लॉकडाउनः चाइल्ड पोर्नोग्राफी सर्च बढ़ने पर बाल आयोग ने गूगल, ट्विटर, व्हाट्सएप को नोटिस भेजा

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने आईसीपीएफ नामक संस्था की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए गूगल, व्हाट्सएप और ट्विटर को नोटिस भेजकर 30 अप्रैल तक जवाब मांगा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने आईसीपीएफ नामक संस्था की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए गूगल, व्हाट्सएप और ट्विटर को नोटिस भेजकर 30 अप्रैल तक जवाब मांगा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्लीः देश में लॉकडाउन के दौरान इंटरनेट पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी सामग्री के सर्च बढ़ने पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने गूगल, व्हाट्सएप और ट्विटर को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है.

आयोग ने इन तीनों प्रमुख आईटी कंपनियों के भारतीय प्रबंधन को पत्र भेजकर कहा कि ‘आईसीपीएफ’ नामक संस्था की रिपोर्ट आने के बाद उसने जांच करने का फैसला किया है.

एनसीपीसीआर ने इन कंपनियों से बाल यौन उत्पीड़न की सामग्री से जुड़ी शिकायतों की संख्या और  इस तरह की सामग्री को उपलब्ध कराए जाने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी 30 अप्रैल तक देने को कहा है.

आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, बाल आयोग ने देशभर में हुए लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन चाइल्ड पोर्नोग्राफी ट्रैफिक में 95 फीसदी बढ़ोतरी होने संबंधी रिसर्च पर स्वतः संज्ञान लेते हुए गूगल, वॉट्सऐप और ट्विटर को नोटिस भेजे हैं.

बाल आयोग ने जारी बयान में कहा कि चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मैटीरियल (सीएसएएम) की स्वतंत्र जांच करते हुए पता चला कि पोर्नोग्राफी से जुड़ी हुई सामग्री गूगल प्ले स्टोर के जरिए डाउनलोड होने वाले कई ऐप के माध्यम से आसानी से उपलब्ध है.

आयोग ने कहा, ‘इन ऐप को सिर्फ डाउनलोड कर यूजर इस तरह की पोर्नोग्राफिक सामग्री तक पहुंच बना सकता है. इस तरह ऐसी सामग्री तक आसानी से पहुंच बनाई जा सकती है, जो किए एक गंभीर मामला है.’

बाल आयोग ने देश में सीएमएएम पर इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) के शोध पर लिया, जिससे पता चला कि 24 से 26 मार्च के बीच देश में ऑनलाइन चाइल्ड पोर्न ट्रैफिक 95 फीसदी तक बढ़ा है.

इस शोध में यह भी कहा गया है कि बच्चों का शोषण करने वाले लाखों लोग अब ऑनलाइन इन सामग्रियों तक पहुंच गए हैं, जिससे इंटरनेट बच्चों के लिए बहुत असुरक्षित हो गया है.

आयोग ने वॉट्सऐप को भेजे नोटिस में कहा कि ऑनलाइन सीएसएएम की उपलब्धता को लेकर की गई स्वतंत्र जांच में यह भी पता चला कि इस तरह के लिंक वॉट्सऐप ग्रुपों पर भी उपलब्ध है और सीएसएएम और पोर्नोग्राफी सामग्री तेजी से इन ग्रुपों पर बढ़ रही है.

आयोग ने कहा कि ऐसी भी संभावना है कि इन वॉट्सऐप समहों पर आपराधिक तत्व के लोग मौजूद और सक्रिय हो.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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