कोरोना वायरस: दिल्ली में सीआरपीएफ की एक ही बटालियन के 122 जवान संक्रमित

ये जवान राष्ट्रीय राजधानी के मयूर विहार फेज़-3 इलाके में स्थित अर्द्धसैन्य बल की 31वीं बटालियन के हैं. पिछले कुछ दिनों में यहां कोरोना वायरस के मामले बड़ी संख्या में सामने आने के बाद पूरे इलाके को सील कर दिया गया है.

फोटो: पीटीआई

ये जवान राष्ट्रीय राजधानी के मयूर विहार फेज़-3 इलाके में स्थित अर्द्धसैन्य बल की 31वीं बटालियन के हैं. पिछले कुछ दिनों में यहां कोरोना वायरस के मामले बड़ी संख्या में सामने आने के बाद पूरे इलाके को सील कर दिया गया है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े अर्द्धसैन्य बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की दिल्ली स्थित एक बटालियन में कोविड-19 से संक्रमित जवानों की संख्या बढ़कर 122 हो गई है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.

ये जवान राष्ट्रीय राजधानी के मयूर विहार फेज़-3 इलाके में स्थित अर्द्धसैन्य बल की 31वीं बटालियन के हैं. पिछले कुछ दिनों में यहां कोरोना वायरस के मामले बड़ी संख्या में सामने आने के बाद पूरे इलाके को सील कर दिया गया है.

इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस बटालियन के कुल 122 जवान विषाणु से संक्रमित पाए गए हैं. 100 और कर्मचारियों के जांच नतीजों का इंतजार है.’

उन्होंने बताया कि ज्यादातर संक्रमित कर्मचारियों में इस जानलेवा बीमारी के कोई लक्षण दिखाई नहीं दिए. इन्हें मंडोली में दिल्ली सरकार के एक पृथक केंद्र में भर्ती कराया गया है.

इस यूनिट के 12 कर्मचारी शुक्रवार को संक्रमित पाए गए थे और 55 वर्षीय एक उपनिरीक्षक की इसी हफ्ते की शुरुआत में सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी.

किसी एक ही बटालियन में इतनी अधिक संख्या में कर्मचारियों के संक्रमित पाए जाने से अर्द्धसैन्य बल में चिंता पैदा हो गई है. इस बटालियन में एक हजार से अधिक जवान हैं.

सीआरपीएफ ने सामान्य आदेश जारी किया था कि छुट्टी से लौटने वाले या कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले किसी भी जवान को 14 दिनों के लिए अनिवार्य रूप से पृथक रहना होगा.

अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में यह बात सामने आई कि अर्धसैनिक बल की चिकित्सा शाखा ने अप्रैल में एक अलग आदेश जारी किया था. इसमें कहा गया था कि जिस कर्मचारी में इस महामारी के लक्षण नहीं दिख रहे हैं, वे पांच दिनों के पृथक-वास के बाद काम पर लौट सकते हैं.

अधिकारियों ने संकेत दिया कि इस यूनिट में कोविड-19 संक्रमण का प्राथमिक स्रोत वह कांस्टेबल (नर्सिंग सहायक) हो सकता है जो एनसीआर में अपने घर छुट्टी बिताने के बाद काम पर इस यूनिट में लौटा था.

यह जवान जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में सीआरपीएफ की एक अन्य बटालियन में तैनात है और यह अभी साफ नहीं है कि वह कैसे संक्रमण की चपेट में आया. इस जवान के परिवार के सदस्य संक्रमित नहीं पाए गए.

एनडीटीवी के मुताबिक ये मेडिकल स्टाफ का जवान छुट्टी पर अपने घर नोएडा आया हुआ था. जब अचानक लॉकडाउन का ऐलान हुआ तो छुट्टी पर गए जवानों को निर्देश दिया गया कि वे जहां पर है वहीं पर रहें. लेकिन मेडिकल स्टाफ के लिए कहा गया कि अगर संभव हो तो घर के आसपास 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में अगर कोई यूनिट हो तो वहां जॉइन कर लें ताकि अगर हालात खराब हो तो उसकी सेवा ली जा सके.

उसके बाद यह जवान 7 अप्रैल को मयूर विहार के 31वीं बटालियन जॉइन किया था. उस वक़्त के  प्रोटोकॉल के मुताबिक उसे क्वारंटीन किया गया पर उस वक़्त इसमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं पाया गया था.

अधिकारियों ने बताया कि 31वीं बटालियन के कुछ अन्य बिना लक्षण वाले कर्मी भी यूनिट में संक्रमण का प्राथमिक स्रोत हो सकते हैं.

अर्द्धसैन्य बल सभी पहलुओं की जांच कर रहा है. साथ ही वह इस दावे की भी जांच कर रहा है कि नर्सिंग सहायक को बटालियन के शिविर में पृथक रखते समय सख्त नियमों का पालन नहीं किया गया जिससे संक्रमण फैला.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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