर्माण से इस क्षेत्र में स्थायी शांति और समृद्धि आएगी और सिक्किम को इससे काफी फायदा मिलेगा.

उन्होंने कहा कि तीन दशकों से जारी आंदोलन की वजह से 1,000 से ज़्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और इससे बेहिसाब संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा है.

मुख्यमंत्री का कहना है कि पिछले 30 सालों से गोरखालैंड की मांग के चलते राज्य की एक मात्र लाइफलाइन राष्ट्रीय राजमार्ग-10 के बार-बार बंद होने की वजह से सिक्किम को काफी नुकसान उठाना पडा है.

चामलिंग सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के भी अध्यक्ष हैं. उन्होंने छात्रों और मरीजों की परेशानियों के बारे में भी लिखते हुए कहा है कि इन्हें अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए तनाव वाले इलाकों से होकर गुज़रना पड़ता है.

मुख्यमंत्री का कहना है कि दार्जिलिंग- सिक्किम क्षेत्र में आंदोलन की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने संकट खड़ा हो सकता है क्योंकि सिक्किम तीन अंतरराष्ट्रीय सीमाओं चीन (तिब्बत), नेपाल और भूटान के बीच में स्थित है.

चामलिंग ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई गोरखाओं द्वारा दी गई शहादत का भी जिक्र अपने पत्र में किया है.

दार्जिलिंग हिंसा के सिलसिले में गुरूंग और उनकी पत्नी के ख़िलाफ़ केस दर्ज़

दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल): अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर दार्जिलिंग में हो रही हिंसक झड़पों के दौरान आगजनी और एक व्यक्ति की मौत के मामले में संलिप्तता के आरोप में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के प्रमुख विमल गुरूंग और उनकी पत्नी आशा के ख़िलाफ़ मामला दर्ज़ किया गया है.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, हमने गुरूंग और उनकी पत्नी के ख़िलाफ़ एक मामला दर्ज़ किया है और जांच चल रही है. ऐसे आरोप थे कि वे शनिवार को झड़पों के दौरान हिंसा, आगजनी और एक व्यक्ति की मौत के मामले में शामिल थे.

Darjeeling: Activists of GJM paste the party posters on the shutters of close shops during GJM indefinite strike near DM office in Darjeeling on Wednesday. PTI Photo by Ashok Bhaumik (PTI6_21_2017_000360B)
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता दार्जिलिंग में ज़िलाधिकारी कार्यालय के पास बंद दुकानों के शटर पर अलग गोरखालैंड राज्य की मांग का पोस्टर चिपकाते हुए. (फोटो: पीटीआई)

गुरूंग और उनकी पत्नी के ख़िलाफ़ पुलिस के मामला दर्ज़ करने पर प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुए जीजेएम के एक वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया कि पुलिस उन्हें झूठे मुकदमों में फंसा रही है.

जीजेएम के नेता ने कहा, हमारे तीन समर्थक मारे गए और वे हमारे ही ख़िलाफ़ केस दाख़िल कर रहे हैं. मानवाधिकार का हनन करने और इन मौतों के लिए पुलिस और राज्य प्रशासन के ख़िलाफ़ केस दाख़िल किया जाना चाहिए.

अलग गोरखालैंड राज्य के लिए आंदोलन और दार्जिलिंग हिल्स में बेमियादी बंद की अगुवाई कर रहे जीजेएम ने दावा किया कि शनिवार को पुलिस के साथ झड़पों के दौरान उसके तीन समर्थक मारे गए. बहरहाल, पुलिस ने सिर्फ एक मौत की पुष्टि की.

गोरखालैंड मुद्दे पर धर्मसंकट में भाजपा

पश्चिम बंगाल में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा की गोरखालैंड मांग को लेकर आंदोलन शुरू करने की घटना ने इसकी गठबंधन सहयोगी भाजपा को धर्मसंकट में डाल दिया है.

भाजपा के लिए ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि वह अलग राज्य के समर्थन में न तो खुलकर सामने आ सकती है और न ही वह इसका विरोध कर सकती है.

गोरखाओं की मांग पर पूरी हमदर्दी बरतने के वादे के साथ भाजपा, जीजेएम की मदद से दार्जिलिंग लोकसभा सीट से वर्ष 2009 में और 2014 में दो बार विजयी रही.

लेकिन अब आंदोलन की आंच उस तक भी पहुंच रही है, क्योंकि पार्टी गोरखालैंड की मांग पर अपनी स्थित स्पष्ट नहीं कर सकी.

भाजपा के इस धर्मसंकट ने दार्जिलिंग ज़िला की भाजपा इकाई के कार्यकर्ताओं के लिए मुश्किल पैदा कर दी है.

Mirik: GJM supporters take out a rally to demand for separate state 'Gorkhaland' during a protest in Darjeeling on Wednesday. PTI Photo(PTI6_21_2017_000361B)
दार्जिलिंग में अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर समर्थकों ने बुधवार को रैली निकाली. (फोटो: पीटीआई)

भाजपा ज़िला महासचिव शांता किशोर गुरूंग ने कहा, हमारी पार्टी (भाजपा) धर्मसंकट में है क्योंकि वह न तो गोरखालैंड की मांग का विरोध कर सकती है और न ही इसका समर्थन कर सकती है.

वे कहते हैं, गोरखालैंड की मांग का समर्थन करने का मतलब है मैदानी इलाकों में समर्थन खोना, जहां हमें बंगाली विरोधी कहा जाएगा. लेकिन अगर हम अलग राज्य के लिए उनका समर्थन नहीं करेंगे तो हम पहाड़ी क्षेत्र में अपना समर्थन खो देंगे.

