नॉर्थ ईस्ट डायरी: पूर्वोत्तर के राज्यों से इस सप्ताह की प्रमुख ख़बरें

इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मिज़ोरम, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.

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Chinese soldiers guard the Nathu La mountain pass, between Tibet and the tiny northeastern Indian state of Sikkim, July 6, 2006. Asian giants India and China opened a Himalayan pass to border trade on Thursday, 44 years after a brutal frontier war shut down the ancient route. REUTERS/Desmond Boylan (INDIA) - RTR1F8F4

इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, मिज़ोरम, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.

Chinese soldiers guard the Nathu La mountain pass, between Tibet and the tiny northeastern Indian state of Sikkim, July 6, 2006. Asian giants India and China opened a Himalayan pass to border trade on Thursday, 44 years after a brutal frontier war shut down the ancient route. REUTERS/Desmond Boylan (INDIA) - RTR1F8F4
तिब्बत सिक्किम सीमा पर स्थित नाथुला पास. (फाइल फोटो: रॉयटर्स)

सिक्किम: चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रियों को प्रवेश देने से इनकार किया

गंगटोक: चीन ने तिब्बत क्षेत्र में बारिश और भूस्खलन की वजह से सड़कों को नुकसान होने का हवाला देते हुए लगभग 50 भारतीय तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को प्रवेश की अनुमति देने से इनकार कर दिया जिन्हें सिक्किम स्थित नाथूला दर्रे के ज़रिये कैलाश मानसरोवर के दर्शन करने जाना था.

आधिकारिक सूत्रों ने 24 जून को बताया कि चीनी अधिकारियों द्वारा सीमा पर आगे बढ़ने से रोके गए 47 तीर्थयात्री अब अपने-अपने संबंधित राज्यों को लौट गए हैं.

तीर्थयात्रियों को 19 जून को सीमा पार कर चीन की तरफ जाना था, लेकिन वे ख़राब मौसम की वजह से ऐसा नहीं कर पाए. उन्होंने आधार शिविर में इंतज़ार किया और 23 जून को फिर सीमा पार करने की कोशिश की, लेकिन चीनी अधिकारियों ने उन्हें अनुमति देने से इनकार कर दिया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने 23 जून को कहा था कि नाथू ला दर्रे के ज़रिये तीर्थयात्रियों को कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और भारत इस मामले को चीन के समक्ष उठा रहा है.

इस घटनाक्रम से वार्षिक तीर्थयात्रा को लेकर अनिश्चितता की छाया पैदा हो गई है क्योंकि चीनी अधिकारियों ने कहा कि उन्हें सड़कों की मरम्मत करने में कुछ समय लगेगा और भारतीय तीर्थयात्रा जल्द शुरू नहीं कर पाएंगे.

यहां एक सूत्र ने कहा, तीर्थयात्रियों और संपर्क अधिकारी को बताया गया कि निरंतर बारिश की वजह से चीन की तरफ भूस्खलन के साथ सड़कें बह गई हैं. इसलिए वे आगे नहीं बढ़ सकते.

चीनी अधिकारियों ने कहा कि वे भारतीय तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और इसीलिए उन्हें आगे बढ़ने से रोका गया.

सूत्रों ने यहां कहा कि चीनी अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों को यह भी सूचित किया कि जब भी तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में मौसम और सड़कों की स्थिति में सुधार होगा, उन्हें चीन में प्रवेश की अनुमति दे दी जाएगी.

कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए 47 तीर्थयात्रियों का पहला जत्था 15 जून को सिक्किम पहुंचा था. सिक्किम पर्यटन विकास निगम नाथू ला दर्रे के ज़रिये इस यात्रा का नोडल प्राधिकरण है.

बागले ने 23 जून कहा था, हां, कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रियों को नाथू ला के ज़रिये कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मामले पर चीनी पक्ष से बात की जा रही है.

