कोरोना वायरस: केंद्र ने राज्यों को रोहिंग्या शरणार्थियों की जांच कराने को कहा

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि ऐसी सूचना है कि कई रोहिंग्या मुसलमान तबलीगी जमात के ‘इज्तिमास’ और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल हुए थे और उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका है.

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फोटो: पीटीआई

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि ऐसी सूचना है कि कई रोहिंग्या मुसलमान तबलीगी जमात के ‘इज्तिमास’ और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल हुए थे और उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे अपने क्षेत्र में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों की कोविड-19 जांच कराए क्योंकि इनमें से कई दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे.

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों से किए गए संवाद में कहा गया कि ऐसी सूचना है कि कई रोहिंग्या मुसलमान तबलीगी जमात के ‘इज्तिमास’ और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल हुए थे और उनके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका है.

मंत्रालय ने कहा कि हैदराबाद के शिविर में रहने वाले रोहिंग्या हरियाणा के मेवात में आयोजित तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे और वे दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित मरकज भी आए थे.

इसी तरह दिल्ली के श्रम विहार और शाहीनबाग इलाके में रह रहे रोहिंग्या भी तबलीगी जमात के कार्यक्रम में गए थे लेकिन वे वापस अपने शिविरों में नहीं लौटे.
मंत्रालय ने बताया कि ऐसी खबर है कि पंजाब के डेराबस्सी और जम्मू-कश्मीर के जम्मू इलाके में रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं और वे तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होकर लौटे हैं.

राज्यों से किए गए संवाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा, ‘इसलिए रोहिंग्या मुसलमानों और उनके संपर्क में आने वालों की कोविड-19 जांच कराने की जरूरत है और इसी के अनुरूप प्राथमिकता के आधार पर कदम उठाने की जरूरत है.’

एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि राज्य सरकार द्वारा लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में हुए तबलीगी जमात के धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुए 30,000 लोगों को अभी तक सरकार ने पता लगा लिया है.

खुफिया एजेंसियां मार्च के मध्य में निजामुद्दीन इलाके में हुए इस कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों का पता लगाने के लिए उनके मोबाइल फोन की लोकेशन व अन्य तकनीकी डाटा का इस्तेमाल कर रही हैं.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘शुरुआत में हम 10,000 फोनों का विश्लेषण कर रहे थे, लेकिन अब संख्या कई गुना बढ़ गई है. प्रत्येक राज्य अपने यहां ऐसे लोगों का पता लगा रहे हैं.’

केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक देश में 40 हजार रोहिंग्या दिल्ली, जम्मू और हैदराबाद सहित देश के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं. पिछले महीने जम्मू में रहने वाले आठ रोहिंग्या मुस्लिमों को निजामुद्दीन स्थित मरकज में शामिल होकर लौटने के बाद पृथकवास में रखा गया था.

बता दें कि निजामुद्दीन पश्चिम स्थित मरकज में 13 मार्च से 15 मार्च तक कई सभाएं हुईं थीं, जिनमें सऊदी अरब, इंडोनेशिया, दुबई, उज्बेकिस्तान और मलेशिया समेत अनेक देशों के मुस्लिम धर्म प्रचारकों ने भाग लिया था. देशभर के विभिन्न हिस्सों से सैकड़ों की संख्या में भारतीयों ने भी इसमें हिस्सा लिया था, जिनमें से हजारों की संख्या में कोरोना संक्रमित पाए गए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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