पत्रकारों को अप्रिय सत्य से बचना चाहिए: लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन

महाजन ने कहा, पत्रकार मिथकीय चरित्र नारद मुनि से बहुत कुछ सीख सकते हैं, ख़ासकर निष्पक्षता को लेकर. जो भी कहा जाना चाहिए वह सुंदर भाषा में कहा जाना चाहिए.

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महाजन ने कहा, पत्रकार मिथकीय चरित्र नारद मुनि से बहुत कुछ सीख सकते हैं, ख़ासकर निष्पक्षता को लेकर. जो भी कहा जाना चाहिए वह सुंदर भाषा में कहा जाना चाहिए.

फोटो: लोकसभा अध्यक्ष की वेबसाइट से साभार
फोटो: लोकसभा अध्यक्ष की वेबसाइट से साभार

लोकसभा अध्यक्ष और भाजपा की वरिष्ठ नेता सुमित्रा महाजन ने पत्रकारों को सलाह दी है कि पत्रकारों को अप्रिय सत्य से बचना चाहिए. उन्होंने यह भी सलाह दी कि पत्रकार मिथकीय चरित्र नारद से काफ़ी कुछ सीख सकते हैं.

सुमित्रा महाजन बुधवार को आरएसएस से जुड़े संगठन इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र के देवर्षि नारद जयंती पत्रकार सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थीं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ‘लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि पत्रकार को अपने काम में निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए, ‘सुंदर भाषा’ का इस्तेमाल करना चाहिए और कभी कभी अप्रिय सत्य को नज़रअंदाज़ करना चाहिए. उन्होंने पत्रकारों से राष्ट्रहित में रिपोर्ट करने संबंधी सवाल का भी समर्थन किया. मंच पर अन्य वक्ता के रूप में आरएसएस के शाखा संपर्क प्रमुख अरुण कुमार और रक्षा विशेषज्ञ मारूफ़ रज़ा भी मौजूद थे.’

अख़बार लिखता है, ‘महाजन ने कहा कि पत्रकार मिथकीय चरित्र नारद मुनि से बहुत कुछ सीख सकते हैं, ख़ासकर निष्पक्षता को लेकर. उन्होंने कहा, लेकिन जो भी कहा जाना चाहिए वह सुंदर भाषा में कहा जाना चाहिए. ऐसी विनम्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए सरकार से बहुत कुछ संवाद किया जा सकता है. सत्यं ब्रूयात, प्रियं ब्रूयात, ना ब्रूयात अप्रियं सत्यं. यानी सत्य बोलना चाहिए, प्रिय बोलना चाहिए, सत्य किंतु अप्रिय नहीं बोलना चाहिए. कभी कभी इसकी भी दरकार होती है.’

ग़ौरतलब है कि सुमित्रा महाजन वरिष्ठ भाजपा नेता और सांसद हैं जिन्हें जून, 2014 में लोकसभा अध्यक्ष चुना गया. वे मीरा कुमार के बाद दूसरी महिला लोकसभा अध्यक्ष हैं. वे 2014 के लोकसभा चुनाव में इंदौर से आठवीं बार सांसद चुनी गईं.

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