उन्होंने यह बात तब कही जब उनसे सीपीईसी और एनएसजी में प्रवेश के भारत के प्रयास सहित विभिन्न मुद्दों पर तनाव के बीच इस घटनाक्रम के संबंध में सवाल पूछा गया.

इस साल कुल 350 तीर्थयात्रियों ने नाथू ला मार्ग के ज़रिये यात्रा के लिए पंजीकरण कराया था और उन्हें सात जत्थों में यात्रा करनी थी.

असम: बाढ़ से 80 हज़ार से ज़्यादा लोग प्रभावित

Morigaon: A girl collects water from a hand-pump in flood-hit Mayong village in Morigaon district of Assam on Tuseday. PTI Photo (PTI6_6_2017_000189B)
असम के मोरीगांव ज़िले का बाढ़ में डूबा मयोंग गांव. (फाइल फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: असम में बाढ़ से हालात बहुत बिगड़ गए हैं और प्रदेश के चार ज़िलों में 82,500 से ज़्यादा लोग इससे प्रभावित हैं.

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, लखीमपुर, दारांग, उदलगुड़ी और करीमगंज ज़िलों में 82,500 से ज़्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं.

प्राधिकरण का कहना है कि 146 गांवों में पानी भर गया है और 500 हेक्टेयर भूमि में लगी फसल नष्ट हो गई है.

अधिकारी 256 राहत शिविर और आपूर्ति केंद्र चला रहे हैं, जहां 500 से ज़्यादा लोग शरण लिए हुए हैं.

इससे पहले 21 जून को समाचार एजेंसी भाषा की ख़बर में असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया गया था कि लखीमपुर और करीमगंज ज़िलों में 1,01,809 लोग बाढ़ के पानी से प्रभावित हैं.

प्राधिकरण ने कहा कि 100 गांव जलमग्न हैं जबकि 783 हेक्टेयर कृषि भूमि को नुकसान हुआ है.

सरकार की तरफ से 16 राहत शिविर और वितरण केंद्र चलाए जा रहे हैं जहां फिलहाल सैकड़ों लोगों ने शरण ले रखी है. अभी जिया भराली और कोपिली नदी सामान्य से ऊपर बह रही हैं.

असम: मुख्यमंत्री ने गुवाहाटी में बादल फटने की घटना की समीक्षा की

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 22 जून की सुबह गुवाहाटी में बादल फटने के बाद करंट लगने की घटना के मृतक दुलाल मलाकर के परिजनों को 6.5 लाख रुपये का मुआवज़ा तत्काल जारी करने का निर्देश कामरूप (महानगर) ज़िला प्रशासन को दिया है.

22 जून को जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, उन्होंने निर्देश दिया कि मृतक के परिजनों को राज्य आपदा राहत कोष के तहत चार लाख रुपये और असम बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड (एपीडीसीएल) की तरफ से ढाई लाख रुपये जारी किए जाएं.

मुख्यमंत्री ने उसी दिन भारी बारिश के बाद जिला प्रशासन और बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ शहर की स्थिति की समीक्षा की.

उन्होंने उनसे एपीडीसीएल में पीड़ित की पत्नी की उचित नियुक्ति के लिए ज़रूरी क़दम उठाने को कहा.

विज्ञप्ति में कहा गया कि सोनोवाल ने ज़िला प्रशासन, गौहाटी नगर निगम, असम पुलिस, एसडीआरएफ और एपीडीसीएल की एक संयुक्त टीम बनाई है. मुख्यमंत्री ने टीम से सात दिन में अनुपालन रिपोर्ट सौंपने को कहा.

त्रिपुरा: आठ सर्जरी के बाद भी नहीं बच सकी रूना

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पांच साल की रुना बेगम. (फोटो: रॉयटर्स)

अगरतला: 2013 में दिमाग में पानी भरने से सिर के बड़े आकार को लेकर चर्चा में आई त्रिपुरा की पांच साल की रूना बेगम को बचाया नहीं जा सका. 19 जून को रूना ने अपने घर में आख़िरी सांस ली.

