कोरोना: विदेशी नागरिकों को जारी सभी वीज़ा रद्द, विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने का मिशन शुरू

विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए एयर इंडिया के 64 विमानों और नौसेना के दो पोतों के साथ वंदे भारत मिशन शुरू. खाड़ी देशों में फंसे तीन लाख से अधिक भारतीयों ने वापसी के लिए कराया रजिस्ट्रेशन.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए एयर इंडिया के 64 विमानों और नौसेना के दो पोतों के साथ वंदे भारत मिशन शुरू. खाड़ी देशों में फंसे तीन लाख से अधिक भारतीयों ने वापसी के लिए कराया रजिस्ट्रेशन.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली/कोच्चि: सरकार ने विदेशी नागरिकों को दिए गए सभी मौजूदा वीजा (कुछ श्रेणियों में छोड़कर) को मंगलवार को लॉकडाउन में भारत से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन बंद रहने तक निलंबित कर दिया.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अलग से एक आदेश में कहा कि उसने कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के कारण भारत में फंसे विदेशियों के वीजा अवधि को ‘नि:शुल्क’ आधार पर बढ़ा दिया है. यह विस्तार अवधि अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा शुरू होने के बाद तीस दिन तक होगी.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यह सुविधा उन्हीं विदेशी नागरिकों को मिलेगी, जिनका वीजा एक फरवरी की आधी रात या उसके बाद लॉकडाउन के दौरान खत्म हुआ है. इन सभी को वीजा विस्तार का लाभ लेने के लिए महज एक ऑनलाइन आवेदन करना होगा.

गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि उसने अंतरराष्ट्रीय उड़ानें निलंबित रहने तक भारत के प्रवासी नागरिक (ओसीआई) कार्ड धारकों को दिए गए अनेक बार प्रवेश वाले आजीवन वीजा पर यात्रा भी स्थगित कर रखी है.

इसमें कहा गया है कि हालांकि पहले से भारत में रह रहे ओसीआई कार्ड धारक यहां कितने भी समय तक रह सकते हैं.

आदेश में कहा गया है कि राजनयिक, आधिकारिक, संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय संगठनों, रोजगार और परियोजना श्रेणियों को छोड़कर विदेशियों को दिए गए सभी मौजूदा वीजा तब तक निलंबित रहेंगे, जब तक सरकार भारत आने और यहां से जाने के लिए अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्राओं पर लगी रोक नहीं हटा देती.

बता दें कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 25 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा करने के साथ ही सभी घरेलू और अंतराष्ट्रीय उड़ानें भी रद्द हो गई थीं. 14 अप्रैल को लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने के दिन इसे बढ़ाकर तीन मई और अब 17 मई तक कर दिया गया है. अगले आदेश तक सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ान सेवाएं भी निलंबित हैं.

केंद्र सरकार ने मंगलवार को विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों की वापसी के लिए मानक संचालन प्रोटोकॉल (एसओपी) जारी कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव अजय भल्ला ने कहा कि प्राथमिकता उनको दी जाएगी जिनकी वापसी के ठोस कारण है जैसे उन प्रवासी कामगारों को जिनकी नौकरी छूट गई है या जिनकी वीजा अवधि सामप्त हो रही है.

मंत्रालय के मुताबिक, चिकित्सा आपात स्थिति का सामना कर रहे व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और भारत में परिवार के सदस्य की मौत की वजह से वापसी के इच्छुक लोगों और छात्रों को भी प्राथमिकता दी जाएगी.

यह प्रोटोकॉल भारत में ठहरे अनिवासी भारतीयों व अन्य विदेशी नागरिकों पर लागू होगा, जो किसी अहम कारण से विदेश जाने की इच्छा जताते हैं.

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की तरफ से जारी एसओपी में कहा गया है कि किसी पारिवारिक सदस्य की मौत के कारण वापस लौटने वाले भारतीय नागरिकों और विदेश में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों को भी प्राथमिकता दी जाएगी. इसके अलावा प्रवासी मजदूरों, कामगारों और जिनकी अल्प अवधि वीजा की समयसीमा खत्म हो गई है, ऐसे भारतीयों को भी प्राथमिकता में रखा जाएगा.

