केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये लीटर बढ़ाया

केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में की गई इस बढ़ोतरी के बाद लोगों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की घटी कीमतों का कोई भी फायदा नहीं मिल पाएगा. दो महीने से कम की अवधि में यह दूसरी बार उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया है.

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(फोटो: रॉयटर्स)

केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क में की गई इस बढ़ोतरी के बाद लोगों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की घटी कीमतों का कोई भी फायदा नहीं मिल पाएगा. दो महीने से कम की अवधि में यह दूसरी बार उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार रात को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर उत्पाद शुल्क 13 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया. उत्पाद शुल्क में इस बढ़ोतरी के बाद लोगों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की घटी कीमतों का कोई भी फायदा नहीं मिल पाएगा.

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मांग नहीं होने के कारण पिछले माह ब्रेंट कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल 18.10 डॉलर के निम्न स्तर पर पहुंच गई थी.

यह 1999 के बाद से सबसे कम कीमत थी. हालांकि इसके बाद कीमतों में थोड़ी वृद्धि हुई और यह 28 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई.

बता दें कि, वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के तेजी से गिरते दाम के बीच सरकार ने कानून में जरूरी संशोधन किया था और पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में आठ रुपये प्रति लीटर तक की वृद्धि करने का अधिकार हासिल कर लिया था.

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाए जाने को लेकर सरकार की आलोचना करते हुए बुधवार को सवाल किया कि जब किसानों और मजदूरों की मदद नहीं हो रही है तो फिर किसके लिए पैसा इकट्ठा किया जा रहा है?

उन्होंने ट्वीट किया, ‘कच्चे तेल के दामों में भारी गिरावट का फायदा जनता को मिलना चाहिए. लेकिन भाजपा सरकार बार-बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर जनता को मिलने वाला सारा फायदा अपने सूटकेस में भर लेती है.’

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी ने दावा किया, ‘कच्चे तेल की कीमत में गिरावट का फायदा जनता को मिल नहीं रहा है और जो पैसा इकट्ठा हो रहा है उससे भी मजदूरों, मध्यम वर्ग, किसानों और उद्योगों की मदद हो नहीं रही है.’ प्रियंका ने सवाल किया कि आख़िर सरकार पैसा इकट्ठा किसके लिए कर रही है?

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘कच्चे तेल के दाम लगातार गिर रहे हैं. तेल के कम दामों का फ़ायदा जो पेट्रोल-डीज़ल की कम क़ीमतों से किसान-दुकानदार-व्यापारी-नौकरीपेशा वर्ग को होना चाहिए, उसे कर लगा भाजपा सरकार अपनी जेब में डाल रही है. क्या जनता को लूट जेबें भरना ‘राजधर्म’ है?’

बता दें कि, नकदी संकट से जूझ रही केंद्र सरकार को पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी से चालू वित्त वर्ष में 1.6 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिल सकता है. इससे सरकार को कोरोना वायरस संकट के चलते लॉकडाउन से हो रहे राजस्व नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी.

औद्योगिक सूत्रों के मुताबिक दो महीने से कम की अवधि में यह दूसरी बार उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया है. वित्त वर्ष 2019-20 के बराबर उपभोग होने पर इससे सरकार को 1.7 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होने की उम्मीद है.

हालांकि, कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से किए गए बंद के चलते ईंधन के उपभोग में कमी आयी है. क्योंकि लोगों की आवाजाही पर रोक है. ऐसे में चालू वित्त वर्ष 2020-21 के बचे 11 महीनों में इस शुल्क बढ़ोत्तरी से होने वाली अतिरिक्त आय 1.6 लाख करोड़ रुपये रह सकती है.

इससे पहले सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर तीन-तीन रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क बढ़ाया था. सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने 16 मार्च से पेट्रोल और डीजल की कीमतों को स्थिर रखा है.

सरकार के इस कदम से उत्पाद शुल्क के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी के चलते उनके द्वारा कमाया गया लाभ गिर सकता है.

अधिकारियों ने बताया कि सामान्य तौर पर पेट्रोल-डीजल पर कर की दर बदलने का सीधा असर ग्राहक पर पड़ता है और इसकी कीमतों में फेरबदल होता है. लेकिन 14 मार्च को उत्पाद शुल्क में की गयी बढ़ोत्तरी के बावजूद ईंधन की कीमतें स्थिर रहीं. इस बढ़े हुए शुल्क को कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें गिरने से हुए लाभ से बदल लिया गया.

