गैर कोविड-19 मरीजों का उचित इलाज सुनिश्चित किया जाए: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल तीन याचिकाओं में कहा गया कि पड़ताल में सामने आया है कि कई गैर-कोविड-19 मरीजों को भर्ती करने या उनका इलाज करने से इनकार किया जा रहा है क्योंकि चिकित्साकर्मियों को अपने क्लिनिकों या अस्पतालों में कोरोना वायरस फैलने का डर है.

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लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल. (फोटो: पीटीआई)

बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल तीन याचिकाओं में कहा गया कि पड़ताल में सामने आया है कि कई गैर-कोविड-19 मरीजों को भर्ती करने या उनका इलाज करने से इनकार किया जा रहा है क्योंकि चिकित्साकर्मियों को अपने क्लिनिकों या अस्पतालों में कोरोना वायरस फैलने का डर है.

New Delhi: Medics wearing protective suits are seen outside the building gate of Lok Nayak Jai Prakash Narayan (LNJP) hospital during  the nationwide lockdown to curb the spread of coronavirus, in New Delhi, Friday, April 10, 2020. The hospital will function as a dedicated Covid-19 treating facility. (PTI Photo) (PTI10-04-2020_000105B)
(फोटो: पीटीआई)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार और महाराष्ट्र के अधिकारियों के लिए ‘गैर-कोविड-19’ मरीजों के उपचार के लिये ‘प्रभावी समाधान’ तलाशना आवश्यक है ताकि कोरोना वायरस महामारी से संघर्ष के दौरान ऐसे रोगियों का इलाज करने से इनकार नहीं किया जाए.

जस्टिस के आर. श्रीराम ने तीन विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बुधवार को यह टिप्पणी की. इन याचिकाओं में कई अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों की पीड़ा का उल्लेख किया गया है जिन्हें क्लिनिक और अस्पतालों से लौटा दिया जा रहा है.

याचिकाओं में राज्य, निगम और निजी अस्पतालों में फिलहाल अपर्याप्त सुविधाओं और चिकित्सा ढांचे जैसे मुद्दों का भी जिक्र किया गया है.

न्यायाधीश ने कहा कि अधिकारियों को इन मुद्दों का गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए और महाराष्ट्र सरकार तथा बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को 29 अप्रैल तक इन याचिकाओं पर जवाब देने का निर्देश दिया है.

केंद्र की ओर से पेश हुए वकील, अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत को बताया कि उच्चतम न्यायालय भी इसी तरह की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जहां केंद्र सरकार उठाए गए आवश्यक कदमों की जानकारी देगी.

सिंह ने कहा कि इसलिए केंद्र सरकार के लिये यहां जवाब दायर करना जरूरी नहीं है.

जस्टिस श्रीराम ने कहा, ‘मैं संबंधित पक्षों से इन याचिकाओं को बेहद गंभीरता से लेने और अपने-अपने हलफनामे में प्रभावी समाधान के साथ सामने आने की उम्मीद करता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘अन्य प्रतिवादी भी अपने सुझाव महानगरपालिका/ राज्य सरकार/ केंद्र सरकार को दे सकते हैं.’

दो वकीलों और शहर के एक कार्यकर्ता की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया कि खबरों और उनकी खुद की पड़ताल में सामने आया है कि कई गैर-कोविड-19 मरीजों को भर्ती करने या उनका इलाज करने से इनकार किया जा रहा है क्योंकि चिकित्साकर्मियों को अपने क्लिनिकों या अस्पतालों में कोरोना वायरस फैलने का डर है.

मालूम हो कि इसी महीने में मुंबई में अस्पतालों द्वारा कथित तौर पर भर्ती न किए जाने की वजह से दो लोगों की मौत हो गई थी. एक घटना वर्ली इलाके में और दूसरी घटना नवी मुंबई की है.

वर्ली इलाके में हुई घटना में एक 49 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई थी. उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. परिवारवालों ने आरोप लगाया था कि उन्होंने आठ अस्पतालों में उन्हें भर्ती कराने की कोशिश की, लेकिन सभी अस्पतालों ने इनकार कर दिया.

इसी तरह कथित तौर पर दो अस्पतालों द्वारा नवी मुंबई में एक महिला के पेशे से वकील पति को भर्ती करने से इनकार कर दिया गया, जिसके बाद दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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