हालांकि एसओपी में स्पष्ट कहा गया है कि वापसी का खर्च यात्रियों से ही वसूला जाएगा. विदेश में फंसे सभी भारतीय नागरिकों को वापसी के लिए वहां मौजूद भारतीय दूतावास में अपना पंजीकरण कराना होगा.

अमर उजाला पंजीकरण डाटा मिलने के बाद विदेश मंत्रालय उसके आधार पर विमानों और पानी के जहाजों से आने की व्यवस्था करेगा. इसके लिए आवेदनकर्ता से उसका नाम, उम्र, लिंग, मोबाइल फोन नंबर, निवास स्थान, आखिरी गंतव्य स्थान और आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया है या नहीं आदि जानकारियां ली जाएंगी.

विदेश मंत्रालय संबंधित राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के साथ यह डाटाबेस (सूचनाएं) पहले ही साझा करेगा. करीब दो दिन पहले विदेश मंत्रालय अपने ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफार्म पर विमान या पानी के जहाज के कार्यक्रम (आने का दिन, जगह और समय) साझा कर देगा. जहाज में चढ़ने और उतरने के दौरान यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग की जाएगी.

सभी यात्रियों को अपने मोबाइल फोन में ‘आरोग्य सेतु ऐप’ भी डाउनलोड करना होगा

विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के लिए वंदे भारत मिशन शुरू

कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से खाड़ी देशों और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए भारत सरकार ने मंगलवार को ‘वंदे भारत मिशन’ की घोषणा की.

इसके तहत सात मई से एयर इंडिया की 64 उड़ानों का परिचालन होगा तथा नौसेना के दो पोत भारतीयों को वापस लाने में लगाए जाएंगे. खाड़ी देशों, मलेशिया, ब्रिटेन ओर अमेरिका से भारतीयों को लाने के लिए विभिन्न एजेंसियों वाले अभियान का नाम ‘वंदे भारत मिशन’ दिया गया.

इसके जरिये सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया द्वारा 13 मई तक गैर-अनुसूचित वाणिज्यिक उड़ानों का परिचालन किया जाएगा और 12 देशों से करीब 15 हजार भारतीयों को वापस लाया जाएगा.

नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिल्ली में ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि इन उड़ानों से आने वाले लोगों को शुल्क देना होगा. उन्होंने कहा कि 13 मई तक भारतीयों को लाने के इस प्रयास से निजी विमानन कंपनियां भी जुड़ सकती हैं.

पुरी ने बताया कि लंदन से दिल्ली की उड़ान के लिए 50 हजार रुपये प्रति यात्री और ढाका से दिल्ली की उड़ान के लिए 12 हजार रुपये प्रति यात्री शुल्क निर्धारित किया गया है.

भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ‘समुद्र सेतु’ लांच करते हुए दो पोत को मालदीव की राजधानी माले में फंसे भारतीयों को लाने के लिए रवाना किए जो आठ मई को पहले चरण में भारतीयों को वापस लाएंगे.

नौसेना की विज्ञप्ति के मुताबिक, पहले चरण में आईएनएस जलाश्व और आईएनएस मगर के जरिए एक हजार लोगों को वापस लाने की योजना है. इन्हें कोच्चि तक लाया जाएगा.

संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी से 200 यात्रियों को लेकर पहली उड़ान केरल के कोच्चि पहुंचेगी और पहले दिन इसी तरह की दुनिया के विभिन्न स्थानों से दस उड़ानों का परिचालन किया जाएगा.

एयर इंडिया की 64 उड़ानें दस राज्यों में उतरेंगी जिनमें से 15 उड़ानें केरल में, 11-11 तमिलनाडु और दिल्ली में, सात-सात महाराष्ट्र और तेलंगाना में, पांच गुजरात में, तीन-तीन कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर में और एक-एक विमान पंजाब और उत्तर प्रदेश में उतरेंगे.