ब्रेंट कच्चा तेल की कीमत 18 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गयी थी जो 1999 के बाद का सबसे निचला स्तर था.

इस बारे में रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (कॉरपोरट वित्त पोषण) ने कहा कि भारत सरकार के पेट्रोल पर 21 डॉलर प्रति बैरल और डीजल पर 27 डॉलर प्रति बैरल कर बढ़ाने से सरकार को 21 अरब डॉलर का राजस्व मिलेगा, यदि साल भर इस शुल्क बढ़ोत्तरी को बरकरार रखा जाता है तो.

इससे पहले दिल्ली सरकार ने पेट्रोल-डीजल दोनों ईंधनों पर स्थानीय बिक्री कर या वैट बढ़ा दिया था. राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल के दाम में मंगलवार को प्रति लीटर पर 1.67 रूपये की और डीजल के मूल्य में प्रति लीटर सीधे 7.10 रूपये की वृद्धि की गयी.

केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में की गई भारी बढ़ोतरी से ठीक पहले दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा दोनों ईंधनों पर वैट बढ़ाने का भाजपा की दिल्ली इकाई ने विरोध किया और वृद्धि को वापस लेने की मांग की.

दिल्ली भाजपा ने मंगलवार को कहा कि डीजल और पेट्रोल पर वैट बढ़ाने के आप सरकार के निर्णय से कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते पहले से ही समस्याओं से जूझ रहे लोगों खासकर गरीबों एवं किसानों पर नकारात्मक असर पड़ेगा.

दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से वैट में वृद्धि वापस लेने की यह कहते हुए मांग की कि इससे जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ जायेंगे. तिवारी ने कहा, ‘यह केजरीवाल सरकार का विशुद्ध अन्याय है. दिल्ली भाजपा उनसे इस वृद्धि को वापस लेने की मांग करती है क्योंकि अनाज, सब्जियां और रोजमर्रा की अन्य चीजें इसके कारण महंगी हो जाएंगी.’

विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि वैट बढ़ाने का लोगों, खासकर गरीबों, किसानों, मध्यवर्ग और परिवहन व्यावसायियों पर नकारात्मक असर डालेगा.

उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में पिछले पांच छह सालों में अरविंद केजरीवाल शासन में पेट्रोल और डीजल पर वैट क्रमश: ढाई और डेढ़ गुणा बढ़ाया गया. देश में किसी भी अन्य राज्य ने वैट में ऐसी वृद्धि नहीं की.’

पूर्वी दिल्ली के भाजपा सासंद गौतम गंभीर ने आप सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘ चुनाव से पहले हम सब कुछ मुफ्त देंगे, धन की कोई कमी नहीं है. दो महीने बाद दोगुणा कर लगा दो, क्योंकि तनख्वाह के लिए भी पैसे नहीं है. आप की अनोखी अर्थव्यवस्था.’

हालांकि, केंद्र सरकार के फैसले पर दिल्ली सहित भाजपा की किसी इकाई ने फिलहाल कोई विरोध नहीं दर्ज कराया है.

वहीं, दिल्ली में पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों की प्रदेश कांग्रेस ने भी आलोचना की.

कांग्रेस ने दिल्ली में पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी की निंदा करते हुए मंगलवार को कहा कि केजरीवाल सरकार को अपना खजाना भरने की बजाय लोगों को राहत देने और उनकी जान बचाने पर ध्यान देना चाहिए.

पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने यह भी कहा कि पेट्रोल और डीजल का दाम बढ़ाने से, कोरोना वायरस महामारी की वजह से पहले से ही परेशान आम लोगों पर बोझ बढ़ेगा.

दिल्ली से पहले बीते 22 अप्रैल को असम और मेघालय की सरकारों ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर टैक्स बढ़ा दिया था.

इस बढ़ोतरी के बाद मेघालय में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 74.9 रुपये और डीजल की 67.5 रुपये हो गई. वहीं, असम में पेट्रोल का दाम 71.61 रुपये से बढ़ाकर 77.46 रुपये लीटर और डीजल का दाम 65.07 रुपये से बढ़ाकर 70.50 रुपये लीटर कर दिया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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