लॉकडाउन: कर्मचारियों को वेतन देने के आदेश के खिलाफ याचिका पर कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

लॉकडाउन के दौरान अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन देने संबंधी गृह मंत्रालय की अधिसूचना को नागरीका एक्सपोर्ट्स और फिक्स पैक्स प्राइवेट लिमिटेड सहित तीन निजी कंपनियों ने चुनौती दी है.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
(फोटो: पीटीआई)

लॉकडाउन के दौरान अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन देने संबंधी गृह मंत्रालय की अधिसूचना को नागरीका एक्सपोर्ट्स और फिक्स पैक्स प्राइवेट लिमिटेड सहित तीन निजी कंपनियों ने चुनौती दी है.

New Delhi: A view of the Supreme Court of India in New Delhi, Monday, Nov 12, 2018. (PTI Photo/ Manvender Vashist) (PTI11_12_2018_000066B)
सुप्रीम कोर्ट (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 संक्रमण फैलने से रोकने के लिये लागू लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के सरकार के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर केन्द्र से जवाब मांगा है.

जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने बीते सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

लॉकडाउन के दौरान अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन देने संबंधी गृह मंत्रालय की अधिसूचना को नागरीका एक्सपोर्ट्स और फिक्स पैक्स प्राइवेट लिमिटेड सहित तीन निजी कंपनियों ने चुनौती दी है.

इनके अलावा इसी तरह 11 अन्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) ने केंद्र के आदेश को चुनौती दी है और कहा है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19(1) का उल्लंघन है.

इन याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि श्रमिकों को पूरी सैलरी देने के बजाय इसे घटाकर 70 फीसदी किया जाना चाहिए और इस वेतन की भरपाई केंद्र सरकार सरकारी योजनाओं जैसे कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) या पीएम केयर्स फंड में प्राप्त राशि से करे.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘सॉलिसीटर जनरल (तुषार मेहता) इन याचिकाओं पर जवाब दाखिल करना चाहते हैं. दो सप्ताह बाद इसे सूचीबद्ध किया जाये.’ शीर्ष अदालत ने इन निजी फर्मों से कहा कि वे अपने आवेदनों की प्रति ई मेल के माध्यम से सॉलिसीटर जनरल को उपलब्ध करायें.

टेक्सटाइल फर्म नागरीका एक्सपोर्ट्स लि. ने फैक्टरियों के चालू नहीं होने के बावजूद अपने स्टाफ, ठेका मजदूरों, दिहाड़ी मजदूरों और अन्य श्रमिकों को लॉकडाउन के दौरान पूरा वेतन देने के सरकार के आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया है.

इस फर्म ने अपनी याचिका में कहा है कि लॉकडाउन की वजह से फैक्टरियों में काम बंद होने की वजह से उसे अब तक करीब डेढ़ करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.

याचिका में कहा गया है कि इसके अलावा सरकार ने 29 और 31 मार्च के आदेशों में सभी कर्मचारियों को पूरा वेतन देने का आदेश दिया है, जो करीब पौने दो करोड़ रुपए है.

याचिका में कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के बारे में केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार के आदेशों को निरस्त करने का अनुरोध किया गया है.

इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने इस मामले का निबटारा होने तक उसे अपने कामगारों को 50 प्रतिशत वेतन का भुगतान करने की अनुमति भी मांगी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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