रूना के पिता अब्दुल रहमान दिहाड़ी मजदूर हैं. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए बताया, ‘रोज़ की तरह रूना ने खाना खाया और मैं अपने काम पर चला गया. रात के करीब 8 बजे उसकी मां ने फोन करके बताया कि रूना को सांस लेने में तकलीफ हो रही है. मैं तुरंत घर पहुंचा और उसे आवाज़ दी, पर कुछ मिनटों के अंदर उसकी सांस टूट गई.’

गौरतलब है कि रूना हाइड्रोसिफेलस नाम से पीड़ित थीं, जिस कारण दिमाग में पानी भर जाने के कारण उनका सिर बढ़कर 94 सेंटीमीटर का हो गया था.

2013 में उनके बारे मीडिया में आने के बाद गुड़गांव के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने उसके इलाज की ज़िम्मेदारी ली थी, जहां अब तक उनकी 8 सर्जरी हुई थीं. उनके पिता ने बताया कि इस जुलाई में उनका टेस्ट और सर्जरी होनी थी.

हालांकि इतने इलाज के बाद भी रूना ख़ुद चल-फिर या खा-पी नहीं सकती थी, पर पांचवीं सर्जरी के बाद से अपने माता-पिता से एक दो शब्द कहकर बात कर लेती थीं.

रूना और उसके ग़रीब माता-पिता के इलाज न करवा पाने के बारे में मीडिया से जानने के बाद नॉर्वे के दो नागरिकों ने क्राउडफंडिंग के ज़रिये करीब 62,000 डॉलर जमा किए थे, जो गुडगांव के इस अस्पताल को दे दिए गए. हालांकि कुछ सर्जरी अस्पताल में बिना किसी फीस के की गई थीं.

हाइड्रोसिफेलस एक असामान्य बीमारी तो नहीं है पर बच्चों में ये बीमारी होने पर इलाज का असर मुश्किल से ही हो पाता है.

त्रिपुरा: महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध को लेकर आयोग ने मांगी रिपोर्ट

अगरतला: राष्ट्रीय महिला आयोग ने त्रिपुरा में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध की उच्च दर को लेकर चिंता जताई है और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से इस पर एक रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू के नेतृत्व में आयोग के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने 20 जून को राज्य का दौरा किया और कई पीड़ितों व उनके परिवार के सदस्यों से बात की.

साहू ने संवाददाताओं से कहा, मैंने डीजीपी एके शुक्ला से बात की और उनसे राज्य में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध पर आयोग को तत्काल एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा. यदि वह रिपोर्ट सौंपने में असफल रहते हैं तो उन्हें दिल्ली में आयोग के समक्ष सम्मन किया जाएगा.

साहू ने कहा, आयोग को हाल में (त्रिपुरा से) महिलाओं के ख़िलाफ़ जघन्य अपराध के 15 मामले मिले हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि वाम शासित सरकार ने मुद्दे पर चुप रहने का चयन किया.

मेघालय: केएचएडीसी ने गोवध प्रतिबंध के विरोध में प्रस्ताव किया पारित

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(फोटो: पीटीआई)

शिलॉन्ग: खासी हिल्स स्वाया जिला परिषद (केएचएडीसी) ने वध के लिए पशु बाज़ारों से पशुओं की ख़रीद-फरोख़्त पर रोक लगाने वाली केंद्र की अधिसूचना का विरोध करते हुए 21 जून को एक प्रस्ताव पारित किया.

केएचएडीसी ने कहा कि इससे जनजातीय लोगों की खाने की आदतों पर असर पड़ेगा. परिषद के कार्यकारी सदस्य और भाजपा के इकलौते सदस्य नील एंटोनियो वॉर ने भी विपक्षी कांग्रेस सदस्यों के प्रस्ताव का समर्थन किया.

बाद में 30 सदस्यीय सदन में सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट ने भी इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. केएचएडीसी अध्यक्ष एलजी नोंगसिज ने प्रस्ताव को स्वीकार करने की घोषणा की.