पुरी ने बताया कि एयर इंडिया और उसकी सहयोगी इंडिया एक्सप्रेस के विमान 12 देशों – संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका, कतर, सउदी अरब, सिंगापुर, मलेशिया, फिलीपीन, बांग्लादेश, बहरीन, कुवैत और ओमान से उड़ान भरेंगे.

उन्होंने बताया कि भारत सात मई से 13 मई के बीच संयुक्त अरब अमीरात के लिए 10, अमेरिका और ब्रिटेन के लिए सात-सात, सउदी अरब के लिए पांच, सिंगापुर के लिए पांच और कतर के लिए दो उड़ानें भेजेगा.

उन्होंने बताया कि इसी तरह मलेशिया और बांग्लादेश के लिए सात-सात, कुवैत और फिलीपीन के लिए पांच-पांच तथा ओमान एवं बहरीन के लिए दो-दो उड़ानें भेजी जाएंगी.

भारत पहले ही चीन, जापान, ईरान और इटली से पिछले महीने 2,500 लोगों को वापस ला चुका है. आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक केवल उन लोगों को यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं होंगे और ऐसे लोगों को आरोग्य सेतु ऐप पर पंजीकरण करना होगा.

खाड़ी क्षेत्र में तीन लाख से ज्यादा लोगों ने देश वापसी के लिए पंजीकरण कराया

खाड़ी देशों और दुनिया के अनेक हिस्सों में फंसे हुए हजारों भारतीयों को घर लाने के लिए भारत कई दशकों में सबसे बड़ा देश वापसी अभियान शुरू करने जा रहा है, जिसमें असैन्य विमानों और नौसैनिक पोतों के बेड़े को लगाया जा रहा है.

सरकारी सूत्रों ने बताया कि खाड़ी क्षेत्र में तीन लाख से अधिक लोगों ने वहां से निकलने के लिए पंजीकरण कराया है लेकिन सरकार केवल उन्हें पहले वापस लाएगी जिनके सामने घर वापसी के लिए चिकित्सा संबंधी आपात स्थिति, वीजा अवधि समाप्त होने या निर्वासन की संभावना जैसे अत्यावश्यक कारण हैं.

अधिकारियों के अनुसार खाड़ी देशों में दस हजार से अधिक भारतीयों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने का पता चला है जिनमें से 84 की मौत हो चुकी है.

सूत्रों ने बताया कि कई एजेंसियों के सहयोग से चलाए जाने वाले ‘वंदे भारत मिशन’ नाम के इस अभियान में सबसे प्रमुख ध्यान खाड़ी क्षेत्र, पड़ोसी देशों के साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर से भारतीयों को वापस लाने पर केंद्रित किया जाएगा.

हजारों भारतीय जहां विदेशों में नौकरी जाने के बाद अपने देश लौट रहे हैं, ऐसे में विदेश मंत्रालय राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ कुशल कामगारों के लिए संभावित रोजगार के अवसरों के बारे में विस्तृत डेटाबेस साझा करेगा.

सूत्रों के अनुसार विदेश मंत्रालय इस व्यापक अभियान को सुगमता से संचालित करने के लिए राज्यों तथा विदेशों में भारतीय मिशनों के साथ समन्वय से काम कर रहा है.

सूत्रों ने बताया कि इसमें राज्यों के साथ तालमेल के लिए बड़ी संख्या में अतिरिक्त सचिवों और संयुक्त सचिवों को तैनात किया गया है. भारतीय नौसेना पहले ही दूसरे देशों से भारतीयों को वापस लाने के प्रयासों के तहत ‘ऑपरेशन समुद्र सेतु’ शुरू कर चुकी है.

इसे कई दशकों में अब तक का सबसे बड़ा देश वापसी अभियान बताया जा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में करीब 1.4 करोड़ भारतीय रहते हैं और इनमें से बड़ी संख्या में लोग अपने वतन लौटना चाहते हैं.

उल्लेखनीय है कि भारत ने नागरिकों को वापस लाने का सबसे बड़ा अभियान 1990 में ईराक और कुवैत के बीच हुए पहले खाड़ी युद्ध के दौरान शुरू किया गया था और तब कुवैत में फंसे 1.7 लाख भारतीयों को वापस लाया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)