गुरूंग ने हाल में जीजेएम द्वारा आयोजित गोरखालैंड-समर्थक आंदोलन में हिस्सा लिया था और गोरखालैंड की मांग को लेकर अपना समर्थन भी जताया था.

गुरूंग ने यह कहकर भाजपा की केंद्रीय इकाई की आलोचना की थी कि पार्टी गोरखाओं और जातीय पहचान के लिए उनकी भावनाओं को हल्के में ले रही है.

भाजपा के प्रांतीय अध्यक्ष दिलीप घोष और राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा के गोरखालैंड की मांग का स्पष्ट तौर पर विरोध करने की पृष्ठभूमि में गुरूंग की यह टिप्पणी सामने आई है. यहां तक कि भाजपा की केंद्रीय इकाई ने अब तक इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है.

दार्जिलिंग में बंद से चाय उद्योग प्रभावित

दार्जिलिंग में अनिश्चितकालीन बंद का यहां के प्रसिद्ध चाय बागानों पर ख़ासा असर देखने को मिल रहा है.

उच्च गुणवत्ता वाली दूसरी फसल की चाय पत्तियां बेकार हो रही हैं जिससे बागान मालिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इससे दो लाख चाय बागान मज़दूरों की आजीविका पर भी संकट खड़ा हो गया है.

दार्जिलिंग में 87 चाय बागान हैं और अभी चल रहे बंद की वजह से ये बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं. चाय बागान मालिकों को लगता है कि उन्हें इस बंद से सालाना राजस्व के 45 फीसदी का नुकसान होगा.

गुडरिक ग्रुप लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अरुण सिंह ने पीटीआई से बातचीत में बताया, यह दूसरी फसल का मौसम है जो बेहद उच्च गुणवत्ता वाली चाय की पत्तियां देता है. इस मौसम में होने वाला चाय का उत्पादन कुल राजस्व का करीब 40 फीसदी होता है. हम इसे पूरी तरह खो देंगे क्योंकि पत्तियां बड़ी हो जाएंगी.

पश्चिम बंगाल स्थित इस समूह के दार्जिलिंग में कई चाय बागान हैं और यह यहां होने वाले कुल चाय उत्पादन में 10 फीसदी हिस्सेदारी रखता है.

जीजेएम का बंद आठवें दिन भी जारी

पृथक गोरखालैंड की मांग कर रहे जीजेएम का अनिश्चितकालीन बंद बृहस्पतिवार को आठवें दिन भी जारी है. इस दौरान एंबुलेंस सेवाएं बुरी तरह प्रभावित रहीं साथ ही कुछ क्षेत्रों में टीवी केबल कनेक्शन काट दिए गए.

Darjeeling: School students walk past as security personnel guarding in a street during GJM indefinite strike in Darjeeling on Wednesday. PTI Photo by Ashok Bhaumik (PTI6_21_2017_000358A)
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने 23 जून को बोर्डिंग स्कूलों को मोहलत देने का फैसला किया है जिससे स्कूल अपने छात्रों को उनके घर भेज सकें. (फोटो: पीटीआई)

शनिवार को जीजेएम कार्यकर्ता और सुरक्षाबलों के बीच बडे़ स्तर पर संघर्ष के बाद अभी यहां किसी अप्रिय घटना की कोई रिपोर्ट नहीं है.

बहरहाल, हालात को देखते हुए एंबुलेंस चालक तक मरीजों को ले जाने से इनकार कर रहे हैं. कुछ पहाड़ी इलाकों में सुबह से स्थानीय केबल कनेक्शन बंद कर दिए गए हैं.

हिंसा फैलाने वाली अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट सेवा पिछले पांच दिन से बंद चल रही है. सुबह से पहाड़ी क्षेत्रों में गश्त बढ़ा दी गई है.

राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को सिलिगुड़ी में सर्वदलीय बैठक बुलाई है लेकिन सभी पहाड़ी दलों ने इसका बहिष्कार करने का निर्णय किया है.

लगातार बंद से सामान्य जनजीवन प्रभावित चल रहा है. इस बीच जीजेएम ने छात्रों को सुरक्षित सिलीगुडी और रोंगपो पहुंचाने के लिए जून 23 को स्कूलों को 12 घंटे की छूट का प्रस्ताव दिया है.

जीजेएम के वरिष्ठ नेता बिनय तमांग ने यहां संवाददाताओं को बताया, हमारी पार्टी की केंद्रीय समिति ने 23 जून को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक की मोहलत स्कूलों को देने का फैसला किया है जिससे वह अपने छात्रों को यहां से निकाल सकें.

उन्होंने कहा, छात्रों को सिर्फ स्कूल बस में सिलिगुड़ी या रांगपो जाने की अनुमति होगी. अनिश्चितकालीन बंद जारी रहेगा. सिर्फ छात्रों को सुरक्षित जाने की इजाज़त होगी.

उन्होंने कहा कि 12 घंटे की अवधि के दौरान स्कूल बसों के अलावा किसी भी गाड़ी को यहां से जाने की इजाज़त नहीं दी जाएगी.

जीजेएम ने दार्जिलिंग में 15 जून से अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान कर रखा है.

खाद्य सामग्री की आपूर्ति की कमी और कुछ ही दिनों में छुट्टियां शुरू होने से दार्जिलिंग के बोर्डिंग स्कूल इस बंद के दौरान बेहद मुश्किल वक़्त का सामना कर रहे हैं.

दार्जिलिंग में देश के कुछ सबसे पुराने और प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूल हैं.

हिमाली बोर्डिंग स्कूल के प्रधानाचार्य रबिंद्र सुब्बा ने कहा, हमारे सामने अभी दो समस्याएं हैं. पहला खाद्य सामग्री के भंडार की स्थिति और दूसरा छात्रों को घर भेजना.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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