केएचएडीसी राज्य में तीन जनजातीय स्वाया परिषदों में से एक है. मेघालय विधानसभा ने भी 12 जून को एक दिवसीय सत्र में ऐसा ही प्रस्ताव स्वीकार किया था.

अरुणाचल प्रदेश: बीआरओ ने भालुकपोंग-चारद्वार-तवांग सड़क यातायात के लिए खोला

ईटानगर: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भालुकपोंग-चारद्वार-तवांग सड़क (बीसीटी) को यातायात के लिए 21 जून को खेल दिया गया. सड़क 19 जून से ही बाधित था.

भालुकपोंग से करीब नौ किलोमीटर दूर बारिश के कारण भूस्खलन होने से बीटीसी सड़क 19 जून से बाधित थी.

रक्षा विभाग की ओर से 21 जून को जारी बयान के अनुसार, हालांकि सड़क पहले ही साफ कर दी गई थी लेकिन 19 जून की रात भीषण भूस्खलन के बाद हालात और बिगड़ गए.

बीआरओ के कर्मचारी और मज़दूर तुरंत अपने उपकरणों और भारी मशीनरी के साथ मौके पर पहुंच गये. भूस्खलन के कारण स्थानीय लोगों और पर्यटकों सहित करीब 200 असैन्य नागरिक फंसे हुए थे.

वेस्ट कामेंग ज़िला प्रशासन के मौखिक अनुरोध पर बीआरओ ने राज्य में भूस्खलन का मलबा हटाने और फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए वैकल्पिक पैदल रास्ता बनाने का काम शुरू कर दिया है.

मिज़ोरम: गोरखालैंड की मांग को लेकर प्रदर्शन

Mumbai: Members of the Gorkha community protesting for a separate Gorkhaland state, in Mumbai on Thursday. PTI Photo by Shashank Parade(PTI6_22_2017_000129B)
गोरखालैंड को लेकर प्रदर्शन. (फोटो: पीटीआई)

आइजोल: गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) की मिज़ोरम इकाई ने 21 जून को राजधानी आइजोल में अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर प्रदर्शन किया.

धरना-प्रदर्शन पर बैठे जीजेएम की राज्य समिति के सदस्य गोरखालैंड के समर्थन में प्लेकार्ड लिए हुए थे. यह संगठन दार्जिलिंग पहाड़ियां, सिलीगुड़ी, तराई, दोआर्स और ईद-गिर्द के इलाकों को मिलाकर अलग गोरखालैंड बनाने की मांग है.

जीजेएम के नेताओं ने कहा कि भारत में रह रहे गोरखा लोग सुगौली संधि, 1874 के तहत भारतीय नागरिक बन गए. उन्होंने कहा, हमें आमतौर पर गलती से विदेशी मान लिया जाता है सिर्फ़ इसलिए क्योंकि देश में हमारा अलग राज्य नहीं है.

उन्होंने मिज़ोरम के लोगों से अलग गोरखालैंड की मांग का समर्थन करने को कहा.

असम: काजीरंगा नेशनल पार्क में मादा गेंडा का शव मिला, सींग गायब

काजीरंगा/गुवाहाटी: बाढ़ की चपेट में आए काजीरंगा नेशनल पार्क में वन सुरक्षाकर्मियों को 21 जून को एक वयस्क मादा गेंडे का शव मिला जिसका सींग गायब था.

मंडल वन अधिकारी रुहिणी बल्लव सैकिया ने बताया कि पार्क के बगोरी रेंज में वन सुरक्षाकर्मियों को नियमित गश्त के दौरान गेंडे का शव मिला. उन्होंने कहा कि उस गेंडे की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है और यह राज्य में मौजूदा बाढ़ में गेंडे की मौत की पहली घटना है.

इस साल फरवरी में विश्व धरोहर स्थल काजीरंगा नेशनल पार्क में शिकारियों ने दो गेंडों को मार दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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